स्ट्रीट टीम में शामिल हों
सैन फ्रैंसिस्को में शहर स्वास्थ्य कार्यकर्ता नशीले पदार्थों (Opioid) के लत से पीड़ित बेघर लोगों के इलाज लिए दवाईयाँ उन तक पहुंचा रहे हैं l यह कार्यक्रम उन बेघर लोगों की बढ़ती संख्या के जवाब में आरम्भ हुआ जो नशेवाली दवा का इंजेक्शन लेते हैं l साधारणतया, डॉक्टर मरीजों के क्लिनिक में आने का इंतज़ार करते हैं l इसके बजाए स्वास्थ्य देखभाल पीड़ितों तक ले जाने से, मरीजों को परिवहन की चुनौतियों को पार करने की अथवा डॉक्टर के साथ नियोजित भेंट याद रखने की ज़रूरत नहीं पड़ती है l
स्वास्थ्य कर्मियों की आवश्यकतामंदों के पास जाना मुझे उस तरीके की याद दिलाता है जिस प्रकार यीशु हमारी ज़रूरत में हमारे पास आया l अपनी सेवकाई में, यीशु उन लोगों को तलाशा जिनकी उपेक्षा धार्मिक कुलीन वर्ग कर रहे थे : वह “पापियों और चुंगी लेनेवालों के साथ” भोजन किया (पद.16) l पूछे जाने पर कि क्यों वह ऐसा करता था, यीशु ने उत्तर दिया, “भले चंगों को वैध की आवश्यकता नहीं, परन्तु बीमारों को है” (पद.17) l उसने आगे कहा कि उसका इरादा धर्मियों को नहीं, पापियों को उसके साथ सम्बन्ध रखने के लिए बुलाना था l
जब हमें पता चलता है कि हम सभी “बीमार” हैं और डॉक्टर की ज़रूरत है (रोमियों 3:10), हम “पापियों और चुंगी लेनेवालों” अर्थात् हमारे साथ भोजन करने की यीशु की इच्छा को बेहतर ढंग से सराह सकते हैं l बदले में, सैन फ्रैंसिस्को में स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं की तरह, यीशु ने हमें आवश्यकतामंद दूसरों तक उसका बचानेवाला सन्देश ले जाने के लिए “स्ट्रीट टीम” के रूप में नियुक्त किया है l
अनुग्रह के बीज
भारत के एक व्यक्ति ने, अपनी सुखी, रेतीली उसर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए लगभग चार दशक से अधिक, तक मेहनत किया l यह देखते हुए कि अपरदन और परिवर्तनीय परितंत्र(ecosystem) ने नदी के निकट उसके प्रिय द्वीप को किस तरह नष्ट कर दिया था, उसने एक एक करके पेड़ लगाना शुरू किया, बाँस के पौधे फिर कपास के पौधे l वर्तमान में, 1,300 एकड़ से अधिक भूमि हरे-भरे जंगल और पर्याप्त वन्य-जीव से भरपूर है l हालाँकि, उस व्यक्ति का मानना है कि उसके द्वारा पुनर्जीवन संभव नहीं हुआ l प्राकृतिक संसार जिस अद्भुत तरीके से अभिकल्पित है, को पहचानते हुए, वह आश्चर्यचकित होता है कि किस प्रकार बीज वायु द्वारा उपजाऊ भूमि तक पहुँचाए जाते हैं l पक्षी और जानवर भी उन्हें बोने में सहयोग करते हैं, और नदियाँ पौधों और पेड़ों को बढ़ने में योगदान देती हैं l
सृष्टि ऐसे तरीकों से काम करती है जिसे हम समझ नहीं पाते और नियंत्रित नहीं कर पाते हैं l यीशु के अनुसार, यही सिद्धांत परमेश्वर के राज्य पर भी लागू होता है l “यीशु ने कहा, “परमेश्वर का राज्य ऐसा है, जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज छीटें . . . वह बीज ऐसे उगे और बढ़े कि वह न जाने” (मरकुस 4:26-27) l परमेश्वर हमारे परिचालन के बिना संसार में असली उपहार के रूप में जीवन और चंगाई लाता है l हम वही करते हैं जो परमेश्वर हमें करने को कहता है, और तब हम जीवन को प्रगट होते देखते हैं l हम जानते हैं कि सब कुछ उसके अनुग्रह से ही आता है l
यह विश्वास करना बहकानेवाली बात है कि हम किसी के हृदय को बदलने के लिए जिम्मेदार हैं या अपने विश्वासयोग्य प्रयासों के परिणाम को निश्चित कर सकते हैं l हालाँकि, हमें उस थकानेवाले तनाव के अधीन रहने की ज़रूरत नहीं है l परमेश्वर हमारे समस्त बीजों को बढ़ाता है l यह सब अनुग्रह है l
एक बंधन में बंधे हुए
एक सहेली ने मुझे एक घर के अन्दर लगानेवाला एक पौधा दी जो चालीस वर्षों से अधिक समय से उसके पास था l वह पौधा मेरी ऊंचाई का था, और उसके अलग-अलग कमजोर तनों से बड़े पत्ते निकलते थे l समय के साथ, पत्तों के वजन ने पौधे के तीनों तनों को भूमि की ओर नीचे झुका दिए थे l उसके तनों को सीधा करने के लिए, मैंने उस गमले के नीचे से खूंटा से सहारा देकर पौधे को खिड़की के निकट रख दिया ताकि सूर्य के किरणों से उसके पत्ते सीधे हो जाएँ और पौधे की ख़राब स्थिति ठीक हो जाए l
उस पौधे को प्राप्त करने के शीघ्र बाद, मैंने एक स्थानीय व्यवसायिक केंद्र के प्रतीक्षालय में उसी प्रकार का एक पौधा देखा l वह भी तीन पतले तनों से उगा था, परन्तु उनको मजबूती देने के लिए उन्हें एक साथ बाँध कर, उनके भीतरी भाग को और अधिक मजबूत कर दिया गया था l यह पौधा बिना किसी सहायता के सीधा खड़ा था l
कोई भी दो व्यक्ति एक ही “गमले” में वर्षों तक रह सकते हैं, फिर भी अलग अलग बढ़ सकते हैं और परमेश्वर की आशीषों में से कुछ ही का आनंद प्राप्त कर सकते हैं l जब परमेश्वर के साथ उनके जीवन मिल जाते हैं, हालाँकि, अब स्थायित्व और निकटता का बहुत बड़ा भाव है l सम्बन्ध और अधिक मजबूत हो जाएगा l “जो डोरी तीन धागों से बटी हो वह जल्दी नहीं टूटती” (सभोपदेशक 4:12) l
घरेलु पौधे की तरह, विवाह और मित्रता को पोषण की ज़रूरत होती है l इन संबंधों की देखभाल में आत्मिक रूप से एक होना ज़रूरी है ताकि हर एक विशेष बंधन के मध्य में परमेश्वर उपस्थित है l वह प्रेम और अनुग्रह का अनंत श्रोत है – चीजें जिनकी हमें परस्पर जुड़कर आनंदित रहने के लिए सबसे अधिक ज़रूरत है l
केवल एक स्पर्श
यह सिर्फ एक स्पर्श था, परन्तु इससे कॉलिन को पूरी तरह फर्क पड़ा l जब उसकी छोटी टीम यीशु के विश्वासियों से विद्वेष रखनेवाले क्षेत्र में परोपकारी कार्य करने की तैयारी कर रही थी, उसका तनाव बढ़ने लगा l जब उसने अपनी चिंता अपने टीम सदस्य के साथ साझा किया, उसका मित्र ठहरकर, उसके कंधे पर अपना हाथ रखा, और उसके साथ कुछ एक उत्साहवर्धन शब्द साझा किए l कॉलिन पीछे मुड़कर उस संक्षिप्त स्पर्श को एक नए मोड़ के तौर पर देखता है, एक सरल सत्य का शक्तिशाली ताकीद कि परमेश्वर उसके साथ था l
युहन्ना, यीशु का निकट मित्र और शिष्य, को सुसमाचार सुनाने के कारण पतमुस टापू में निर्वासित कर दिया गया था, जब उसने “तुरही का सा बड़ा शब्द . . . सुना”(प्रकाशितवाक्य 1:10) l इस आरंभिक घटना के बाद स्वयं प्रभु ने दर्शन दिया, और युहन्ना “उसके पैरों पर मुर्दा सा गिर पड़ा l” परन्तु उस डरावने पल में, उसने आराम और साहस प्राप्त की l युहन्ना लिखता है, “उसने मुझ पर अपना दाहिना हाथ रखकर कहा, ‘मत दर; मैं प्रथम और अंतिम और जीवता हूँ’” (पद.17) l
परमेश्वर हमें नयी बातें दिखाने के लिए, हमें विस्तारित करने के लिए, हमारी उन्नति के लिए हमारे आरामदायक क्षेत्र से हमें बाहर निकालता है l परन्तु वह प्रत्येक स्थिति से गुजरने के लिए साहस और आराम भी देता है l वह हमारी परीक्षाओं में हमें अकेले नहीं छोड़ेगा l उसके नियंत्रण में सब कुछ है l वह हमें अपने हाथों में थामे रखता है l
यह मैं हूँ(This Is Me)
प्रभावशाली गीत “दिस इज़ मी(This Is Me)” द ग्रेटेस्ट शोमैन में चित्रित एक अविश्वसनीय शो ट्यून है जो पी. टी. बर्मुम के जीवन और उसके चलते-फिरते सर्कस पर आधारित संगीतमय फिल्म है l फिल्म के गीत जिन्हें फिल्म में पात्रों ने गया सामजिक मानदंडों पर विफल होने के कारण मौखिक तानों और दुर्व्यवहार को सहा, जो शब्दों को विनाशकारी गोलियों और चाकुओं के रूप में वर्णन करते हैं जो दाग़ छोड़ जाते हैं l
गीत की लोकप्रियता इस बात की ओर इशारा करती है कि कितने लोग अदृश्य, किन्तु वास्तविक, घावों को झेलते हैं जो शब्दों के अस्त्रों के रूप में उपयोग द्वारा पैदा होते हैं l
याकूब ने हमारे शब्दों के संभावित खतरे को विनाशकारी और लम्बे समय तक चलनेवाले नुकसान का कारण समझते हुए, जीभ को “एक ऐसी बला” बताया “जो कभी रूकती ही नहीं, [और] प्राण नाशक विष से भरी हुयी है” (3:8) l आश्चर्यजनक मजबूत तुलना करके, याकूब ने विश्वासियों को अपने शब्दों की विशाल शक्ति को पहचानने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया l इससे भी अधिक, उसने एक सांस द्वारा परमेश्वर की स्तुति करने और उसके बाद दूसरे के द्वारा परमेश्वर की छवि में सृष्ट लोगों को घायल करने की असंगति पर प्रकाश डाला (पद.9-10) l
गीत “दिस इज़ मी(This Is Me)” इसी तरह मौखिक हमलों के सत्य को चुनौती देते हुए बल देता है कि हम सब महान हैं – एक सच्चाई बाइबल जिसकी पुष्टि करती है l बाइबल हर एक मनुष्य की अद्वितीय गरिमा और खूबसूरती को स्थापित करती है, बाहरी दिखावे या किसी भी चीज़ के कारण नहीं जो हमने किया है, बल्कि इसलिए कि हममें से हर एक परमेश्वर द्वारा खूबसूरती से अभिकल्पित हैं – उसकी अनोखी कृतियाँ (भजन 139:14) l और एक दूसरे के लिए और एक दूसरे के विषय हमारे शब्दों में उस वास्तविकता को फिर से मजबूत करने की शक्ति है l