पवित्र आत्मा से मदद
जबकि मेरे सहपाठी और मैं विश्वविद्यालय में कभी-कभी होने वाले व्याख्यान को छोड़ देते थे, साल के अंत की परीक्षा से पूर्व सप्ताह में प्रोफ़ेसर क्रिस के व्याख्यान में अवश्य ही सभी उपस्थित होते थे l यह वह समय होता था जब वह परीक्षा प्रश्नों के विषय जो उन्होंने बनाया था हमेशा बड़े संकेत देते थे l
मैंने हमेशा आश्चर्य किया कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, जब तक मुझे एहसास नहीं हुआ कि प्रोफेसर क्रिस चाहते थे कि हम अच्छा करें l उनके पास उच्च मानक थे, लेकिन उनको पूरा करने में वे हमारी मदद करते थे l हमें केवल आकर सुनना था ताकि हम उचित तरीके से तैयारी कर सकते थे l
मेरे मन में भी अचानक आया कि परमेश्वर भी वैसा ही है l परमेश्वर अपने मानक से समझौता नहीं कर सकता है, लेकिन इसलिए कि उसकी इच्छा है कि हम उसके समान बने, उसने हमें उन मानकों को पूरा करने के लिए पवित्र आत्मा दिया है l
यिर्मयाह 3:11-14 में, परमेश्वर ने अविश्वासयोग्य इस्राएल से अपना दोष स्वीकार कर उसके पास लौटने का आग्रह किया l लेकिन यह जानकार कि वे कितने अड़ियल और कमजोर है, वह उनकी मदद करने वाला था l वह उनके भटकने को सुधारने की प्रतिज्ञा करता है (पद.22), और उसने उनको सिखाने और मार्गदर्शित करने के लिए चरवाहे भेजे (पद.15) l
यह जानना कितना आरामदायक है कि चाहे हम कितने बड़े पाप में फंसे हों या हम परमेश्वर से कितनी ही दूर चले गए हों, वह हमारी अविश्वसनीयता को चंगा करने के लिए तैयार है l हमें सिर्फ अपने गलत मार्ग को स्वीकार करना है और पवित्र आत्मा को हमारे हृदयों को बदलने के लिए पवित्र आत्मा को अनुमति देना है l
प्रार्थना का व्यक्ति
मेरा परिवार मेरे दादाजी को एक मजबूत विश्वास और प्रार्थना वाले व्यक्ति के रूप में याद करता है l लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था l मेरी चाची ने पहली बार याद किया कि उनके पिता ने परिवार से कहा, “हम खाने से पहले परमेश्वर को धन्यवाद देना आरम्भ करेंगे l” उनकी पहली प्रार्थना सार्थक नहीं थी, लेकिन दादाजी ने अगले पचास वर्षों तक प्रार्थना का अभ्यास जारी रखा, अक्सर पूरे दिन प्रार्थना करना l जब उनकी मृत्यु हुई , मेरे पति ने मेरे दादीजी को एक “प्रार्थना करनेवाले हाथ” वाली अलभ्य कलाकृति देते हुए कहा, “दादाजी प्रार्थना करने वाले व्यक्ति थे l” उनका परमेश्वर का अनुकरण और उससे बात करने का निर्णय ने उन्हें मसीह के एक विश्वासयोग्य सेवक में बदल दिया l
बाइबल प्रार्थना के विषय बहुत कुछ कहती है l मत्ती 6:9-13 में, यीशु ने अपने अनुयायियों को प्रार्थना का एक नमूना दिया, जिसमें उसने सिखाया कि ईश्वर जो है, उसके लिए उसके पास सच्ची प्रशंसा के साथ जाना चाहिए l जब हम अपने निवेदन परमेश्वर के पास लाते हैं, हम उससे “हमारी प्रतिदिन की रोटी” का प्रबंध करने के लिए भरोसा करते हैं (पद.11) l जब हम अपने अपराधों को मान लेते हैं, हम उससे क्षमा और परीक्षा से बचाने के लिए मदद मांगते हैं (पद.12-13) l
लेकिन हम “प्रभु की प्रार्थना” करने तक सीमित नहीं हैं l परमेश्वर चाहता है कि हम “सभी अवसरों” पर “सब प्रकार की प्रार्थना” करें (इफिसियों 6:18) l प्रार्थना हमारे आत्मिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है, और वह हमें प्रतिदिन उसके साथ निरंतर संवाद में रहने का अवसर देता है (1 थिस्सलुनीकियों 5:17-18) l
जब हम दीन हृदयों के साथ परमेश्वर के निकट जाते हैं जो उससे बात करने को लालायित रहते हैं, यह हमें उसे बेहतर जानने और प्रेम करने में मदद करे l
कोविड और उसके आगे
सन् २००४ में जब श्रीलंका और अन्य एशियाई देश भयंकर सुनामी द्वारा प्रभावित हुए, अजीत फरनानडो, जो उस समय पर राष्ट्रीय युवा मसीही संघ के डायरेक्टर थे, उन्होंने उस सुनामी के कारण आए अत्यधिक दुःख और पीड़ा को देखते हुए, एक मूल पुस्तिका लिखी थी जिसका शीर्षक था “सुनामी के बाद”। बाद में इसे अनुकूलित और इस्तेमाल किया गया अमेरिका…
क्षति के बाद का जीवन
"अंग्रेजी की यह कहावत " "गुड ग्रीफ (सुखद शोक)!" यदि आप इसके बारे में सोचे, तो यह एक अजीब कहावत है। ईमानदारी से, क्या शोक जैसी कोई चीज वास्तव में अच्छी होती है? जैसा कहा जाता है, वैसा है। नुकसान के साथ जीने से पता चलता है कि जब हम अपने नुकसान का शोक मनाते हैं तो आत्मा को कैसे…
खाली हाथ
रितेश शर्मिंदा हुआ जब वह दोपहर के भोजन के लिए आया और उसे एहसास हुआ कि वह अपना बटुआ भूल आया था l यह उसे इस बिंदु तक परेशान किया कि उसने विचार किया कि वह बिलकुल ही भोजन नहीं करेगा अथवा केवल कुछ पीने के लिए ले लेगा l अपने मित्र से कुछ निश्चयक मिलने पर, उसने अपना प्रतिरोध शांत किया l वह और उसका मित्र भोजन का आनंद लिए, और उसके मित्र ने ख़ुशी से बिल का भुगतान किया l
शायद हम इस दुविधा या किसी अन्य स्थिति से पहचान बना सकते हैं जो आपको प्रापक बना देता है l अपना भुगतान करना स्वाभाविक है, लेकिन ऐसे अवसर आते हैं जब हमें उदारता से जो दिया जाता है उसे हम नम्रतापूर्वक स्वीकार कर लें l
लूका 15:17-24 में किसी तरह का भुगतान हो सकता है जो छोटे बेटे के मन में था जो वह सोच रहा था कि वह अपने पिता से कहेगा l “अब इस योग्य नहीं रहा कि तेरा पुत्र कहलाऊं, मुझे अपने एक मजदूर के समान रख ले” (पद.19) l “मजदूर?” उसके पिता के पास ऐसा कुछ नहीं होता! उसके पिता की दृष्टि में, वह एक बहुत ही प्यारा बेटा था जो घर लौटा था l उसी रूप में उसका सामना उसके पिता के आलिंगन और स्नेही चुम्बन से हुआ (पद.20) l सुसमाचार का कितना शानदार तस्वीर! यह हमें याद दिलाता है कि यीशु की मृत्यु द्वारा उसने प्रेमी पिता को प्रगट किया जो खाली-हाथ लेकर आये अपने बच्चों’ का स्वागत खुली बाहों से करता है l एक गीत के लेखक ने इसे इस प्रकार वर्णन किया : “छूछे हाथ मैं आता हूँ, तेरा क्रूस मैं पकड़ा हूँ(Nothing in my hand I bring Simply to Thy cross I cling) l”
बाइबल की वह बड़ी कहानी
जब कॉलिन ने रंगीन कांच के टुकड़ों का वह डिब्बा खोला जो उसने ख़रीदा था, उसको वे टुकड़े नहीं मिले जो उसने प्रोजेक्ट के लिए आदेश किया था, उसे अखंड खिड़कियाँ मिलीं l उसने उन मूल खिडकियों के विषय पता किया और जाना कि उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध की बमबारी से बचाने के एक चर्च इमारत से निकला गया था l कॉलिन उसके कार्य की गुणवत्ता पर आचम्भित हुआ और किस तरह “टुकड़ों” से एक सुन्दर तस्वीर बनी थी l
यदि मैं इमानदारी से कहूँ, तो कई बार मैं बाइबल के ख़ास परिच्छेदों को खोलता हूँ──अध्याय जैसे जिसमें वंशावलियों की सूचियाँ हैं──और मैं तुरंत देख नहीं पाता हूँ कि किस तरह वे पवित्रशास्त्र की बड़ी तस्वीर में ठीक बैठती हैं l ऐसा ही उत्पत्ति 11 के साथ है──एक अध्याय जिसमें अपरिचित नामों और उनके परिवारों को दोहराया गया है, जैसे शेम, शेलह, एबेर, नाहोर, और तेरह (पद.10-32) l मैं इन भागों को हल्का लेने और उस भाग पर जाने के लिए प्रवृत्त होता हूँ जिसमें कुछ ऐसा है जो परिचित महसूस होता है और बाइबल के वृतांत की मेरी समझ “खिड़की” में आसानी से अनुकूल बैठती है l
इसलिए कि “सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और , , , लाभदायक है(2 तीमुथियुस 3:16), पवित्र आत्मा हमें समझने में बेहतर मदद कर सकता है कि कैसे एक टुकड़ा पूरे में अनुकूल बैठता है, और देखने के लिए हमारी आँखें खोलता है, उदाहरण के लिए, किस तरह शेलह अब्राम से सम्बंधित है (उत्पत्ति 11:12-26), दाऊद का पूर्वज और──अधिक महत्वपूर्ण तरीके से──यीशु (मत्ती 1:2,6,16) l वह हमें एक अखंडित खिड़की की निधि से चकित करने में आनंदित होता है जहाँ छोटे हिस्से भी परमेश्वर के मिशन/उद्देश्य की कहानी को सम्पूर्ण बाइबल में प्रगट करते हैं l