Month: अक्टूबर 2022

आनंदित धन्यवादी

मनोवैज्ञानिक रॉबर्ट एम्मन्स के एक अध्ययन ने स्वयंसेवकों को तीन समूहों में विभाजित किया, जिनमें से प्रत्येक ने पत्रिकाओं में साप्ताहिक प्रविष्टियां कीं। एक समूह ने पांच चीजें लिखीं जिनके लिए वे आभारी थे। एक ने पांच दैनिक परेशानियों का वर्णन किया। और एक नियंत्रण समूह ने उन पांच घटनाओं को लिखा जिन्होंने उन्हें छोटे रूप  से प्रभावित किया था। अध्ययन के परिणामों से पता चला कि कृतज्ञता समूह के लोग समग्र रूप से अपने जीवन के बारे में बेहतर महसूस करते थे, भविष्य के बारे में अधिक आशावादी थे, और स्वास्थ्य समस्याए कम थी ।

धन्यवाद देना हमारे जीवन को देखने के तरीके को बदलता है। धन्यवादी होना हमें और भी आनंदित बना है।

बाइबल में लंबे समय से परमेश्वर को धन्यवाद देने के लाभों की प्रशंसा की है, क्योंकि ऐसा करना हमें उसके चरित्र की याद दिलाता है। भजन संहिता बार-बार परमेश्वर के लोगों को धन्यवाद देने के लिए बुलाती है “क्योंकि यहोवा भला है, उसकी करूणा सदा के लिये,” (भजन 100:5) और उसके अटल प्रेम और अद्भुत कार्यों के लिए उसका धन्यवाद करने के लिए (107:8, 15, 21, 31) .

जैसे प्रेरित पौलुस ने फिलिप्पियों को लिखे अपने पत्र को समाप्त किया—यह पत्र अपने आप में एक कलीसिया है जिन्होंने उसकी सहायता की थी के लिए एक प्रकार का धन्यवाद-पत्र था—उसने आभारी प्रार्थनाओं को परमेश्वर की शांति के साथ जोड़ा " जो सारी समझ से परे है" (4:7)। जब हम परमेश्वर और उसकी भलाई पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हम पाते हैं कि हम बिना किसी चिंता के, हर स्थिति में, धन्यवाद के साथ प्रार्थना कर सकते हैं। धन्यवाद देने से हमें एक ऐसी शांति मिलती है जो हमारे दिल और दिमाग की अद्भुत रूप से रक्षा करती है और हमारे जीवन को देखने के तरीके को बदल देती है। कृतज्ञता से भरा हृदय आनंद की भावना का पोषण करता है।

परमेश्वर के वचन की सामर्थ

स्टीफन एक उभरते हुए हास्य अभिनेता और एक खर्चीले व्यक्ति थे। एक मसीही परिवार में पले-बढ़े, अपने पिता और दो भाइयों की विमान दुर्घटना में मृत्यु के बाद वह संदेह से जूझ रहे थे। अपने शुरुआती बीस वर्ष तक, उन्होंने अपना विश्वास खो दिया था। लेकिन एक रात शिकागो की ठंडी सड़कों पर  उसने उसे पाया। एक अजनबी ने उसे एक छोटा नया नियम दिया, और स्टीफन ने पन्ने खोले। एक सूचकांक में लिखा था कि चिंता से जूझ रहे लोगों को मत्ती 6:27-34 पढ़ना चाहिए,  जो यीशु का पहाड़ी उपदेश है।

स्टीफन ने वह पढ़ा, और शब्दों ने उनके हृदय में आग जला दी। वह याद करते हैं, "मैं बिल्कुल, तुरंत हल्का हो गया था। मैंने ठंड में सड़क के किनारे खड़े होकर वचन को पढ़ा, और मेरा जीवन पहले जैसा फिर न रहा।"

पवित्रशास्त्र की सामर्थ ऐसी है। बाइबल किसी भी अन्य पुस्तक से भिन्न है, क्योंकि यह जीवित है। हम सिर्फ बाइबल को नहीं पढ़ते हैं। बाइबल हमें पढ़ती है। " हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है; और प्राण और आत्मा को, ...आर-पार छेदता है...; मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है।" (इब्रानियों 4:12)।

पवित्रशास्त्र ग्रह पर सबसे शक्तिशाली शक्ति को प्रस्तुत करता है, एक ऐसी शक्ति जो हमें आत्मिक परिपक्वता की ओर ले जाती है। इसे खोलें और इसे ज़ोर से पढ़ें, परमेश्वर से हमारे हृदयों को प्रज्वलित करने के लिए कहें। वह वादा करता है कि उसके द्वारा बोले गए शब्द "व्यर्थ ठहरकर मेरे पास खाली न लौटेगा, परन्तु जो [वह चाहता है] उसे पूरा करेगा और जिस काम के लिए [उसने] उसको भेजा है उसे वह सफल करेगा" (यशायाह 55:11)। हमारा जीवन पहले के समान फिर न रहेगा।

परमेश्वर की शक्ति में आत्म-संयम

1972 में "मार्शमैलो टेस्ट" के रूप में जाना जाने वाला एक अध्ययन बच्चों की उनकी इच्छाओं की संतुष्टि में देरी करने की क्षमता को मापने के लिए किया गया था। बच्चों को आनंद लेने के लिए एक ही मार्शमैलो दिया गया, लेकिन उन्हें कहा गया था कि अगर वे इसे दस मिनट तक खाने से रुके रहते हैं, तो उन्हें एक और मार्शमैलो दिया जाएगा। लगभग एक तिहाई बच्चे बड़े इनाम के लिए रुके रहने में सक्षम थे। दूसरे एक तिहाई ने इसे तीस सेकंड के भीतर ही निगल लिया!

हम आत्मा-संयम दिखाने में संघर्ष कर सकते हैं  जब हमारे समक्ष कुछ ऐसा प्रस्तुत हो जिसकी हम लालसा रखते हैं , भले ही हम यह जानते हों कि प्रतीक्षा करने से हमें भविष्य में और अधिक लाभ होगा। तौभी पतरस हमें आत्म-संयम सहित कई महत्वपूर्ण गुणों को "अपने विश्वास पर सद्गुण," के लिए आग्रह करता है (२ पतरस 1:5-6)। यीशु में विश्वास रखने के बाद, पतरस ने अपने पाठकों को, और हमें, उस विश्वास के प्रमाण के रूप में भलाई, ज्ञान, दृढ़ता, आत्म-संयम, भक्ति, स्नेह, और प्रेम में " अत्यंत" बढ़ते रहने के लिए प्रोत्साहित किया (पद.5-8)।

हालांकि इन गुणों द्वारा न ही हम परमेश्वर की कृपादृष्टि कमाते और न ही यें स्वर्ग में हमारे स्थान को सुरक्षित करते हैं, यें दर्शाते है - स्वयं को और साथ ही उन सभी लोगों को जिनके साथ हम बातचीत करते हैं- हमें आत्म-संयम का प्रयोग करने की आवश्यकता है क्योंकि परमेश्वर ऐसा करने के लिए बुद्धि और शक्ति प्रदान करता है। और, सबसे अच्छी बात, उसने पवित्र आत्मा की शक्ति के द्वारा ".. सब कुछ जो जीवन और भक्ति [जीने के लिए आवश्यक] दिया है," जो उसे प्रसन्न करता है (पद 3)।

आकाश के पक्षी

गर्मियों का सूरज उग रहा था और मुस्कुराती हुई मेरी पड़ोसन ने मुझे अपने सामने के यार्ड में देखकर फुसफुसाया आओ देखो। "क्या?" मैं उत्सुकता से वापस फुसफुसाई। उसने अपने सामने के बरामदे पर एक विंड चाइम की ओर इशारा किया, जहां एक धातु के डंडे के ऊपर पुआल का एक छोटा प्याला रखा हुआ था। "एक चिड़ियों का घोंसला," वह फुसफुसाई। "बच्चों को देखो?" दो चोंच, सुई जैसी छोटी, ऊपर की ओर इशारा करते हुए मुश्किल से दिखाई दे रही थीं। "वे माँ की प्रतीक्षा कर रहे हैं।" हम वहाँ खड़े थे, अचंभित हो रहे थे। मैंने एक तस्वीर खींचने के लिए अपना सेल फोन ऊपर किया। "ज्यादा  करीब नहीं," मेरे पड़ोसन ने कहा। "माँ को डराना नहीं चाहते।" और इसके साथ ही, हमने दूर से ही - चिड़ियों के एक परिवार को अपनाया।

लेकिन बहुत लम्बे समय के लिए नहीं। एक और हफ्ते में, चिड़िया और बच्चे चले गए—उतनी ही चुपचाप से जितनी चुपचाप से आए थे। लेकिन उनकी देखभाल कौन करेगा?

बाइबल एक गौरवशाली परन्तु परिचित उत्तर देती है। यह इतना परिचित है कि हम वे सब भूल सकते हैं  जिसका ये वायदा करता है: " अपने प्राण के लिए.. चिन्ता न करना। " यीशु ने कहा (मत्ती 6:25)। एक सरल लेकिन सुंदर निर्देश। उन्होंने कहा। "आकाश के पक्षियों को देखो! वे न बोते हैं, न काटते हैं, और न खत्तों में बटोरते हैं; तौभी तुम्हारा स्वर्गीय पिता उन्हें खिलाता है" (पद 26)।

परमेश्वर जैसे छोटे पक्षियों की परवाह करता है, वैसे ही वह हमारी परवाह करता है - हमारे मन, शरीर, प्राण और आत्मा को पोषित करता है। यह एक महाप्रतापी वादा है। हम प्रतिदिन—बिना किसी चिंता के— उसकी ओर देखें और ऊंचा उड़ते जाएं।

एक अलग भविष्य की कल्पना

अमेरिका के छोटे से शहर नियोदेशा के तीन सौ मिडिल  और हाई स्कूल के छात्रों ने एक आश्चर्यजनक स्कूल असेंबली में प्रवेश किया। फिर वे यह सुनकर अविश्वास में बैठ गए कि उनके शहर से जुड़े एक दम्पति ने अगले पच्चीस वर्षों के लिए प्रत्येक नियोदेशा छात्र के लिए कॉलेज ट्यूशन का भुगतान करने का फैसला किया है। छात्र स्तब्ध, अति प्रसन्न और आँसुओ से भरे थे।

नियोदेशा आर्थिक रूप से बुरी तरह प्रभावित था, जिसका मतलब था कि कई परिवार इस बात को लेकर चिंतित थे कि कॉलेज के खर्चों को कैसे पूरा किया जाए। यह दान एक पीढ़ीगत परिस्थिति को बदलने वाला था, और दानदाताओं को यह आशा थी कि यह मौजूदा परिवारों को तो तुरंत प्रभावित करेगा ही, दूसरों को भी नियोदेशा में आने  के लिए प्रोत्साहित करेगा। उनकी इस उदारता के द्वारा वे नई नौकरियों, नई जीवन शक्ति-शहर के प्रज्वलित होने की कल्पना कर रहे थे।

परमेश्वर ने चाहा कि उसके लोग न केवल अपनी मूल आवश्यकताओं की ओर ध्यान देकर बल्कि अपने संघर्षरत पड़ोसियों के लिए एक नए भविष्य की कल्पना करके भी उदार बनें। परमेश्वर के निर्देश स्पष्ट थे: "फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे सामने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको सम्भालना;" (लैव्यव्यवस्था 25:35)। उदारता न केवल बुनियादी भौतिक जरूरतों को पूरा करने के बारे में थी, बल्कि इस बात पर भी विचार करने के बारे में थी कि एक समुदाय के रूप में उनके भविष्य के जीवन में एक साथ क्या आवश्यकता होगी। परमेश्वर ने कहा, "उसको सम्भालना; ...तेरे संग रहे। " (पद 35)।

देने का सबसे गहरा रूप एक अलग भविष्य की कल्पना करता है। परमेश्वर की विशाल, रचनात्मक उदारता हमें उस दिन की ओर प्रोत्साहित करती है जब हम सभी एक साथ पूर्णता और भरपूर जीवन जीएंगे।