Month: जनवरी 2021

बताने के लिए दौड़ना

आधुनिक मैराथन(लम्बी दौड़) एक यूनानी दूत,  फाईडीपीडस की कहानी पर आधारित है l किंवदंती के अनुसार,  490 ई.पू. में वह अपने दुर्जेय शत्रु, हमलावर फारसियों के खिलाफ यूनानियों की जीत की घोषणा करने के लिए मैराथन से एथेंस तक लगभग पच्चीस मील (चालीस किलोमीटर) दौड़ा l आज,  लोग एक एथलेटिक उपलब्धि की व्यक्तिगत संतुष्टि के लिए मैराथन दौड़ते हैं,  लेकिन फाईडीपीडस का उसके प्रयास के पीछे एक बड़ा उद्देश्य था : उसके प्रत्येक कदम उसके अपने लोगों को खुशखबरी देने के वास्तविक खुशी के लिए आगे बढ़े थे!

लगभग पाँच सौ साल बाद,  दो महिलाएँ भी खुशखबरी देने के लिए दौड़ पड़ीं - इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण खबर l जब मरियम और मरियम मगदलीनी उस कब्र पर पहुंचीं जहां यीशु को उसकी सूली पर चढ़ाने के बाद रखा गया था,  तो उन्होंने इसे खाली पाया l एक स्वर्गदूत ने उन्हें बताया कि यीशु “”मृतकों में से जी उठा [है]” और उन्हें “उसके शिष्यों को समाचार देने के लिए” दौड़कर जाना है (मत्ती 28:7) l महिलाएँ, जो उन्होंने पाया था “भय और बड़े आनंद के साथ,” शिष्यों को बताने के दौड़ीं (पद.8) l  

यीशु के पुनरुत्थान के सम्बन्ध में हमारे पास वही हर्षित उत्साह हो,  और वह हमें दूसरों के साथ खुशखबरी साझा करने के लिए मज़बूर करे l हमें अपने उद्धारकर्ता के बारे में किसी व्यक्ति को बताने के लिए जिसे हमारे उद्धारकर्ता के विषय जानना ज़रूरी है अगले दरवाजे से आगे “दौड़” लगाने की भी आवश्यकता नहीं है l उसने मृत्यु के विरुद्ध लड़ाई जीत ली है, ताकि हम हमेशा के लिए उसके साथ विजयी रह सकते हैं!

छोटी मछली

कई वर्षों तक,  भारत में रहने वाले एक जोड़े ने अपने शहर के एक व्यक्ति के साथ एक मजबूत मित्रता विकसित की और उसके साथ कई बार यीशु के प्रेम और उद्धार की कहानी साझा की l  हालाँकि, उनके मित्र,  भले ही यह समझ गये थे कि मसीह में विश्वास “अधिक महान सत्य था,” वे एक अन्य धर्म के प्रति आजीवन निष्ठा रखने में अनिच्छुक थे l  उनकी चिंता आंशिक रूप से वित्तीय थी,  क्योंकि वे अपने मत/धर्म में एक नेता थे और उन्हें मिलनेवाले मुआवजे पर निर्भर थे l उन्हें अपने समुदाय के लोगों के बीच अपनी प्रतिष्ठा खोने का भी डर था l

दुख के साथ,  उन्होंने समझाया, “ "मैं नदी में अपने हाथों से मछली पकड़ने वाले आदमी की तरह हूँ l मैंने एक में एक छोटी मछली पकड़ रखी है लेकिन एक बड़ी मछली पास ही तैर रही है l बड़ी मछली को पकड़ने के लिए,, मुझे छोटी को जाने देना होगा!”

धनी युवा शासक जिसके विषय मत्ती ने मत्ती 19 में लिखा के पास ऐसी ही समस्या थी l जब वह यीशु के पास गया,  तो उसने पूछा, “मैं कौन सा भला काम करूँ कि अनंत जीवन पाऊं?” (पद.16) l वह ईमानदार लग रहा था,  लेकिन वह अपने जीवन को पूरी तरह से यीशु को सौंपना नहीं चाहता था l वह धनी था, केवल धन में नहीं, लेकिन नियम-अनुयायी के अपने अहंकार में भी l यद्यपि वह शाश्वत जीवन चाहता था,  लेकिन वह कुछ और को अधिक प्यार करता था और उसने मसीह के शब्दों को खारिज कर दिया l

जब हम विनम्रतापूर्वक अपने जीवन को यीशु के सामने समर्पित करते हैं और उसके उद्धार का उपहार स्वीकार कर लेते हैं,  तो वह हमें आमंत्रित करता है,  "आकर, मेरे पीछे हो ले” (पद.21) l

परमेश्वर के पैरों के निशान

“मुझे पता है कि ईश्वर कहाँ रहते हैं,” हमारे चार वर्षीय पोते ने मेरी पत्नी, कैरी से बोला l “वह कहाँ है?” अपनी जिज्ञासा को जागते हुए देखकर, उसने पूछा l “वह आपके घर के बगल में जंगल में रहते हैं,” उसने उत्तर दिया l

जब कैरी ने मुझे अपनी बातचीत के बारे में बताया,  तो उसने सोचा कि उसकी सोच किस बात से प्रेरित थी l “मुझे पता है,” मैंने उत्तर दिया l “"जब वह पिछली बार आया था तो हम उसके साथ जंगल में घूमने गए थे, और मैंने उससे कहा था कि भले ही हम परमेश्वर को नहीं देख सकते,  लेकिन हम उसके द्वारा किये गए कार्यों को देख सकते हैं l” “क्या तुम मेरे द्वारा बनाए गए पैरों के निशान देखते हो?”  मैंने अपने पोते से पूछा था जब हमने एक नदी के किनारे रेतीले स्थान पर कदम रखे थे l “जानवर और पेड़ और नदी परमेश्वर के पैरों के निशान की तरह हैं l  हम जानते हैं कि वह यहाँ हैं क्योंकि हम उसके द्वारा बनाई गई चीजों को देख सकते हैं l

भजन 104 के लेखक ने भी सृष्टि में ईश्वर के प्रमाणों की ओर संकेत करते हुए कहा, “हे यहोवा, तेरे काम अनगिनित हैं! इन सब वस्तुओं को तू ने बुद्धि से बनाया है; पृथ्वी तेरी संपत्ति से परिपूर्ण है” (पद.24) l यहाँ बुद्धि के लिए पाया जाने वाला इब्री शब्द बाइबल में अक्सर कुशल शिल्पकारिता का वर्णन करने के लिए उपयोग किया गया है l प्रकृति में परमेश्वर के हाथ के कार्य उसकी उपस्थिति की घोषणा करती है और हमें उसकी प्रशंसा करने को प्रेरित करती है l

भजन 104 “हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह” (पद.1, 35) शब्दों से शुरू और समाप्त होता है l एक शिशु के हाथ से लेकर बाज के आँख तक, हमारे चारों-ओर हमारे सृष्टिकर्ता की कारीगरी उसके उत्कृष्ट कौशल को प्रगट करती है l आज हम इन सभी को आश्चर्य से स्वीकार्य करें – और इन सब के लिए उसकी प्रशंसा करें!

अटूट विश्वास

जब डॉक्टरों ने उनके पहले बच्चे को मनोरोग/उन्नति विकार(autism), से ग्रस्त बताया, उस युवा जोड़े ने दुखित होते हुए एक ज्ञान-सम्बन्धी निशक्त बच्चे के लिए जीवन भर की देखभाल का सामना किया l अपनी पुस्तक अनब्रोकन फ़ेथ(Unbroken Faith) में, अपने प्यारे बेटे के भविष्य के लिए अपने सपनों और उम्मीदों को समायोजित करने के लिए संघर्ष करना स्वीकार करती है l  फिर भी इस पीड़ादायक प्रक्रिया में, उन्होंने सीखा कि ईश्वर उनके क्रोध, शंकाओं और आशंकाओं को संभाल सकता है l अब, उनके बेटे के व्यस्क होने के साथ, डायना अपने अनुभवों का उपयोग विशेष जरूरतों वाले बच्चों के माता-पिता को प्रोत्साहित करने के लिए करती है l वह दूसरों को ईश्वर के अटूट वादों, असीम शक्ति, और प्रेममयी विश्वास के बारे में बताती है l वह लोगों को विश्वास दिलाती है कि जब हम किसी सपना, आशा, जीवन के एक मौसम के विनाश का अनुभव करते हैं, वह हमें दुखित होने की अनुमति देता है l

यशायाह 26 में, भविष्यवक्ता घोषणा करता है कि परमेश्वर के लोग प्रभु पर हमेशा भरोसा कर सकते है, “क्योंकि प्रभु . . . सनातन चट्टान है” (पद.4) l वह हमें हर स्थिति में अलौकिक शांति के साथ थामे रहने में सक्षम है (पद.12) l उसके अपरिवर्तनीय चरित्र पर ध्यान केंद्रित करना और परेशानी के समय उसको पुकारना हमारी आशा में नया प्राण भर देता है (पद.15) l

जब हम कोई हानि, निराशा, या कठिन परिस्थिति का सामना करते हैं, तो परमेश्वर हमें उसके साथ ईमानदार होने के लिए आमंत्रित करता है l वह हमारी निरंतर बदलती भावनाओं और हमारे सवालों को संभाल सकता है l वह हमारे साथ रहता है और स्थायी आशा के साथ हमारी आत्माओं को ताज़ा करता है l जब हम महसूस करते हैं कि हमारा जीवन बिखर रहा है, तब भी परमेश्वर हमारे विश्वास को अटूट बना सकता है l

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