Month: मार्च 2020

योजनाएँ बाधित

वाक् चिकित्सक (speech therapist) बनने की जेन की योजना तब समाप्त हुयी जब प्रशिक्षण(internship) से पता चला कि नौकरी उनके लिए भावनात्मक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण थी l फिर उसे एक पत्रिका के लिए लिखने का अवसर दिया गया l उसने खुद को एक लेखक के रूप में कभी नहीं देखा था, लेकिन सालों बाद उसने अपने लेखन के माध्यम से ज़रुरात्मन्द परिवारों की वकालत करते हुए पाया l वह कहती है, “पीछे मुड़कर देखकर, मैं देख सकती हूँ कि परमेश्वर ने मेरी योजना क्यों बदली l मेरे लिए उसके पास और भी बड़ी योजना थी l”

बाइबल में बाधित योजनाओं की कई कहानियाँ हैं l अपनी दूसरी मिशनरी यात्रा पर, पौलुस ने सुसमाचार को बितूनिया में लाना चाहा, लेकिन यीशु की आत्मा ने उसे रोक दिया (प्रेरितों 16:6-7) l यह रहस्यपूर्ण प्रतीत हुआ होगा : यीशु उन योजनाओं को क्यों बाधित कर रह था जो परमेश्वर प्रदत्त एक मिशन के अनुरूप थीं? एक रात एक सपने में जवाब आया : मैसिडोनिया को उसकी और अधिक ज़रूरत थी l वहाँ, पौलुस यूरोप में पहला चर्च स्थापित करनेवाला था l सुलैमान ने यह भी देखा, “मनुष्य के मन में बहुत सी कल्पनाएँ होती हैं, परन्तु जो युक्ति यहोवा करता है, वही स्थिर रहती है” (नीतिवचन 19:21) l 

योजनाएँ बनाना समझदारी है l एक प्रसिद्ध कहावत है, “योजना बनाने में विफल, और आप विफल होने की योजना बनाते हैं l” परन्तु परमेश्वर अपनी योजना के द्वारा हमारी योजनाएं विफल कर सकता है l हमारी चुनौती सुनना और मानना है, यह जानकार कि हम परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं l यदि हम उसकी इच्छा के प्रति समर्पण करते हैं, तो हम स्वयं को अपने जीवन के लिए उसके उद्देश्य में ढाले हुए पाएंगे l 

जब हम योजनाएं बनाना जारी रखते हैं, हम एक नया मोड़ जोड़ सकते हैं : सुनने की योजना बनाएँ l परमेश्वर की योजना सुनें l 

जीवित तार

प्रोफेसर ने चर्च में परमेश्वर के साथ अपनी पहली मुठभेड़ का वर्णन करने के बाद बोली, “मुझे ऐसा लगा कि मैंने एक जीवित (विद्युत्) तार को छू लिया है l” उसने सोचा, “इस जगह पर कुछ हो रहा है, मुझे पता नहीं यह क्या है?” वह उस क्षण को याद करती है जब अलौकिक की संभावना के लिए उसके पहले नास्तिक विश्वदृष्टि ने अनुमति दी थी l आख़िरकार वह पुनर्जीवित मसीह की रूपान्तरित करनेवाली वास्तविकता में विश्वास करनेवाली थी l 

एक जीवित तार को छूना – जिस दिन निश्चित रूप से पतरस, याकूब और युहन्ना को भी इसी तरह महसूस हुआ होगा जब यीशु उन्हें एक पहाड़ पर ले गया, जहाँ उन्होंने एक अद्भुत रूप-परिवर्तन देखा l मसीह का वस्त्र . . . उज्ज्वल” हो गया (मरकुस 9:3) और एलिय्याह और मूसा प्रगट हुए – एक घटना जिसे आज हम रूपांतरण के रूप में जानते हैं l 

पहाड़ से उतरते हुए, यीशु ने शिष्यों से कहा कि वे किसी को भी यह ने बताएँ कि उन्होंने क्या देखा है जब तक कि वह जी नहीं उठता है (पद.9) l लेकिन उन्हें यह भी पता नहीं था कि “जी उठने” का क्या अर्थ है?” (पद.10) l 

यीशु के विषय शिष्यों की समझदारी अधूरी थी, क्योंकि वे उस नियति की कल्पना नहीं कर सकते थे जिसमें उसकी मृत्यु और पुनरुत्थान शामिल था l लेकिन अंततः उनके पुनारुथित प्रभु के साथ उनका अनुभव उनके जीवनों को पूरी तरह से बदलने वाला था l अपने जीवन के अंत में, पतरस ने मसीह के रूपांतरण के साथ अपने मुठभेड़ का वर्णन उस समय के रूप में किया जब शिष्य “उसके प्रताप को [देखने वाले] पहले प्रत्याक्ष्साक्षी थे”  (2 पतरस 1:16) l 

जैसा कि प्रोफ़ेसर और शिष्यों ने सीखा, जब हम यीशु की सामर्थ्य का सामना करते हैं तो हम “जीवित तार” को छूते हैं l यहाँ कुछ हो रहा है l जीवित मसीह हमें बुलाता है l 

पूरी तरह से जाना हुआ

टो ट्रक ड्राईवर (खराब गाड़ी को दूसरी गाड़ी से खींचने वाला) ने मेरी माँ की कार को खड़ी पहाड़ी खड्ड के किनारे से खींचकर बाहर निकालने और दुर्घटना स्थल तक दिखाई देनेवाले टायर के निशानों का अध्ययन के बाद कहा, “आपको अभी यहाँ नहीं होना चाहिए l कोई वहाँ से आपकी निगरानी कर रहा है,” l उस समय मैं उनके गर्भ में था l जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, वह अक्सर उस कहानी को याद करती थी कि किस तरह उस दिन परमेश्वर ने हम दोनों के जीवनों को बचाया था, और उसने मुझे आश्वस्त किया कि परमेश्वर ने मेरे जन्म से पहले ही मुझे महत्त्व दिया था l 

हममें से कोई भी हमारे सर्वज्ञ (सब कुछ जाननेवाला) सृष्टिकर्ता के ध्यान से बच नहीं सकता है l 2,500 साल से अधिक पहले उसने नबी यिर्मयाह से कहा, “गर्भ में रचने से पहले ही मैं ने तुझ पर चित लगाया” (यिर्मयाह 1:5) l परमेश्वर हमें किसी भी व्यक्ति की तुलना में अधिक आत्मीयता से जानता है और किसी भी अन्य के विपरीत हमारे जीवन को उद्देश्य और अर्थ देने में सक्षम है l उन्होंने न केवल हमें अपनी बुद्धि और शक्ति द्वारा रचा, बल्कि वह हमारे अस्तित्व के हर क्षण को भी थामता है – जिसमें व्यक्तिगत विवरण शामिल हैं जो हर पल हमारी जागरूकता के बिना होते हैं : हमारे दिलों की धड़कन से लेकर हमारे दिमाग के जटिल कामकाज तक l इस बात पर चिंतन करते हुए कि हमारे स्वर्गिक पिता हमारे अस्तित्व के हर पहलु को एक साथ कैसे रखते हैं, दाऊद ने कहा, “मेरे लिए तो हे परमेश्वर, तेरे विचार क्या ही बहुमूल्य हैं!” (भजन 139:17) l 

परमेश्वर हमारी अंतिम साँसों की तुलना में हमारे करीब है l उसने हमें बनाया है, हमें जानता है और हमसे प्यार करता है, और वह हमारी आराधना और प्रशंसा के योग्य है l 

छोड़ने का आह्वान

एक युवती के रूप में, मैंने तीस साल की उम्र तक खुद को विवाहित और एक अच्छी नौकरी में रहने की कल्पना की – परन्तु ऐसा नहीं हुआ l मेरा भविष्य खाली होकर मेरे सामने मुँह बाये था और अपने जीवन के साथ क्या करना है के विषय मैंने संघर्ष किया l अंत में मैंने दूसरों की सेवा करके उसकी सेवा करने का मार्गदर्शन महसूस किया और सेमिनरी में दाखिला ले ली l तब यह वास्तविकता सामने आई कि मुझे अपने घर, मित्रों और परिवार से दूर जाना होगा l परमेश्वर की बुलाहट का प्रत्युत्तर देने के लिए, मुझे निकलना पड़ा l 

यीशु गलील के झील के निकट चल रहे थे जब उन्होंने पतरस और उसके भाई अन्द्रियास को जीविका के लिए झील में जाल डालते हुए देखा l उसने उनको आमंत्रित किया, “मेरे पीछे चले आओ, और मैं तुम को मनुष्यों के पकड़नेवाले बनाऊँगा” (मत्ती 4:19) l तब यीशु ने दो और मछुआरों, याकूब और उसके भाई युहन्ना को देखा और उन्हें भी वही निमंत्रण दिया (पद.21) l 

जब ये चेले यीशु के पास आए, उन्होंने भी कुछ छोड़ा l पतरस और अन्द्रियास ने अपने “जालों” को छोड़ा (पद.20) l याकूब और युहन्ना ने “नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए” (पद.22) l लूका ईसे इस तरह कहता है : “और वह नावों को किनारे पर ले आए और सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो लिए” (लूका 5:11) l 

यीशु की प्रत्येक बुलाहट में किसी और चीज़ से अलग होने की बुलाहट भी शामिल होती है l जाल l नाव l पिता l मित्र l घर l परमेश्वर हम सभी को अपने साथ एक रिश्ते के लिए बुलाता है l फिर वह हम में से प्रत्येक को सेवा करने के लिए कहता है l 

एक लक्ष्य और एक उद्देश्य

2018 में, एक अमेरिकी एथलीट(खिलाड़ी) कॉलिन ओब्रैडी ने एक ऐसी सैर की जो पहले कभी नहीं की गयी थी l अपने पीछे एक आपूर्ति स्लेज(बर्फ पर चलने वाली गाड़ी) को खींचते हुए, ओब्रैडी ने अकेले ही अंटार्कटिका की कठिन यात्रा की – 54 दिनों में कुल 932 मील l यह समर्पण और साहस की एक महत्वपूर्ण यात्रा थी l 

बर्फ, ठण्ड और कठिन दूरी में अकेले रहने पर, ओब्रैडी ने टिप्पणी की, “मैं पूरे समय एक गहरे प्रवाह की स्थिति में कैद था [पूरी तरह से प्रयास में डूबा हुआ], समान रूप से अंतिम लक्ष्य पर केन्द्रित, यद्यपि अपने मन को इस यात्रा के गहन पाठों को फिर से गिनने की अनुमति देता था l 

हममें से जिन्होंने यीशु पर अपना विश्वास रखा है, उनके लिए यह कथन एक परिचित स्वर बजाता है l यह विश्वासियों के रूप में बहुत कुछ हमारे आह्वान जैसा लगता है : लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित रखते हुए ऐसा जीवन जीना जो परमेश्वर का सम्मान (आदर) करता है और उसे दूसरों पर प्रकट करता है l प्रेरितों 20:24 में, पौलुस, जो खतरनाक यात्रा के लिए कोई अजनबी नहीं था, ने कहा, “मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता कि उस प्रिय जानूँ, वरन् यह कि मैं अपनी दौड़ को और सेवा को पूरी करूँ, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिए प्रभु यीशु से पाई है l” 

जब हम यीशु के साथ अपने संबंधों में आगे बढ़ते हैं, हम पहचाने कि हम अपनी यात्रा के उद्देश के बारे में क्या जानते हैं और उस दिन की ओर आगे बढ़ते जाएँ जब हम अपने उद्धारकर्ता को आमने-सामने देखेंगे l