हमारा मार्गदर्शक प्रकाश
एक संग्रहालय में, मैं प्राचीन दीपों/चिरागों के प्रदर्शनी के निकट ठहर गया l एक संकेत ने दर्शाया कि वे इस्राएल के हैं l नक्काशीदार डिजाइनों से सजे, इन अंडाकार आकर के मिटटी के बर्तनों में दो छिद्र थे – एक ईंधन के लिए, और एक बाती के लिए l हालाँकि इस्राएली आमतौर पर उन्हें दीवार के आलों(alcove) में इस्तेमाल करते थे, लेकिन काफी छोटा होने के कारण वह किसी व्यक्ति के हाथ की हथेली में फिट हो जाता था l
शायद इस तरह के छोटे प्रकाश ने राजा दाऊद को एक प्रशंसा गीत लिखने के लिए प्रेरित किया जिसमें उसने कहा, “हे यहोवा, तू ही मेरा दीपक है, और यहोवा मेरे अंधियारे को दूर करके उजियाला कर देता है” (2 शमूएल 22:29) l दाऊद ने इन शब्दों को परमेश्वर द्वारा युद्ध में विजय देने के बाद गाया l अपने ही देश के अन्दर और बाहर दोनों के प्रतिरोधियों ने छिपकर उसे मारने का इरादा किया था l परमेश्वर के साथ अपने सम्बन्ध के कारण, दाऊद अँधेरे में दुबका नहीं l वह उस भरोसे के साथ शत्रु के साथ मुकाबले में आगे बढ़ा जो परमेश्वर की उपस्थिति से आता है l परमेश्वर की सहायता के साथ, वह उन चीजों को स्पष्ट रूप से देख सकता था ताकि वह अपने लिए, अपने सैनिकों के लिए और अपने राष्ट्र के लिए अच्छे निर्णय ले सके l
दाऊद ने अपने गीत में जिस अन्धकार का वर्णन किया है, उसमें दुर्बलता, पराजय और मृत्यु का डर था l हममें से बहुत से लोग उसी प्रकार की चिंताओं के साथ जीते हैं, जो घबराहट और तनाव पैदा करते हैं l जब अँधेरा हम पर दबाव डालता है, हम शांति पाते हैं कि परमेश्वर हमारे साथ भी है l जब तक हम यीशु से आमने सामने नहीं मिलेंगे, तब तक पवित्र आत्मा की दिव्य ज्योंति हमारे मार्ग को रोशन करने के लिए हमारे अंदर रहती है l
आभार का आचरण
अमेरिका में मेरे राज्य में, सर्दी शून्य से नीचे तापमान और कभी न ख़त्म होनेवाले बर्फ के साथ क्रूर हो सकती है l एक अत्यंत ठन्डे दिन में, जब मैं जमी हुयी बर्फ को बेलचा से हटा रहा था तो मुझे महसूस हुआ मानो मैंने हज़ार बार हटाया हो l उसी समय हमारा डाकिया अपना चक्कर लगाते हुए थोड़ा रुक कर पूछा कि मैं कैसा हूँ l मैंने उससे कहा कि मुझे सर्दी नापसंद है और इस भारी बर्फ से परेशान हूँ l तब मैंने टिप्पणी की कि ऐसे अति ठन्डे मौसम में उसकी नौकरी बहुत कठिन होगी l उसका प्रत्युत्तर था, “हाँ, लेकिन कम से कम मेरे पास एक नौकरी है l बहुत सारे लोगों के पास नहीं है l मैं आभारी हूँ कि मेरे पास काम है l”
मुझे यह स्वीकार करना होगा कि आभार के उनके व्यवहार से मैंने खुद को काफी दोषी महसूस किया l सब कुछ जिनके लिए हमें धन्यवादी होना चाहिए जीवन की परिस्थितियों के अप्रिय होने पर हम कितनी आसानी से उनको अपनी आँखों से ओझल कर देते हैं l
पौलुस ने कुलुस्से के विश्वासियों से कहा, “मसीह की शांति जिसके लिए तुम एक देह होकर बुलाए भी गए हो, तुम्हारे हृदय में राज्य करे; और तुम धन्यवादी बने रहो” (कुलुस्सियों 3:15) l उसने थिस्सलुनीकियों को लिखा, “हर बात में धन्यवाद करो; क्योंकि तुम्हारे लिए मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है” (1 थिस्सलुनीकियों 5:18) l
यहाँ तक कि हमारे वास्तविक संघर्ष और पीड़ा के समय में, हम परमेश्वर की शांति को जान सकते हैं और इसे हमारे हृदयों पर राज करने की अनुमति दे सकते हैं l और उस शांति में, हम इन सब के ताकीद पाएंगे जो हमें मसीह में दी गए हैं l उसमें, हम वास्तव में शुक्रगुजार हो सकते हैं l
दाता को न भूलें
यह क्रिसमस से ठीक पहले था, और उसके बच्चों को कृतज्ञता(gratitude) को समझना मुश्किल लग रह था l वह जानती थी कि उस तरह की सोच में फिसलना कितना आसान था, लेकिन वह यह भी जानती थी कि वह अपने बच्चों के दिलों के लिए कुछ बेहतर चाहती थी l इसलिए उसने घर में घूमकर लाइट की स्विच, रसोई-भण्डार, रेफ्रीजरेटर का दरवाजा, वाशिंग मशीन और ड्रायर(कपड़े सुखाने की मशीन), और पानी की टोंटी पर रिबन(bow/ribbon) लगा दिए l प्रत्येक रिबन के साथ एक हाथ से लिखित नोट था : “कुछ एक उपहार जो परमेश्वर हमें देता है, उन्हें अनदेखा करना आसान है, इसलिए मैंने उन पर रिबन लगा दिए हैं l वह हमारे परिवार के लिए बहुत अच्छा है l यह न भूलें कि उपहार कहाँ से आए हैं l”
व्यवस्थाविवरण 6 में, हम देखते हैं कि इस्राएल राष्ट्र के भविष्य में मौजूदा स्थानों पर विजय शामिल था l इस प्रकार वे बड़े फलते-फूलते शहरों में जाकर रहते जो उन्होंने नहीं बनाए थे (पद.10), अच्छे-अच्छे पदार्थों से भरे हुए घरों में रहते जो उन्होंने नहीं भरे थे, और खुदे हुए कुँए, जो उन्होंने नहीं खोदे थे और दाख की बारियाँ और जैतून के वृक्ष, जो उन्होंने नहीं लगाए थे का लाभ प्राप्त करते (पद.11) l इन सभी आशीषों को सरलता से एक ही श्रोत पर वापस ले जाया जा सकता था – “[तुम्हारा] परमेश्वर यहोवा” (पद.10) l और जब परमेश्वर ने प्रेम से इन चीजों को दिया और उससे भी अधिक, मूसा यह सुनिश्चित करना चाहता था कि लोग सावधान रहें और न भूलें (पद.12) l
जीवन के कुछ कालों में भूलना आसान है l लेकिन परमेश्वर की अच्छाई, हमारे आशीषों के श्रोत को आँखों से ओझल न होने दें l
एक पुरानी कहानी के अनुसार, निकोलस नाम के एक व्यक्ति ने एक पिता के बारे में सुना जो इतना गरीब था कि वह अपनी तीन बेटियों को नहीं खिला सकता था, भविष्य में उनके विवाह के लिए नहीं के बराबर प्रबंध कर सकता था l उस पिता की सहायता करने की इच्छा से, लेकिन उसे गुप्त रखने की आशा से, निकोलस ने एक खुली खिड़की से सोने से भरी एक थैली फेंकी, जो एक मोज़े या जूती पर गिरी जो एक सिगड़ी पर सूखने के लिए रखी हुयी थी l वह व्यक्ति संत निकोलस के रूप में जाना गया जो आगे चलकर सांता क्लॉज़ के लिए प्रेरणा बन गया l
जब मैंने ऊपर से नीचे आने वाले एक उपहार की कहानी सुनी, तो मैंने परमेश्वर को पिता के रूप में देखा, जिसने प्रेम और करुणा से धरती पर सबसे महान उपहार, अपने बेटे को एक अद्भुत जन्म के द्वारा भेजा l मत्ती के सुसमाचार के अनुसार, यीशु ने पुराने नियम की नबूवत को पूरा किया कि एक कुँवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र को जन्म देगी जिसे वे इम्मानुएल पुकारेंगे, अर्थात् “परमेश्वर हमारे साथ” (1:23) l
निकोलस का उपहार जितना प्यारा था, यीशु का उपहार उससे भी अधिक अद्भुत है l वह मनुष्य बनने के लिए स्वर्ग को छोड़ा, मर गया और पुनः जीवित हुआ, और परमेश्वर है जो हमारे साथ निवास करता है l वह हमें तब उत्साहित करता है जब हम निराश होते हैं; वह हमें सच्चाई बताता है जब हम धोखा खा सकते हैं l
सोचीसमझी दयालुता
अपने बच्चों के साथ अकेले विमान में सवार होकर, एक युवा माँ अपने तीन साल की बेटी को शांत करने की कोशिश करने में लगी थी जो परेशान कर रही थी और रो रही थी l फिर उसका चार महीने का बेटा जो भूखा था ऊंची आवाज़ में रोने लगा l
उसके बगल में बैठे एक यात्री ने जल्दी से छोटे बच्चे को पकड़ने की पेशकश की, जबकि जेसिका ने अपनी बेटी को संभाला l तब यात्री ने अपने खुद के दिनों को एक युवा पिता के रूप में याद करते हुए – उस तीन साल की बेटी के साथ रंग भरना शुरू कर दिया, जबकि जेसिका ने अपने शिशु को दूध पिलाया l और अगली कनेक्टिंग फ्लाइट पर, उसी व्यक्ति ने ज़रूरत पड़ने पर फिर से सहायता करने की पेशकश की l
जेसिका ने याद किया, “मैं इस घटना में परमेश्वर की दया से चकित रह गयी l हमें किसी भी व्यक्ति के बगल में सीट दी जा सकती थी, लेकिन हमें एक सबसे अच्छे पुरुष के बगल में सीट मिली जिनसे मैं कभी मिली हो l”
2 शमूएल 9 में, हम एक और उदाहरण के बारे में पढ़ते हैं जिसे मैं सोचीसमझी दयालुता कहती हूँ l राजा शाऊल और उसके बेटे योनातान के मारे जाने के बाद, कुछ लोगों ने आशा की कि दाऊद सिंहासन के अपने दावे में किसी भी प्रतिद्वंदिता को कुचल देगा l इसके बजाय, उसने पूछा, “क्या शाऊल के घराने में से कोई अब तक बचा है, जिसको मैं परमेश्वर की सी प्रीति दिखाऊँ?” (पद.3) l तब योनातान के पुत्र मपिबोशेत को दाऊद के पास लाया गया जिसने उसकी विरासत को बहाल किया और उसके बाद गर्मजोशी से उसे अपने खाने की मेज को साझा करने दिया – मानो वह उसका अपना पुत्र हो (पद.11) l
परमेश्वर की असीम दयालुता के लाभार्थियों के रूप में, हम दूसरों के प्रति जानबूझकर दया दिखाने के अवसरों की तलाश कर सकते हैं (गलातियों 6:10) l