बुद्धिमान सहायता
जैसे ही मैंने लाल बत्ती पर अपनी कार रोकी, मैंने फिर से उसी व्यक्ति को सड़क के किनारे खड़ा देखा l वह गत्ते का एक साइनबोर्ड लिए हुए था : भोजन के लिए पैसे चाहिए l कोई भी सहायक हो सकता है l मैं अपना मूंह फेरकर गहरी सांस ली l क्या मैं ज़रुरात्मंदों की उपेक्षा करनेवाला व्यक्ति हूँ?
कुछ लोग ज़रूरतमंद होने का बहाना बनाते हैं परन्तु वास्तव में ठग होते हैं l दूसरों के पास वास्तविक ज़रूरतें होती हैं परन्तु विनाशकारी आदतों पर काबू पाने में कठिनाई महसूस करते हैं l सामाजिक कार्यकर्ता हमें बताते हैं कि अपने शहर की सहायता सेवाओं को धन देना बेहतर है l मैंने कठिनाई से इसे ग्रहण किया और गाड़ी तेज़ चलायी l मैंने अच्छा महसूस नहीं किया, परन्तु बुद्धिमानी से कार्य कर सकता था l
परमेश्वर हमें “आलसियों को चेतावनी [देने] भीरुओं को सांत्वना [देने] दुर्बलों को [सँभालने]’ की आज्ञा देता हैं (1 थिस्सलुनीकियों 5:14 HindiCL-BSI)) l इसे भलीभांति करने के लिए हमें जानना है कि कौन किस श्रेणी में आता है l यदि हम दुर्बलों अथवा कायरों को चेतावनी देते हैं, हम उनकी आत्मा को चूर-चूर कर देंगे; यदि हम आलसी की सहायता करेंगे, हम आलस को बढ़ावा देंगे l फलस्वरूप, हम निकट से पूरी मदद कर सकते हैं, जब हम प्रयाप्त रूप से व्यक्ति और उसकी ज़रूरतों को जान जाते हैं l
क्या परमेश्वर ने किसी की सहायता करने के लिए आपके हृदय पर बोझ डाला है? उत्कृष्ट! अब कार्य आरम्भ होता है l यह न समझें आप उस व्यक्ति की ज़रूरतें जानते हैं l उसे अपनी कहानी बताने को कहें, और आप सुनें l प्रार्थनापूर्वक बुद्धिमानी से मदद करें और केवल अच्छा महसूस करने के लिए नहीं l जब हम वास्तव में “सब से . . . भलाई ही की चेष्टा [करेंगे],” हम अधिक तत्परता से उस समय भी जब वे गिरेंगे “सब की ओर सहनशीलता [दिखा सकेंगे] (पद.14-15) l

विजय जुलूस
2016 में जब शिकागो कब्स बेसबॉल टीम ने एक शताब्दी से अधिक समय में पहली बार विषय सीरीज जीत ली, चैंपियनशिप का जश्न मानाने के लिए पचास लाख लोग शहर के मध्य जुलूस में शामिल हुए l
विजय जुलूस कोई आधुनिक अविष्कार नहीं हैं l रोमी की जीत एक लोकप्रिय प्राचीन जुलूस थी, जिसमें विजयी सेनापति भीड़ वाले मार्गों में अपनी सेना और युद्धबंदियों के जुलूस की अगुवाई करते थे l
कदाचित इस प्रकार की जुलूस का चित्र पौलुस के मन में था जब उसने कुरिन्थुस की कलीसिया को लिखते हुए परमेश्वर के विश्वासियों को “जय के उत्सव में लिए [फिरने]” के लिए धन्यवाद दिया (2 कुरिन्थियों 2:14) l यह मुझे चित्ताकर्षक लगता है कि इस चित्र में, मसीह के अनुयायी बंदी हैं l हालाँकि, विश्वासी के रूप में हम भागदारी करने के लिए विवश नहीं हैं, परन्तु इच्छुक “बंदी,” जो स्वेच्छापूर्वक विजयी, पुनरुत्थित मसीह की जुलूस का भाग हैं l मसीही के रूप में, हम जश्न मानते हैं कि मसीह की विजय द्वारा, वह अपना राज्य बना रहा है और अधोलोक की फाटकें उसपर प्रबल नहीं होंगी (मत्ती 16:18) l
जब हम क्रूस पर यीशु की विजय और स्वतंत्रता के विषय बात करते हैं जो वह विश्वासियों को देता है, हम “[उसके] ज्ञान की सुगन्ध” हर जगह फैलाते हैं (2 कुरिन्थियों 2:14) l और चाहे लोग सुगंध को उद्धार के आश्वासन के रूप में ग्रहण करें या अपनी हार की गंध माने, यह अदृश्य किन्तु शक्तिशाली सुगंध हर जगह उपस्थित है जहां हम जाते हैं l
जब हम मसीह का अनुसरण करते हैं, हम उसके पुनरुत्थान के विजय की घोषणा करते हैं, वह विजय जो संसार के लिए उद्धार को उपलब्ध करता है l

मूल्यवान
“माई प्रेशियस (My Precious-काल्पनिक फिल्म) . . . l” अपने सनकी जुनून में “शक्ति के प्रेशियस/मूल्यवान अंगूठी के साथ” दुर्बल प्राणी गोल्लुम की छवि को टोलकिंस के लार्ड ऑफ़ द रिंग्स नाटकत्रय में सबसे पहले दिखाया गया था, जो आज लालच, जुनून, और पागलपन का भी चिन्हात्मक प्रारूप है l
यह कठिनाई से बताने योग्य एक छवि है l अंगूठी और खुद के साथ अपने प्रेम-घृणा के उत्पीड़ित सम्बन्ध में, गोल्लुम की आवाज़ हमारे अपने हृदयों की भूख की प्रतिध्वनि है l चाहे वह ख़ास तौर पर एक वस्तु की ओर निर्देशित हो, अथवा “और अधिक” की धुंधली लालसा ही हो हम निश्चित हैं कि हम आखिरकार अपना “प्रेशियस/मूल्यवान प्राप्त करने के बाद ही संतुष्ट होंगे l परन्तु इसके बदले, हमें सम्पूर्ण बनाने की हमारी सोच हमें पहले से अधिक खाली महसूस कराती है l
जीने का एक बेहतर तरीका है l जिस प्रकार भजन 16 में दाऊद व्यक्त करता है, जब हमारे हृदयों की लालसा हमें संतुष्टता की निराशाजनक, व्यर्थ खोज में पहुंचाने के लिए डराती हैं (पद.4), हम आश्रय के लिए परमेश्वर की ओर मुड़ना याद रखें (पद.1), खुद को याद दिलाते हुए कि उसके सिवा हमारे पास कुछ नहीं है (पद.2) l
और जब हमारी आँखें “वहां पर” संतुष्टता के लिए देखना बंद करके बदले में परमेश्वर की सुन्दरता पर टकटकी लगा ले (पद.8), हम अपने को आखिरकार सच्ची संतुष्टता का स्वाद चखते पाएंगे – [परमेश्वर की] उपस्थिति का आनंद उठाने वाला जीवन, “जीवन के मार्ग” में उसके साथ हर क्षण चलना – अभी और हमेशा तक (पद.11) l

फंदे से बाहर
द वीनस फ्लाईट्रैप(एक मांसाहारी पौधा) नार्थ कैरोलिना में हमारे घर से थोड़ी दूर बलुवा जलमयभूमि वाले एक छोटे क्षेत्र में सबसे पहले खोजा गया l इन पौधों को देखना दिलचस्प है क्योंकि वे मांसाहारी हैं l
वीनस फ्लाईट्रैप पौधे खिले फूल की तरह दिखाई देनेवाले रंगीन फंदों में मीठा-सुगंध वाला मकरंद छोड़ते हैं l उसमें कीट का प्रवेश, बाहरी किनारों के संवेदकों को सक्रीय कर देता है, और फंदा एक क्षण से भी कम समय में बंद हो जाता है जिससे शिकार पकड़ लिया जाता है l फंदा आगे और भी बंद होकर एंजाइम छोड़ता है और अपने शिकार को खा लेता है, जिससे पौधे को पोषण मिलता है जो बलुआ मिटटी नहीं देती है l
परमेश्वर का वचन एक और फंदे के विषय बताती है जो अचानक पकड़ लेती है l प्रेरित पौलुस ने अपने उत्तरजीवी तीमुथियुस को चिताया : “जो धनी होना चाहते हैं, वे ऐसी परीक्षा और फंदे और बहुत सी व्यर्थ और हानिकारक लालसाओं में फंसते हैं, जो मनुष्यों को बिगाड़ देती हैं और विनाश के समुद्र में डूबा दी हैं l क्योंकि रुपये का लोभ सब प्रकार की बुराइयों की जड़ है, जिसे प्राप्त करने का प्रयत्न करते हुए बहुतों ने विशवास से भटककर अपने आप को नाना प्रकार के दुखों से छलनी बना लिया है” (1 तीमुथियुस 6:9-10) l
धन और भौतिक वस्तुएं सुख की प्रतिज्ञा करते हैं, परन्तु जब वे हमारे जीवनों में प्रथम स्थान ले लेते हैं, हम खतरनाक भूमि पर होते हैं l हमारे लिए मसीह के द्वारा परमेश्वर की भलाइयों पर केन्द्रित होकर हम धन्यवादी, दीन हृदयों के साथ जीवन जी कर इस फंदे से बच सकते हैं – “पर संतोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है” (पद.6) l
हमें परमेश्वर की तरह इस संसार की अस्थायी वस्तुएं कभी भी संतुष्ट नहीं कर सकती हैं l सच्ची, स्थायी संतोष केवल उसके साथ हमारे सम्बन्ध में ही पायी जाती है l

जीवित रंगों में
अपने दसवें जन्मदिन पर चाची सेलेना द्वारा भेजा गया चश्मा लगाकर ज़ेवियर मेक्युरी रो पड़ा l रंग दृष्टिहीन जन्मा, ज़ेवियर ने संसार को केवल स्लेटी, सफ़ेद, और काले रंग में ही देखा था l अपने एनक्रोमा चश्मे(विशेष प्रकार का चश्मा) से, हालाँकि, ज़ेवियर ने पहली बार रंग देखा l अपने चारों ओर की ख़ूबसूरती को देखकर उसके उल्लास और उन्माद ने उसके परिवार को महसूस कराया मानो उन्होंने आश्चर्यकर्म देखा हो l
परमेश्वर की रंगीन चमक ने प्रेरित यूहना के भीतर भी शक्तिशाली प्रतिक्रिया उत्पन्न कर दी (प्रकाशितवाक्य 1:17) l पुनरुथित मसीह की सम्पूर्ण महिमा का सामना करने के बाद, यूहन्ना ने देखा कि “एक सिंहासन स्वर्ग में रखा है, और उस सिंहासन पर कोई बैठा है l जो उस पर बैठा है वह यशब और माणिक्य-सा दिखाई पड़ता है, और उस सिंहासन के चारों ओर मरकत-सा एक मेघधनुष दिखाई देता है . . . उस सिंहासन में से बिजलियाँ और गर्जन निकलते हैं” (प्रकाशितवाक्य 4:2-5) l
किसी और समय, यहेजकेल ने भी इसी प्रकार का दर्शन देखा जिसमें “नीलम का बना हुआ सिंहासन था,” जिसके ऊपर मनुष्य के समान कोई दिखाई दे रहा था जो “कमर से लेकर ऊपर की ओर . . . झलकाया हुआ पीतल-सा दिखाई पड़ा, और उसके भीतर और चारों ओर आग-सी दिखाई” पड़ती थी (यहेजकेल 1:26-27) l इस तेजस्वी आकृति के चारों ओर मेघधनुष-सा प्रकाश था (पद.28) l
एक दिन हम आमने-सामने पुनरुथित मसीह के साथ मुलाकात करेंगे l ये दर्शन हमें उस वैभव की एक हलकी झलक देते हैं जो हमारा इंतज़ार कर रही है l जब हम यहाँ पर और अभी परमेश्वर की रचना की ख़ूबसूरती का उत्सव मनाते हैं, काश हम प्रगट होनेवाली महिमा की बाट जोहते हुए अपना जीवन बिताएं l