छोटा लेकिन शक्तिशाली
उत्तरी अमेरिका के कठोर सोनोरान रेगिस्तान में रात के समय कई बार, कोई भी एक धुंधली, तेज चीख सुन सकता है l लेकिन आप शायद ध्वनि के स्रोत पर शक नहीं करेंगे – छोटा लेकिन शक्तिशाली ग्रासहॉपर माउस(चूहा का एक प्रजाति), अपने क्षेत्र को स्थापित करने के लिए चाँद की ओर सिर उठाकर चीखता है l
यह अनोखा कृंतक/rodent (उपनाम “भड़मानस माउस/werewolf mouse”) मांसाहारी भी है l वास्तव में, यह ऐसे प्राणियों का शिकार करता है जिसके साथ दूसरे उलझने की हिम्मत शायद ही करेंगे जैसे बिच्छू l लेकिन वेयरवुल्फ माउस विशिष्ट रूप से उस विशेष लड़ाई के लिए सुसज्जित है l इसके पास न केवल बिच्छू के जहर के प्रति प्रतिरोधक क्षमता है, बल्कि विषाक्त पदार्थों को दर्द निवारक में भी बदल सकता है!
इस लचीले छोटे चूहे के जीवित रहने और यहां तक कि उसके कठोर वातावरण में पनपने के विषय लगता है कि इसे विशेष-रूप से बनाया गया है जो कुछ प्रेरणादायक है l जैसा कि पौलुस इफिसियों 2:10 में बताता है, उस प्रकार की अद्भुत शिल्प कौशल परमेश्वर के लोगों के लिए भी उसकी अभिकल्पना को चरितार्थ करता है l हम में से हर एक यीशु में “परमेश्वर की शिल्पकारिता” हैं, जो विशिष्ट रूप से उसके राज्य में योगदान करने के लिए सुसज्जित है l कोई फर्क नहीं पड़ता कि परमेश्वर ने आपको कैसे प्रतिभाशाली बनाया है, आपके पास देने के लिए बहुत कुछ है l जब आप भरोसे के साथ स्वीकार करते हैं जो वह आपको होने के लिए बनाया है, तो आप उसमें जीवन की आशा और आनंद के लिए जीवित साक्षी होंगे l
तो जब आप अपने खुद के जीवन में किसी का भी सामना करते हैं जो आपको सबसे डरावना लगता है, हिम्मत न हारें l आप छोटा महसूस कर सकते हैं, लेकिन आत्मा के वरदान और सशक्तिकरण के द्वारा, परमेश्वर आपको शक्तिशाली काम करने के लिए उपयोग कर सकता है l
यह यीशु है!
लोकप्रिय अमेरिकी टेलीविज़न प्रतिभा प्रतियोगिता अमेरिका के पास प्रतिभा है(America’s Got Talent) के एक एपिसोड के दौरान, एक पांच वर्षीय लड़की ने इस तरह के उल्लास के साथ गाया कि एक जज ने उसकी तुलना 1930 के दशक के एक प्रसिद्ध बाल गायक और नृत्यांगना से की l उन्होंने टिप्पणी की, “"मुझे लगता है कि शर्ली टेम्पल(नाम) तुम्हारे अंदर कहीं रहती है l” उसकी अप्रत्याशित प्रतिक्रिया : “शर्ली टेम्पल नहीं l यीशु!”
मैं युवा लड़की की गहरी जागरूकता के विषय आचम्भित हुआ कि उसका आनंद यीशु का उसके अन्दर निवास करने से था l पवित्रशास्त्र हमें उस अद्भुत वास्तविकता से आश्वस्त करता है, कि सभी जो उस में भरोसा करते हैं, न केवल परमेश्वर के साथ अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा प्राप्त करते हैं, बल्कि उसकी आत्मा के द्वारा उनमें रहने वाली यीशु की उपस्थिति भी─हमारे हृदय यीशु के घर बन जाते हैं (कुलुस्सियों 1:27; इफिसियों 3:17) l
हमारे हृद्यों में यीशु की उपस्थिति हमें कृतज्ञता के अनगिनत कारणों से भरती है (कुलुस्सियों 2:6–7) l वह उद्देश्य और ऊर्जा के साथ जीने की क्षमता लाता है (1:28-29) l वह सभी परिस्थितियों में, उत्सव के समय और संघर्ष के समय, दोनों ही (फिलिप्पियों 4:12-13) के बीच हमारे हृद्यों में आनंद पैदा करता है l मसीह की आत्मा हमारे हृद्यों को आशा प्रदान करती है कि परमेश्वर सभी बातों के द्वारा भलाई उत्पन्न करेगा, उस समय भी जब हम देख नहीं सकते हैं (रोमियों 8:28) l और आत्मा एक शांति देती है जो हमारे चारों ओर घूमती अस्तव्यस्तता के बावजूद बनी रहती है (कुलुस्सियों 3:15) l
हमारे हृद्यों में रहने वाले यीशु से मिलनेवाले भरोसे के साथ, हम उसकी उपस्थिति को आरपार चमकने की अनुमति दे सकते हैं ताकि अन्य लोग उसे देखे बिना रह नहीं सकते l
एक मजबूत हृदय
अपनी पुस्तक फिअरफुली एंड वंडरफुली मेड(Fearfully and Wonderfully Made) में सह-लेखक, फिलिप यैंसी के साथ, डॉ पॉल ब्रैंड कहते हैं, “एक गुंजन पक्षी(humming bird) के दिल का वजन एक औंस का एक अंश होता है और एक मिनट में आठ सौ बार धड़कता है; एक ब्लू व्हेल के हृदय का वजन आधा टन होता है, जो प्रति मिनट केवल दस बार धड़कता है, और दो मील दूर सुना जा सकता है l इन दोनों में से किसी भी एक के विपरीत, मानव हृदय कमज़ोर सुस्त कार्यात्मक लगता है, फिर भी यह अपना काम करता है, दिन में 100,000 बार धड़कता है [एक मिनट में 65-70 बार] जिसके पास आराम के लिए कोई समय नहीं, और सत्तर साल या उससे अधिक उम्र तक हमें ले जाता है l”
अद्भुत हृदय हमें जीवन में इतनी अच्छी तरह से उर्जा देता है कि यह हमारे समग्र आंतरिक स्वास्थ्य का रूपक बन गया है l फिर भी, हमारे दोनों शाब्दिक और लाक्षणिक(metaphorical) दिल विफलता के लिए प्रवृत्त हैं l हम क्या कर सकते है?
इस्राएल का आराधना अगुआ, भजनकार आसाप ने भजन 73 में स्वीकार किया कि सच्ची ताकत कहीं न कहीं से—किसी से—अन्यथा से आती है l उसने लिखा, “मेरे हृदय और मन दोनों तो हार गए हैं, परन्तु परमेश्वर सर्वदा के लिए मेरा भाग और मेरे हृदय की चट्टान बना है” (पद.26) l आसाप सही था l जीवित परमेश्वर हमारी अंतिम और शाश्वत शक्ति है l स्वर्ग और पृथ्वी के निर्माता के रूप में, वह अपनी पूर्ण शक्ति के प्रति ऐसी कोई सीमा नहीं जानता है l
हमारी कठिनाई और चुनौती के समय में, हम यह जाने कि आसाफ ने अपने संघर्षों के द्वारा क्या सीखा : ईश्वर हमारे हृदयों की सच्ची ताकत है l हम हर दिन उस ताकत में विश्राम कर सकते हैं l
देखभाल की पत्रियाँ
दशकों पहले, डॉ. जेरी मोटो ने एक “देखभाल पत्र” की शक्ति की खोज की l उनके शोध ने पाया कि जिन रोगियों ने पहले आत्महत्या का प्रयास किया था, उनको देखभाल का एक पत्र भेजने से, पुनरावृत्ति की दर आधे से कम हो गयी l हाल ही में, स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं ने “देखभाल” इबारतें(texts), पोस्टकार्ड्स, यहां तक कि सोशल मीडिया मेम्स(memes-एक विचार या व्यवहार जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है) को अनुवर्ती उपचार के रूप में भेजते हुए इस शक्ति को फिर से खोजा है l
बाइबल में इक्कीस “किताबें” वास्तव में पत्र हैं—सन्देश पत्र(epistles)--पहली सदी के विश्वासियों को लिखे गए जो विभिन्न कारणों से संघर्षरत थे। पौलुस, याकूब, और यूहन्ना ने विश्वास और आराधना की मूल बातें समझाने, और कैसे झगड़े का समाधान किया जाए और एकता का निर्माण किया जाए को समझाने के लिए पत्र लिखे l
हालाँकि, प्रेरित पतरस ने, विशेष रूप से उन विश्वासियों को लिखा था, जिन्हें रोमन सम्राट, नीरो द्वारा सताया जा रहा था l पतरस ने उन्हें 1 पतरस 2:9 में उनका इस तरह का वर्णन करते हुए, “तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो” परमेश्वर के लिए उनके असली मूल्य की याद दिलायी l इसने उनके ध्यान को उनके संसार में उनके लिए परमेश्वर के महान उद्देश्य की ओर ले गया : “कि उसने तुम्हें अंधकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो l
हमारे महान परमेश्वर ने स्वयं हमें प्रेरित करने वाले पत्रों से भरी एक पुस्तक लिखी है--प्रेरित पवित्रशास्त्र--कि हमारे पास हमेशा उस आदर्श का एक रिकॉर्ड हो जो वह हमें अपना मानकर सौंपता है l हम उसके पत्रों को प्रतिदिन पढ़ें उन्हें दूसरों के साथ साझा करें जिन्हें यीशु द्वारा दी जाने वाली आशा की आवश्यकता है l
भय का तूफ़ान
हाल ही में मैंने एक टीवी विज्ञापन में देखा, एक महिला यूँ ही टीवी देखने वाले समूह में किसी से पूछती है, “मार्क, आप क्या खोज रहे हैं?” “खुद का एक संस्करण जो भय के आधार पर निर्णय नहीं लेता है,” वह सादगी से उत्तर देता है - यह एहसास नहीं करते हुए कि वह सिर्फ यह पूछ रही थी कि उसे टीवी पर क्या देखना पसंद है!
ठहरो, मैंने सोचा l मैं यह आशा नहीं कर रहा था कि एक टीवी विज्ञापन मुझपर इतनी गहराई से प्रहार करेगा! लेकिन मैं बेचारे मार्क से संबंधित था : कभी-कभी मैं भी उस तरह से शर्मिंदा महसूस करता हूँ जिस तरह कभी-कभी प्रतीत होता है कि डर मेरे जीवन को चला रहा है l
यीशु के शिष्यों ने भी डर की अथाह शक्ति का अनुभव किया l एक बार, जब वे गलील की झील के पार जा रहे थे (मरकुस 4:35), “तब बड़ी आँधी” आयी (पद.37) l डर ने उन्हें जकड़ लिया, और उन्होंने सुझाव दिया कि यीशु (जो सो रहा था!) शायद उनकी परवाह नहीं करेगा : “हे गुरु, क्या तुझे चिंता नहीं कि हम नष्ट हुए जाते हैं?” (पद.38) l
डर ने शिष्यों की दृष्टि को विकृत कर दिया, जिसके कारण वे उनके लिए यीशु के अच्छे इरादों को देखने में असमर्थ हो गए l आंधी और लहरों को डांटने के बाद (पद.39), मसीह ने दो तीखे प्रश्नों के साथ चेलों का सामना किया : “तुम क्यों डरते हो? क्या तुम्हें अब तक विश्वास नहीं?” (पद.40) l
तूफान हमारे जीवनों में भी उठते हैं, क्या ऐसा नहीं है? लेकिन यीशु के सवाल हमें अपने डर को परिप्रेक्ष्य में रखने में मदद कर सकते हैं l उनका पहला सवाल हमें अपने डर को नाम देने के लिए आमंत्रित करता है l दूसरा हमें उन विकृत भावनाओं को उसे सौंपने के लिए आमंत्रित करता है – उससे देखने वाली आँखें मांगता है कि वह जीवन के सबसे उग्र तूफानों में भी हमारा मार्गदर्शन कैसे करता है l