Month: नवम्बर 2019

आसानी से उलझ जाना

कई साल पहले एक तपने वाले  जंगल में लड़ रहे सैनिकों को एक निराशाजनक समस्या का सामना करना पड़ा l चेतावनी के बिना, एक विकट कांटेदार बेल खुद को सैनिकों के शरीर और साज़-समान से लिपट जाती थी, जिससे वे फंस जाते थे l जैसे-जैसे वे उससे छूटने के लिए संघर्ष करते थे, पौधे के लता-तंतु उनको और अधिक उलझा देते थे l सैनिकों ने उस घासपात को “वेट-ए-मिनट(एक मिनट रुको)” बेल नाम दिया, क्योंकि एक बार जब वे फंस जाते थे और आगे बढ़ने में असमर्थ हो जाते थे, तो उन्हें अपने समूह के अन्य सदस्यों को चिल्लाना पड़ता था, “अरे, एक मिनट रुको, मैं अटक गया हूँ!”

इसी तरह, जब हम पाप में फंसते हैं, तो यीशु के अनुयायियों के लिए आगे बढ़ना कठिन होता है l इब्रानियों 12:1 हमसे कहता है “हर एक रोकनेवाली वस्तु और उलझानेवाले पाप को दूर करके, वह दौड़ जिसमें हमें दौड़ना है धीरज से दौड़ें l” लेकिन हम किस प्रकार हमको दबाने वाले पाप को फेंक सकते हैं?

यीशु ही एकमात्र ऐसा है जो हमें हमारे जीवन में फैलनेवाले पाप से मुक्त कर सकता है l काश हम हमारे उद्धारकर्ता की ओर अपनी आँखें गड़ाना सीखें (12:2) l क्योंकि परमेश्वर का पुत्र “सब बातों में अपने भाइयों के समान [बन गया],” वह जानता है कि परीक्षा में पड़ना क्या होता है - और फिर भी पाप न करना (2:17-18; 4:15) l अकेले, हम अपने पाप में हताश होकर फंस सकते हैं, लेकिन परमेश्वर चाहता है कि हम परीक्षा पर विजयी हों l यह हमारी अपनी शक्ति से नहीं, लेकिन उसकी सामर्थ्य से हम उलझानेवाले पाप को “फेंककर” उसकी धार्मिकता के पीछे दौड़ सकते हैं (1 कुरिन्थियों 10:13) l

पिताजी, आप कहाँ हैं?

“पिताजी ! आप कहाँ हैं?”

मैं अपने घर के उपमार्ग पर अपनी गाड़ी ले जा रहा था जब घबरायी हुयी मेरी बेटी ने, मुझे मोबाइल फोन पर बुलाया l मुझे उसे खेलने का अभ्यास करवाने के लिए 6.00 बजे तक घर पर होना ज़रूरी था; और मैं समय पर पहुँच गया l हालाँकि, मेरी बेटी की आवाज़ ने उसके भरोसे की कमी को जता दिया l पिछली बात पर ध्यान देते हुए, मैंने प्रतुत्तर दिया : “मैं यहाँ हूँ l तुम मुझ पर भरोसा क्यों नहीं करती हो?”

परन्तु जैसे ही मैंने उन शब्दों को बोला, मैंने सोचा, कितनी बार मेरा स्वर्गिक पिता मुझसे यह पूछ सकता है? तनावपूर्ण क्षणों में, मैं भी अधीर होता हूँ l मैं भी भरोसा करने में संघर्ष करता हूँ, कि परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं को पूरी करेगा l इसलिए मैं पुकारता हूँ : “पिता, आप कहाँ हैं?”

तनाव और अनिश्चितता के मध्य, मैं कभी-कभी परमेश्वर की उपस्थिति, या यहाँ तक कि मेरे लिए उसकी अच्छाई और उद्देश्यों पर संदेह करता हूँ l इस्राएलियों ने भी किया l व्यवस्थाविवरण 31 में, वे प्रतिज्ञात देश में प्रवेश करने की तयारी कर रहे थे, जानते हुए कि उनका अगुआ मूसा पीछे रह जाएगा l मूसा ने परमेश्वर के लोगों से यह बोलकर उनको  पुनः आश्वस्त करने की कोशिश की, “तेरे आगे आगे चलने वाला यहोवा है; वह तेरे संग राहेगा, और न तो तुझे धोखा देगा और न छोड़ देगा; इसलिए मत डर और तेरा मन कच्चा न हो” (पद.8) l

यह प्रतिज्ञा – कि परमेश्वर सदा हमारे साथ है – आज भी हमारे विश्वास की आधारशिला है (देखें मत्ती 1:23; इब्रानियों 13:5) l वास्तव में, प्रकाशितवाक्य 21:3 इन शब्दों के साथ समाप्त होता है : “देख, परमेश्वर का डेरा मनुष्यों के बीच में है, वह उनके साथ डेरा करेगा l”

परमेश्वर कहाँ है? वह यहां पर है, अभी, ठीक हमारे साथ – हमेशा हमारी प्रार्थना सुनने के लिये तैयार l

पुरस्कार के लिए लक्ष्य

1994 की काल्पनिक फिल्म फ़ॉरेस्ट गंप में, फ़ॉरेस्ट दौड़ने के लिए प्रसिद्ध हो जाता है l जो “सड़क के अंत तक” धीरे-धीरे दौड़ने के रूप में प्रारंभ हुआ था तीन वर्ष, दो महीने, चौदह दिन और सोलह घंटे तक जारी रहा l हर बार जब वह अपने गन्तव्य तक पहुँचा, उसने एक नया लक्ष्य निर्धारित किया और संयुक्त राज्य अमेरिका भर में टेढ़ा-मेढ़ा दौड़ते हुए दौड़ना जारी रखा, एक दिन जब तक उसे अब ऐसा महसूस नहीं हुआ l “ऐसा महसूस हो रहा है” ही से उसकी दौड़ शुरू हुयी थी l फ़ॉरेस्ट कहते हैं, “उस दिन बिना किसी विशेष कारण से, मैंने छोटी दौड़ दौड़ने का फैसला किया l”

फ़ॉरेस्ट के प्रतीत होने वाले सनकी दौड़ के विपरीत, प्रेरित पौलुस अपने पाठकों से उसके उदहारण का अनुसरण करते हुए “ऐसे [दौड़ने को कहता है जिसमें जीत हो]”(1 कुरिन्थियों 9:24) l अनुशासित एथलीटों की तरह, हमारा दौड़ना – जिस तरह से हम अपना जीवन जीते हैं – का अर्थ हमारे कुछ सुखों को नकारना हो सकता है l अपने अधिकारों को त्यागने को तैयार रहना हमें दूसरों तक पाप और मृत्यु से हमारे बचाव का शुभ समाचार पहुंचाने में सहायता प्रदान कर सकती है l

अपने प्रशिक्षित हृदयों और मनों के साथ दूसरों को हमारे साथ दौड़ने के लक्ष्य के लिए आमंत्रित करना, हमें परम पुरस्कार अर्थात् परमेश्वर के साथ शाश्वत सहभागिता का भी आश्वासन देते हैं l परमेश्वर द्वारा वेजेता को दिया गया मुकुट सर्वदा तक रहेगा; हम उसकी सामर्थ्य पर निर्भर होकर उसको  प्रगट करने के लक्ष्य के साथ ऐसा करते हैं l दौड़ने के लिए कितना अच्छा कारण है!

चेतावनी वृत्त (Alert Circles)

सावन्नाह(वन्यजीव आश्रय) में आराम करने के दौरान अफ़्रीकी मृग सहज रूप से चेतावनी वृत्त (alert circles) बनाती हैं l वे प्रत्येक जानवर के साथ कुछ अलग दिशा में बाहर की ओर मुँह करके समूहों में इकठ्ठा होते हैं l यह उन्हें क्षितिज को पूर्ण 360 डिग्री पर बारीकी से देखने (scan) और खतरों या अवसरों के करीब पहुँचने के बारे में संवाद करने में सक्षम बनाता है l

केवल अपने लिए बाहर देखने के बजाय, समूह के सदस्य एक दूसरे का ख्याल रखते हैं l यह यीशु के अनुयायियों के लिए परमेश्वर की बुद्धि भी है l बाइबल हमें प्रोत्साहित करती है, “और प्रेम और भले कामों में उसकाने के लिए हम एक दूसरे की चिंता किया करें, और एक दूसरे के साथ इकठ्ठा होना न छोड़ें” (इब्रानियों 10:24-25) l

इब्रानियों का लेखक बताता है कि मसीहियों को बिना किसी की सहायता के कोई काम नहीं करना चाहिए l एक साथ हम मजबूत हैं l हम “एक दूसरे को [प्रोत्साहित] कर सकते हैं” (पद.25), “जो [शांति] परमेश्वर हमें देता है [उन्हें वह] शांति दे [सकते हैं] जो किसी प्रकार के क्लेश में [हैं]” (2 कुरिन्थियों 1:4), और हमारा शत्रु शैतान जो “गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए” के प्रयासों के प्रति एक दूसरे को सचेत रहने में सहायता कर सकते हैं (1 पतरस 5:8) l  

एक दूसरे के लिए हमारी देखभाल का लक्ष्य अस्तित्व से बहुत अधिक है l यह हमें यीशु की तरह बनाने के लिए है : इस संसार में परमेश्वर के प्रेमी और प्रभावशाली सेवक – वे लोग जो मिलकर उसके आनेवाले राज्य की आशा के लिए आत्मविश्वास से तत्पर रहते हैं l हम सब को प्रोत्साहन की ज़रूरत है, और परमेश्वर हमें एक दूसरे की सहायता करने में मदद करेंगे जब हम प्रेम में उसके निकट आते हैं l

सच्चे मित्र

मध्य विद्यालय में, मेरे पास एक “कभी-कभी” सहेली थी l हम दोनों हमारी छोटी कलीसिया में “घनिष्ठ मित्र” थे (जहाँ मैं उसकी उम्र की एक ही लड़की थी), और हम कभी-कभी स्कूल के बाहर एक साथ रहते थे l लेकिन स्कूल में यह एक अलग कहानी थी l अगर वह मुझसे खुद मिलती थी, तो हेलो कह सकती थी; लेकिन केवल अगर कोई और आसपास नहीं होता था l यह महसूस करते हुए, मैंने शायद ही कभी स्कूल की दीवारों के भीतर उसका ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की l मुझे हमारी मित्रता की सीमा पता थी l

शायद हम सभी ने एकतरफा या संकीर्ण मित्रता के दर्द का अनुभव किया है l लेकिन एक और तरह की मित्रता है – एक जो सभी सीमाओं से परे फैली हुयी है l यह सादृश्य स्वभाव वालों के साथ हमारी मित्रता है जो हमारे साथ जीवन की यात्रा को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं l

दाऊद और योनातान इसी प्रकार के मित्र थे l योनातान दाऊद के साथ “आत्मा में एक” था और उसे “अपने प्राण के समान प्यार करता था” (1 शमूएल 18:1-3) l हालाँकि, योनातान अपने पिता शाऊल की मृत्यु के बाद शासन करने के लिए कतार में था, वह परमेश्वर के चुने हुए प्रतिस्थापन दाऊद के प्रति वफादार था l योनातान ने शाऊल द्वारा दाऊद की हत्या करने के दो षड्यंत्रों से बच निकलने में उसकी मदद की थी (19:1-6; 20:1-42) l

सभी बाधाओं के बावजूद, योनातान और दाऊद मित्र बने रहे – जो नीतिवचन 17:17 की सच्चाई की ओर इशारा करता है : “मित्र सब समयों में प्रेम रखता है l” उनकी विश्वासयोग्य मित्रता हमें प्यार भरे रिश्ते की झलक देती है जो परमेश्वर हमारे साथ रखता है (युहन्ना 3:16; 15:15) l उनकी तरह की मित्रता के द्वारा, परमेश्वर के प्यार के बारे में हमारी समझ गहरी हो जाती है l