हमारा दयालु परमेश्वर
सर्दियों की रात ठंडी थी जब किसी ने एक यहूदी बच्चे के शयनकक्ष की खिड़की के अन्दर एक बड़ा पत्थर फेंका l दाऊद का सितारा, मेनोरह(साथ दीपों वाला दीप स्तम्भ) के साथ दीपों का यहूदी पर्व हनुक्का(Hanukkah) मनाने के लिए खिड़की में लगाया गया था l अमेरिका के इस छोटे से शहर में, हजारों लोगों ने - जिनमें से कई लोग विश्वासी थे – इस घृणित कृत्य का प्रत्युत्तर दया से दी l अपने यहूदी पड़ोसियों की चोट और डर के समर्थन में, उन्होंने अपनी खिडकियों में मेनोरह के तस्वीर चस्पा दिए l
यीशु में विश्वासियों के रूप में, हम भी बहुत दया प्राप्त करते हैं l हमारे उद्धारकर्ता ने हमारे बीच निवास करने के लिए खुद को दीन किया (यूहन्ना 1:14), हमारे साथ पहचान बनायी l हमारी ओर से, उसने, “परमेश्वर के स्वरुप में होकर भी . . . अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरुप धारण किया” (फिलिप्पियों 2:6-7) l फिर, हमारे जैसा अनुभव करते हुए और हमारे जैसा रोते हुए, वह क्रूस पर मरा, हमारे जीवनों को बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया l
हम जितना भी संघर्ष करते हैं वह हमारे उद्धारकर्ता की चिंता से परे नहीं है l यदि कोई हमारे जीवन पर ‘पत्थर फेंकता है, वह(यीशु) हमें सुकून देता है l यदि जीवन निराशा लाती है, तो वह निराशा में हमारे साथ चलता है l “यद्यपि यहोवा महान् है, तौभी वह नम्र मनुष्य की ओर दृष्टि करता है” (भजन 138:6) l हमारी परेशानियों में, वह हमें बचाता है, “क्रोधित शत्रुओं के विरुद्ध” (पद.7) और हमारे गहरे भय, दोनों ही के विरुद्ध अपना हाथ बढाता है l परमेश्वर, आपके दयापूर्ण प्रेम के लिए धन्यवाद l
आपका गीत क्या है?
अधिकांश अमेरिकियों को 2015 तक, अलेक्जेंडर हैमिल्टन (एक अमेरिकी राजनेता और अमेरिका के संस्थापक पिता में से एक) के बारे में बहुत कम पता था, जब लिन-मैनुअल मिरांडा ने अपना हिट संगीत हैमिल्टन लिखा l अब अमेरिका के स्कूली बच्चे हैमिल्टन की कहानी को कंठस्थ कर चुके हैं l वे इसे बस में और अवकाश पर एक दूसरे को गाते हैं l
परमेश्वर संगीत की शक्ति को जानता है, और उसने मूसा से कहा, “यह गीत लिख लो, और तू इसे इस्राएलियों को सिखाकर कंठस्थ करा देना” (व्यवस्थाविवरण 31:19) l परमेश्वर जानता था कि मूसा के चले जाने के काफी समय बाद, जब वह इस्राएल को प्रतिज्ञात देश में पहुँचा चूका होगा, तो वे विद्रोह और दूसरे देवताओं की उपासना करेंगे l इसलिए उसने मूसा से कहा, “यह गीत इन पर साक्षी देगा, क्योंकि इनकी संतान इसको कभी भी नहीं भूलेगी” (पद.21) l
गीतों को भूलना लगभग असंभव है, इसलिए हम जो गाते हैं उसके बारे में चयनात्मक होना बुद्धिमानी है l कुछ गीत सिर्फ मनोरंजन के लिए हैं, और यह ठीक है, लेकिन हम उन गीतों से लाभ उठाते हैं जो यीशु में गर्व करते हैं और हमारे विश्वास को प्रोत्साहित करते हैं l उन तरीकों में से एक, जिससे हम “अवसर को बहुमूल्य [बनाते हैं]” वह है जब हम “आपस में भजन और स्तुतिगान और आत्मिक गीत [गाते हैं] l” इसलिए “अपने-अपने मन से प्रभु के सामने गाते और कीर्तन करते रहो” (देखें इफिसियों 5:15-19) l
गाने हमारे दिल की दिशा का सूचक हो सकते हैं l क्या शब्द यीशु के विषय बहुत कुछ कहते हैं? क्या हम उन्हें पूरे दिल से गाते हैं? हम जो गाते हैं वह हमारे विश्वास को प्रभावित करेगा, इसलिए बुद्धिमानी से चुनें और जोर से गाएं l
चक्र तोड़ना
डेविड की पहली पिटाई उसके पिता के हाथों उसके सातवें जन्मदिन पर हुई, जब उसने गलती से एक खिड़की तोड़ दी थी l “उन्होंने मुझे लात मारी और मुझे मुक्का मारा,” डेविड ने कहा l “बाद में, उन्होंने माफी मांगी l वे एक अपमानजनक शराबी थे, और अब मैं इस चक्र को समाप्त करने की पूरी कोशिश कर रहा हूँ l
लेकिन डेविड को इस मुकाम तक पहुंचने में काफी समय लगा l उसके अधिकांश किशोर वर्ष और बीस वर्ष के बाद के वर्ष जेल में या परीक्षा/परख काल में, और नशा उपचार केन्द्रों के बाहर अन्दर आते जाते हुए बीते l जब उसे लगा कि उसके सपने पूरी तरह से धराशायी हो गए हैं, तब उसने मसीह-केन्द्रित उपचार केंद्र में यीशु के साथ एक रिश्ते के द्वारा आशा प्राप्त की l
“मैं कुछ भी नहीं परन्तु निराशा से भरा हुआ था,” डेविड कहता है l अब मैं खुद को दूसरी दिशा में धकेल रहा हूँ l जब मैं सुबह उठता हूँ, तो पहली चीज जो मैं परमेश्वर को बताता हूं, वह यह है कि मैं अपनी इच्छा उसे समर्पण कर रहा हूँ l
जब हम ध्वस्त जीवनों के साथ परमेश्वर के पास आते हैं, चाहे वह दूसरों के या खुद के अन्याय के कारण है, परमेश्वर हमारे टूटे हृदयों को लेकर हमें नया बना देता है : “यदि कोई मसीह में है तो . . . पुरानी बातें बीत गयी हैं, सब बातें नई हो गयी है” (2 कुरिन्थियों 5:17) l मसीह का प्रेम और जीवन हमारे अतीत के चक्रों में तोड़कर घुस जाता है, जिससे हमें एक नया भविष्य मिलता है (पद.14-15) l और वह वहाँ खत्म नहीं होता है! हमारे सम्पूर्ण जीवन में, हम परमेश्वर के किये हुए काम और जो वह निरंतर हममें कर रहा है आशा और सामर्थ्य प्राप्त करते हैं – प्रत्येक और हर पल l
अपनी आँखें उठाओ
बादल नीचे होने के कारण, क्षितिज को अवरुद्ध कर दिया और दृश्यता को केवल कुछ सौ गज तक सीमित कर दिया l मिनट लम्बे होते चले गए l मेरे मिजाज़ पर प्रभाव ध्यान देने योग्य था l लेकिन फिर, जैसे-जैसे दोपहर करीब आता गया, बादल फटने लगे, और मैंने इसे देखा : खूबसूरत पहाड़; मेरे शहर का सबसे अधिक पहचानने योग्य सीमा चिन्ह, हर तरफ पर्वत श्रृंखला l मेरे चेहरे पर एक मुस्कान फूट पड़ी l मैंने विचार किया कि हमारे भौतिक दृष्टिकोण भी – हमारे देखने की वास्तविक रेखा - हमारी आध्यात्मिक दृष्टि को प्रभावित कर सकती है l और मुझे भजनकार की बात याद आयी, “मैं अपनी आँखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा” (भजन 121:1) l कभी-कभी बस हमें अपनी आंखें थोड़ी ऊंची करने की जरूरत होती है!
भजनहार ने सोचा कि उसकी मदद कहाँ से आती है, शायद इसलिए कि इस्राएल के आसपास के पहाड़ मूर्तियों को समर्पित वेदियों से भरे पड़े थे और अक्सर लुटेरे वहां मौजूद रहते थे l या हो सकता था क्योंकि भजनकार ने पहाड़ियों के पार सिय्योन पर्वत की ओर देखा जहाँ मंदिर खड़ा था, और याद किया कि पृथ्वी और स्वर्ग का सृष्टिकर्ता वाचा का उसका परमेश्वर था (पद.2) l किसी भी तरह, आराधना करने के लिए हमें ऊपर देखना होता है l हमें अपनी परिस्थितियों के ऊपर, अपनी परेशानियों और आजमाइशों के ऊपर, हमारे समय के झूठे ईश्वरों की खोखली प्रतिज्ञाओं के ऊपर अपनी आँखें उठानी होती है l तब हम सृष्टिकर्ता और उद्धारक को देख सकते हैं, जो हमें नाम से पुकारता है l यह वही है जो आज और हमेशा के लिए “तेरे आने जाने में तेरी रक्षा अब से लेकर सदा तक करता रहेगा” (पद.8) l
कागज़ के मुकुट
मेरे घर पर जन्मदिन की पार्टी के बाद, सभी ने मिठाई, छोटे खिलौने और कंफेटी से भरे रिटर्न गिफ्ट(वापसी उपहार) खोले । लेकिन इन उपहारों में कुछ और भी था - हममें से प्रत्येक के लिए कागज़ का एक मुकुट l जैसे ही हम मेज के चारों ओर बैठे, हम उनको पहनने से खुद को रोक न सके, और हम एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए l सिर्फ एक पल के लिए, हम राजा और रानी थे, यद्यपि हमारा राज्य एक भोजन कक्ष था जिसमें हमारे रात्री भोजन के अवशेष फैले हुए थे l
इससे बाइबल के एक वादे की याद आती है जिसके बारे में मैं अक्सर नहीं सोचती l अगले जीवन में, सभी विश्वासी यीशु के साथ राज्य करने का अधिकार प्राप्त करेंगे l पौलुस 1 कुरिन्थियों 6 में इसका उल्लेख करता है जहां वह पूछता है, “क्या तुम नहीं जानते कि पवित्र लोग जगत का न्याय करेंगे?” (पद.2) l पौलुस ने भविष्य के इस विशेषाधिकार का उल्लेख किया क्योंकि वह विश्वासियों को पृथ्वी पर शांति से विवादों को निपटाने के लिए प्रेरित करना चाहता था l वे एक-दूसरे पर मुकदमा कर रहे थे और परिणामस्वरूप अपने समुदाय में अन्य विश्वासियों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा रहे थे l
हम संघर्ष को सुलझाने में बेहतर हो जाते हैं जब पवित्र आत्मा हमारे भीतर आत्म-नियंत्रण, सौम्यता और धैर्य पैदा करता है l यीशु जिस समय पृथ्वी पर लौटेगा और हमारे जीवनों में आत्मा के कार्य को पूरा करेगा (1 यूहन्ना 3:2–3), हम “हमारे परमेश्वर के लिए एक राज्य और याजक . . . “और . . . पृथ्वी पर राज्य” करने के लिए अपनी अंतिम भूमिका के रूप में तैयार होंगे l (प्रकाशितवाक्य 5:10) l आइए इस प्रतिज्ञा को थामे रहें जो पवित्रशास्त्र में सोने के मुकुट में हीरे की तरह चमकता है l