Month: अगस्त 2020

प्रतिद्वंद्वी या सहयोगी

1947 में हुए बंटवारे के बाद से भारत और पाकिस्तान कई सालों से एक-दूसरे के साथ विवादों में रहे हैं,  हालांकि हर शाम किसी दूसरे के विपरीत झंडा उतारने

 की रस्म को वाघा बॉर्डर पर देखा जा सकता है l धूमधाम और भव्यता के साथ,  यह अत्यधिक नृत्य शैली (choreografted) में आयोजित दस्तूर दोनों देशों के सैन्यकर्मियों के एक तेज सलामी के साथ समाप्त होती है, और एक दोस्ताना हाथ मिलाने वाले मित्रवत संबंधों को दर्शाता है l संघर्ष के वर्षों और तीन बड़े युद्धों के बावजूद यह दैनिक बातचीत इन दोनों देश के पुरुषों के लिए एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्वक सामना करने का एक अवसर है,  हालांकि वे अपनी राष्ट्रीय सीमाओं से अलग हैं l

कुरिन्थुस में विश्वासियों ने अपने मुख्य सार्वजनिक मार्ग में सीमारेखा नहीं खींची होगी,  लेकिन वे विभाजित थे l वे उन लोगों के प्रति अपनी निष्ठा के परिणामस्वरूप झगड़ रहे हैं जिन्होंने उन्हें यीशु के बारे में सिखाया था : पौलुस, या अपुल्लोस, या कैफा(पतरस) l पौलुस ने उन सभी को “एक ही मन और एक ही मत” होकर चलने के लिए कहते हुए (1 कुरिन्थियों 1:10),  उनको यह याद दिलाया कि यह मसीह ही है जो उनके लिए क्रूस पर चढ़ाया गया,  न कि उनके आध्यात्मिक अगुए l

हम आज भी वैसा ही व्यवहार करते हैं, क्या यह सच नहीं है?  हम कभी-कभी उन लोगों का भी विरोध करते हैं,  जो विशिष्ट रूप से हमारे महत्वपूर्ण विश्वास को साझा करते हैं – जो उन्हें सहयोगी के बजाय उन्हें प्रतिद्वंद्वी बनाते हैं l जैसे मसीह स्वयं विभाजित नहीं है,  हम,  उसके सांसारिक प्रतिनिधि के रूप में - उसका शरीर हैं -  हमें असहमतियों को महत्वहीन बातों पर हमें विभाजित करने की अनुमति नहीं देना है l इसके बजाय,  हम उसमें अपनी एकता का उत्सव मानाएं l

अग्नि में परिस्कृत

चौबीस कैरेट सोना कुछ अशुद्धियों के साथ लगभग 100 प्रतिशत सोना है l लेकिन उस प्रतिशत को हासिल करना मुश्किल है l परिस्कृत करनेवाले(refiner) शोधन प्रक्रिया के लिए आमतौर पर दो तरीकों में से एक का उपयोग करते हैं l मिलर(Miller) प्रक्रिया सबसे तेज और कम खर्चीली है, लेकिन परिणामस्वरूप सोना केवल 99.95 फीसदी शुद्ध होता है l वोलविल(Wohlwill) प्रक्रिया में थोड़ा अधिक समय लगता है और लागत अधिक होती है,  लेकिन उत्पादित सोना 99.99 फीसदी शुद्ध होता है l

बाइबल के समय में,  परिस्कृत करने वाले(refiner) सोने के शोधक के रूप में आग का इस्तेमाल करते थे l आग से अशुद्धियाँ सतह पर आ जाती थीं जिसे आसानी से हटाया जा सकता था l पूरे एशिया माइनर (उत्तरी तुर्की) में यीशु के विश्वासियों को लिखे गए अपने पहले पत्र में  प्रेरित पतरस ने एक विश्वासी के जीवन में जिस तरह से आज़माइश काम करता है,  उसके लिए एक रूपक के रूप में सोने की शोधन प्रक्रिया का उपयोग किया l उस समय,  कई विश्वासियों को मसीह में उनके विश्वास के लिए रोमी लोगों द्वारा सताया जा रहा था l पतरस जानता था कि वह प्रत्यक्ष रूप से कैसा हो सकता था l लेकिन सताव, पतरस समझाता है, कि [हमारे] विश्वास को “बहुमूल्य” बनाता है (1 पतरस 1:7) l

शायद आप ऐसा महसूस करते हैं कि आप परिस्कृत करनेवाले(refiner) की आग में हैं – असफलता, बीमारी, या अन्य चुनौतियों का तपन महसूस कर रहे हैं l लेकिन कठिनाई अक्सर वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा परमेश्वर हमारे विश्वास के सोने को शुद्ध करता है l अपनी पीड़ा में हम ईश्वर से भीख माँग सकते हैं कि वह इस प्रक्रिया को जल्दी समाप्त कर दे,  लेकिन वह जानता है कि जीवन में पीड़ा होने के बावजूद भी, हमारे लिए सबसे अच्छा क्या है l उद्धारकर्ता से जुड़े रहें, उसके सुख और शांति की तलाश करें l

काफी बड़ा

मेरा पोता मनोरंजन पार्क में रोलर कोस्टर(टेढ़ा-मेढ़ा घुमावदार रेल-पथ) लाइन के निकट गया और ऊँचाई-अनिवार्यता संकेत से अपनी पीठ सटा कर यह देखने के लिए खड़ा हो गया कि क्या वह सवारी करने के लिए बड़ा है या नहीं l जब उसका सिर निशान से अधिक हो गया वह ख़ुशी से चीख उठा l

जीवन का बहुत कुछ काफी “बड़ा” होने के विषय है, है कि नहीं? एक चालाक की परीक्षा देना l मतदान करना l विवाह करना l मेरे पोते की तरह, हम अपने जीवन को बड़े होने के लिए तरसते हैं l

नए नियम के समय में, बच्चों को प्यार किया जाता था, लेकिन समाज में तब तक बहुत महत्व नहीं दिया गया जब तक कि वे “एक ख़ास उम्र के” नहीं हो जाते थे और घर में योगदान कर सकते थे और व्यस्क विशेषाधिकारों के साथ आराधनालय में प्रवेश कर सकते थे l यीशु ने दरिद्रों, रोगियों और यहाँ तक कि बच्चों का स्वागत करके अपने दिन के मानकों को तोड़ दिया l तीन सुसमाचार (मत्ती, मरकुस, और लूका) माता-पिता को छोटे बच्चों को यीशु के पास लाने के लिए कहते हैं ताकि वह उन पर हाथ रखे और उनके लिए प्रार्थना करें (मत्ती 19:13; मरकुस 10:16) l

व्यस्क जिसको असुविधा के रूप में देख रहे थे शिष्यों ने उसके लिए उनको फटकार लगाई l इस पर, यीशु “क्रोधित”  हुआ (मरकुस 10:14) और उसने अपनी बाँहों को छोटे बच्चों के लिए खोल दिया l उसने अपने राज्य में उनका मान बढ़ाया और सभी को बच्चों की तरह बनने की चुनौती दी – उनकी भेद्यता/कोमलता को अपनाने और उसे जानने के लिए उनकी आवश्यकता (लूका 18:17)। यह हमारी बच्चों की सी जरूरत है जो हमें उसके प्रेम को प्राप्त करने के लिए “बड़ा” बनाती है l

प्यार में भागना

सारा छोटी थी,  लेकिन "श्रेया" – जुझारू,  बड़ी महिला जो उसे आँखें तरेर कर देख रही थी – ने उसे डरायी नहीं l श्रेया ने यह भी नहीं कहा कि वह संकट गर्भावस्था केंद्र(crisis pregnancy center) में क्यों रुकी थी; वह पहले से ही “इस . . . बच्चे से छुटकारा पाने के लिए अपना मन बना चुकी थी l” इसलिए सारा ने धीरे-धीरे सवाल पूछे, और श्रेया ने रुखाई से ढिठाई के साथ आक्षेप लगाते हुए उन्हें हटाने की कोशिश की l जल्द ही श्रेया दिलेरी से अपनी गर्भावस्था को समाप्त करने के इरादे की घोषणा करते हुए उठकर जाने लगी l

श्रेया और दरवाजे के बीच अपने छोटे शारीर को लाते हुए, सारा ने पुछा, “इससे पहले कि तुम जाओ, क्या मैं तुम्हें गले लगा सकती हूँ, और क्या मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना कर सकती हूँ?” इससे पहले किसी ने भी उसे गले नहीं लगाया था – स्वस्थ्य इरादों के साथ, और वैसे भी नहीं l अचानक, अप्रत्याशित रूप से, आँसू आ गए l

सारा खूबसूरती से हमारे परमेश्वर के दिल की याद दिलाती है जो अपने लोग इस्राएल से “सदा प्रेम रखता” (यिर्मयाह 31:3) था l लोग उसके दिशानिर्देशों के लगातार उल्लंघन के कठिन परिणामों से ठोकर खाए थे l फिर भी परमेश्वर ने उनसे कहा, “मैंने तुझ पर अपनी करुणा बनाए रखी है l मैं तुझे फिर बसाऊंगा” (पद.3-4) l

ब्रिजेट का इतिहास(रोमांटिक हास्य फिल्म श्रृंखला) जटिल है l (हममें से अनेक उससे हमदर्दी रख सकते हैं l) जब तक कि वह उस दिन वास्तविक प्यार में नहीं पड़ी, तब तक उसका विश्वास था कि परमेश्वर और उसके अनुयायी केवल उसकी निंदा करेंगे l सारा ने उसे कुछ अलग दिखाया : वह परमेश्वर हमारे पाप को अनदेखा नहीं करता क्योंकि वह हमें कल्पना से परे प्यार करता है l वह खुली बाहों से हमारा स्वागत् करता है l हमें भागते रहने की ज़रूरत नहीं है l

आशा प्रफुल्लित होगी

हाल ही में अमेरिका के एक शहर में कुछ खाली भूखंडों को साफ़ करके उसमें खुबसूरत फूल और हरे पौधे लगाए गए l इससे इस पड़ोस के निवासियों के समग्र मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा और उनके जीवन के दृष्टिकोण में सुधार हुआ l

अमेरिका के एक प्रसिद्ध कॉलेज के एक प्रोफेसर ने कहा है “ऐसे सबूतों की बढ़ती हुई संख्या है जो यह बताती है कि हरित स्थान मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है,  और यह विशेष रूप से गरीब पड़ोस में रहने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण है l”

इस्राएल और यहूदा के कुचले हुए लोगों को यशायाह भविष्यवक्ता के दर्शन द्वारा तरोताज़ा आशा मिली कि परमेश्वर उनको खुबसूरत तरीके से पुनर्स्थापित करेगा l सभी विनाश और न्याय के बीच में, जो यशायाह ने भविष्यवाणी की थी,  इस उज्ज्वल प्रतिज्ञा ने जड़ जमा ली : “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर के समान फूलेगी l वह अत्यंत प्रफुल्लित होगी और आनंद के साथ जयजयकार करेगी” (यशायाह 35:1-2) l

आज हमारी जो भी स्थिति हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है,  हम भी अपने स्वर्गिक पिता के खुबसूरत तरीकों से आनन्दित हो सकते हैं जो हमें नई आशा के साथ पुनर्स्थापित करता है, जिसमें उसकी सृष्टि शामिल है l जब हम उदास महसूस करते हैं,  तो उसकी महिमा और वैभव पर विचार करना हमें संभालेगा l यशायाह ने प्रोत्साहित किया, “ढीले हाथों को दृढ़ करो और थरथराते हुए घुटनों को स्थिर करो” (पद.3) l

क्या कुछ फूल हमारी आशा को पुनः प्रज्वलित कर सकते हैं? एक नबी ने हाँ कहा l इसी प्रकार हमारे आशा-देनेवाले परमेश्वर ने भी l