बुद्धि की आवश्यकता
पिता के बिना बड़े होने पर, रॉब ने महसूस किया कि वह बहुत सारे व्यवहारिक ज्ञान से वंचित रह गए हैं जो पिता अक्सर अपने बच्चों को देते हैं l न चाहते हुए कि किसी को महत्वपूर्ण जीवन कौशल की कमी हो, रॉब ने विडियो श्रृंखला “डैड, मैं कैसे करूँ?” बनाया जिसमें उसने एक शेल्फ कैसे सजाते हैं से लेकर एक टायर कैसे बदलते हैं, सब कुछ दर्शाया l अपने हितकर संवेदना और स्नेही शैली में, रॉब ने एक यूट्यूब सनसनी बनकर लाखों सब्सक्राइबर इकठ्ठा किये हैं l
हममें से कई लोग हमें मूल्यवान कौशल सिखाने के साथ-साथ कठिन परिस्थितियों को पार करने में मदद करने के लिए एक माता-पिता जैसे व्यक्तित्व की विशेषज्ञता की चाह रखते हैं l मूसा और इस्राएलियों के मिस्र के दासत्व से भागने के बाद और एक राष्ट्र के रूप में स्थापित होते समय उसे कुछ बुद्धि की आवश्यकता पड़ी l मूसा के ससुर, यित्रो ने उस तनाव को देखा जो लोगों के विवादों को हल करने में मूसा को हो रहा था l इसलिए यित्रो ने मूसा को नेतृत्व में जिम्मेदारियों को किस तरह बांटना है की विचारशील सलाह दी (निर्गमन 18:17-23) l “अपने ससुर की यह बात मन कर मूसा ने उसके सब वचनों के अनुसार किया” (पद.24) l
परमेश्वर जानता है कि हम सब को बुद्धि की ज़रूरत है l कुछ को धर्मी माता-पिता की आशीष मिलती है जो बुद्धिमान सलाह देते हैं, लेकिन यदि नहीं तो, हम परमेश्वर से बुद्धि मांग सकते हैं, जो उन सबको देता है जो मांगते हैं (याकूब 1:5) l वह पवित्रशास्त्र के पन्नों में भी बुद्धि दिया है, जो हमें याद दिलाता है कि जब हम दीनता और सच्चाई से बुद्धिमान की सुनते हैं, हम “अनंतकाल तक बुद्धिमान ठहरें” (नीतिवचन 19:20) और दूसरों के साथ साझा करने के लिए बुद्धि हो l

साधारण के रूप में ऐसी कोई बात नहीं
जब अनीता अपने नव्वेवां जन्मदिन पर अपनी नींद में गुज़र गयी, उनके जाने की शान्ति उनके जीवन की शांतता में प्रतिबिंबित होती दिखाई दी l एक विधवा होकर भी, उन्होंने अपना जीवन अपने बच्चों और अपने नाती-पोतों और चर्च में युवा महिलाओं का मित्र होने में समर्पित किया l
अनीता योग्यता या उपलब्धि में ख़ास उत्कृष्ट नहीं थी l लेकिन परमेश्वर में उसका गहरा विश्वास उसके जाननेवालों को प्रेरित करता था l मेरे एक मित्र ने कहा, “जब मुझे नहीं मालूम कि किसी समस्या के विषय मैं क्या करूँ, मैं किसी प्रसिद्ध उपदेशक या लेखक के शब्दों पर विचार नहीं करता हूँ l मैं सोचता हूँ कि अनीता क्या कहती l”
हममें से कई लोग अनीता की तरह हैं──साधारण जीवन जीने वाले साधारण लोग l हमारे नाम कभी भी ख़बरों में नहीं होंगे, और हमारे सम्मान में कभी स्माराकें बनायीं नहीं जाएंगी l लेकिन यीशु में विश्वास के साथ जीया हुआ जीवन कभी भी साधारण नहीं है l इब्रानियों 11 में सूचीबद्ध कुछ लोगों के नाम नहीं हैं (पद.35-38); वे अप्रसिद्धि के मार्ग पर चले और इस जीवन में प्रतिज्ञात ईनाम प्राप्त नहीं किये (पद.39) l फिर भी, इसलिए कि वे परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी थे उनका विश्वास बेकार नहीं गया l परमेश्वर ने उनके जीवनों का उपयोग उन तरीकों से किया जो उनकी कुख्याती की कमी से परे थे (पद.40) l
यदि आप अपने जीवन की प्रतीत होनेवाली सामान्य स्थिति के बारे में निराशा महसूस करते हैं, तो याद रखें कि ईश्वर में विश्वास रखने से जीवन अनंत काल तक प्रभावित होता है l अगर हम साधारण हैं, तो भी हम एक असाधारण विश्वास रख सकते हैं l

वर्तमान लड़ाई
जब आप बिजली के अपने उपकरणों को प्लग करते हैं, तो आपको गत उन्नीसवीं शताब्दी के एक कड़वे लड़ाई के परिणाम से लाभ होता है l उस समय, आविष्कारक थॉमस एडिसन और निकोला टेस्ला ने संघर्ष किया कि विकास के लिए किस प्रकार की बिजली सर्वोत्तम थी : एकदिश धारा/डायरेक्ट करंट(DC), उस तरह का करंट जो एक बैटरी से एक टोर्च में जाती है; या प्रत्यावर्ती धारा/अल्टरनेटिव करंट(AC), जो हमें एक बिजली आउटलेट से मिलती है l
आखिरकार, टेस्ला का AC विचार प्रभावी हुआ और घरों, व्यवसायों, और संसार में चारों ओर बिजली देने के लिए उपयोग होता आया है l AC लम्बी दूरी तक बिजली संचारित करने में अधिक सफल है और एक बुद्धिमान चुनाव साबित हुआ l
कभी-कभी हमें बुद्धि की ज़रूरत होती है जब हम यीशु में विश्वासियों के बीच चिंता के मुद्दों का सामना करते हैं (रोमियों 14:1-12 देखें) l प्रेरित पौलुस ने हमें ऐसे मामलों में स्पष्टता के लिए ईश्वर की मदद लेने का आह्वान किया l उसने कहा, “यदि किसी बात में तुम्हारा और ही विचार हो तो परमेश्वर उसे भी तुम पर प्रगट कर देगा” (फिलिप्पियों 3:15) l कुछ पदों के बाद, हम दो लोगों के परिणाम को देखते हैं जिन्होंने एक मतान्तर द्वारा अपने बीच फूट पड़ने दिया──एक झगड़ा जिसने पौलुस को दुखित किया : “मैं यूओदिया को भी समझाता हूँ और सुन्तुखे को भी, कि वे प्रभु में एक मन रहें” (4:2) l
जब भी कोई अंतर हमें अलग करना शुरू करता है, हम पवित्रशास्त्र में परमेश्वर का अनुग्रह और बुद्धि, परिपक्व विश्वासियों की सलाह, और प्रार्थना की सामर्थ्य को खोजें l आइये हम उसमें “एक मन [रहने] का यत्न करें (पद.2) l

परस्पर मदद करना
चक दे! इन्डिया 2002 की कॉमन वेल्थ गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम की जीत पर आधारित एक काल्पनिक बॉलीवुड फिल्म है l मुख्य दृश्यों में से एक में, कोच का किरदार निभाने वाले अभिनेता शाहरुख़ खान टीम को सखापन और टीम वर्क का भाव विकसित करने में मदद करता है l प्रारंभ में जब खिलाडी अपना परिचय देते हैं, तो वे अपना नाम और फिर अपने गृह राज्य का नाम बताते हैं l हालाँकि वह उन्हें सिखाता है कि वे अब एक राज्य के नहीं हैं, लेकिन वे एक टीम हैं──टीम इन्डिया l पारस्परिक समर्थन का यह मनोभाव उन्हें सफल बनाने में मदद करता है और अंततः विषय मंच पर जीत दिलाता है l
परमेश्वर अपने लोगों से एक दूसरे की मदद करने के लिए संगठित होने की इच्छा रखता है l प्रेरित पौलुस ने थिस्सलुनीकियों से “एक दूसरे की उन्नति का कारण [बनने] का आग्रह किया (1 थिस्सलुनीकियों 5:11) l परमेश्वर ने हमें अपने लोगों के परिवार में हमारे जीवन में समर्थन के लिए रखा है l मसीह में जीवन की राह पर चलते रहने के लिए हमें एक-दूसरे की आवश्यकता है l कभी-कभी इसका मतलब हो सकता है कि किसी ऐसे व्यक्ति की सुनना जो संघर्ष कर रहा है, व्यवहारिक ज़रूरत पूरा करना, या प्रोत्साहन के कुछ शब्द बोलना l हम सफलताओं का जश्न मना सकते हैं, एक कठिनाई में ताकत के लिए प्रार्थना कर सकते हैं, या विश्वास में बढ़ने के लिए एक दूसरे को चुनौती दे सकते हैं l और हर बात में, हम हमेशा “सब से भी भलाई ही की चेष्टा” (पद.15) कर सकते हैं l
यीशु के साथ-साथ परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए हम अन्य विश्वासियों के साथ मिलकर किस तरह के सखापन का आनंद ले सकते हैं!

घाटी में हमारे साथ
जब हैना विल्बरफ़ोर्स (प्रसिद्ध अमेरिकी राजनीतिज्ञ के चाची) मरने पर थी, उसने एक पत्र लिखा जिसमें उसने यीशु में एक साथी विश्वासी की मृत्यु के बारे में बताया : “वह प्रिय व्यक्ति धन्य है जो महिमा में प्रवेश कर गया है, अब यीशु की उपस्थिति में है, जिसे वह देखे बिना प्यार करता था l मेरा हृदय आनंद से उछल पड़ा l” उसके बाद उसने अपनी स्थिति का वर्णन किया : “मैं, बेहतर या बदतर; यीशु, हमेशा की तरह भला l”
उनके शब्द मुझे भजन 23 के विषय सोचने को विवश करते हैं, जहाँ दाऊद लिखता है, “चाहे मैं घोर अन्धकार से भरी हुई तराई [मृत्यु की छायावाली तराई] में होकर चलूँ, तौभी हानि से न डरूँगा; क्योंकि तू मेरे साथ रहता है” (पद.4) l ये शब्द पन्ने से बाहर कूदकर निकल आते हैं क्यों वे वहां हैं, मृत्यु की छाया वाली तराई के बीच, जहाँ दाऊद का परमेश्वर के विषय वर्णन अत्यंत व्यक्तिगत हो जाता है l वह भजन के आरम्भ में परमेश्वर के विषय बात करने के बाद──”यहोवा मेरा चरवाहा है”(पद.1) ──उससे बात कर रहा है : “क्योंकि तू मेरे साथ रहता है”(पद.4, italics जोड़ा गया है) l
यह जानना कितना आश्वस्त करनेवाला है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर जिसने “पृथ्वी और जगत की रचना की” (90:2) इतना तरस खानेवाला है कि वह सबसे कठिन स्थानों में भी हमारे साथ चलता है l चाहे हमारी परिस्थिति बेहतर या बदतर हो जाए, हम अपने चरवाहा, उद्धारकर्ता, और मित्र की ओर मुड़ सकते हैं और उसे “हमेशा अच्छा” ही पाएंगे l इतना भला कि मृत्यु स्वयं ही परास्त हो जाती है, और हम “यहोवा के धाम में सर्वदा वास [करेंगे]” (23:6) l