विश्वास की छलांग
जैसे ही मैं रेन फारस्ट (वर्षा वन ) के सबसे ऊंचे स्थान से जिप लाइन पर चढ़ने को तैयार हुआ तो मेरे अंदर भय समा गया। मंच से कूदने से कुछ क्षण पहले, मेरे मन में हर उस बात के बारे में विचार आने लगे, जो गलत हो सकती है। परन्तु उस पूरे साहस के साथ जो मैं जुटा सकता था (और वापस मुड़ने के कुछ विकल्पों के साथ), मैंने मंच छोड दिया। जंगल की ऊंचाईयों से गिरते हुये हरे भरे पेड़ों से होकर मैं नीचे आ रहा था। हवा मेरे बालों से लग कर बह रही थी और धीरे धीरे मेरी चिन्ता लुप्त होने लगी; जैसे जैसे मैं हवा में ग्रैविटी को मुझे नीचे लाने दे रहा था, अगले मंच मुझे साफ नज़र आने लगा और धीरे से रुकने के बाद, मुझे पता चल गया कि मैं सुरक्षित पहुँच गया हूँ।
ज़िप लाइन पर बिताया गया मेरा समय मेरे लिए ऐसे समय के रूप चित्रित किया गया है जिसमें परमेश्वर हमसे नये और चुनौतीपूर्ण प्रयास करवाता है। जब हम संदेह और अनिश्चितता को महसूस करते हैं तो पवित्रशास्त्र हमें परमेश्वर पर अपना भरोसा रखने और “अपनी समझ का सहारा न लेने” की शिक्षा देता है (नीतिवचन 3:5)। जब हमारा मन भय और शंकाओं से भरा होता है, तो हमारे मार्ग अस्पष्ट और विकृत हो सकते हैं। परन्तु एक बार जब हमने परमेश्वर को अपना मार्ग सौंपने के द्वारा विश्वास में कदम उठाने का निर्णय ले लिया, तो “वह हमारे लिए सीधा मार्ग निकालेगा” (पद 6)। प्रार्थना और पवित्रशास्त्र में समय व्यतीत करने के द्वारा यह सीखकर कि परमेश्वर कौन है,हम विश्वास की छलांग लगाने के लिए और अधिक आश्वस्त हो जाते हैं।
जब हम परमेश्वर से जुड़े रहते हैं और उसे हमारे जीवन में बदलावों के माध्यम से हमारा मार्गदर्शन करने की अनुमति देते हैं,तो हम जीवन की चुनौतियों में भी स्वतंत्रता और शांति प्राप्त कर सकते हैं।
हमारी सुरक्षा का स्थान
सेवानिवृत्त शिक्षिका डेबी स्टीफेंस ब्राउनर अधिक से अधिक लोगों को पेड़ लगाने के लिए राजी करने के मिशन पर हैं। और इसका कारण क्या है? गर्मी है । संयुक्त राज्य अमेरिका में अत्यधिक गर्मी, मौसम सम्बन्धी मृत्यु होने का नम्बर एक कारण है। इसके उत्तर में वह कहती हैं, “मैं पेड़ों से आरम्भ कर रही हूँ।” समुदायों की रक्षा करने का एक महत्वपूर्ण तरीका गर्मी से बचाव का एक आवरण है जो पेड़ प्रदान करते हैं। "यह केवल समुदाय को सुंदर बनाने के बारे में नहीं है । यह जीवन या मृत्यु है। "
सच्चाई यह है कि छाया न केवल ताज़ा करती है, बल्कि संभावित रूप से जीवन रक्षक भी है, जिसके विषय में उस भजनकार को अच्छी रीति से मालूम होगा जिसने भजन संहिता 121 अध्याय लिखा था; मध्य पूर्व में लू लगने का खतरा लगातार बना रहता है। यह वास्तविकता हमारी सुरक्षा के निश्चित स्थान के रूप में परमेश्वर के उस भजन के स्पष्ट वर्णन में गहराई को जोड़ती है, जिसकी देखभाल में “न तो दिन को धूप से, और न रात को चाँदनी से [हमारी] कुछ हानि होगी” (पद 6)।
इस वचन का अर्थ यह नहीं हो सकता कि यीशु पर विश्वास करने वाले लोग इस जीवन में पीड़ा या नुकसान से किसी भी रीति से मुक्त हैं (या उनके लिए गर्मी खतरनाक नहीं है!)। आखिरकार, मसीह स्वयं ही हमसे कहता है,“इस संसार में तुम्हें क्लेश होता है” (यूहन्ना 16:33)। परन्तु हमारी छाया के रूप में परमेश्वर का यह रूपक हमें जीवंतता से इस बात के लिए आश्वस्त करता है कि जो कुछ भी हमारे मार्ग में आता है, उससे हमारे जीवन परमेश्वर की चौकस देखभाल की सुरक्षा में रखे जाते हैं (भजन संहिता 121:7-8)। वहाँ हम उस पर भरोसा करने के द्वारा विश्राम पा सकते हैं, यह जानते हुए कि कोई भी वस्तु हमें उसके प्रेम से अलग नहीं कर सकती है (यूहन्ना 10:28; रोमियों 8:39)।
परीक्षाओं के माध्यम से सामर्थी होना
जब मैंने कुछ लिफाफों में एक स्टिकर को देखा, जिस पर लिखा था,“मैंने आँखों की जाँच कराई है”, तो मेरी यादें फिर से ताजा हो गईं। अपने मन में मुझे अपने चार साल के बेटे का ध्यान आया जिसने अपनी आंखों में चुभने वाली दवा को सहन करने के बाद गर्व से यह स्टिकर लगा रखा था। आँख की कमजोर मांसपेशियों के कारण, उसे सही और शक्तिशाली आंख पर हर दिन घंटों तक पट्टी बांध कर रखना पड़ता था ताकि कमजोर आँख विकसित हो सके । उसे सर्जरी की भी आवश्यकता थी । उसने सांत्वना के लिए अपने माता-पिता के रूप में हमारी ओर देखते हुए, और बच्चों के समान विश्वास के साथ परमेश्वर पर निर्भर रहते हुए, एक-एक करके इन चुनौतियों का सामना किया। इन चुनौतियों के माध्यम से उसमें बहुत मजबूती (प्रतिरोध क्षमता) आ गई थी ।
जो लोग परीक्षाओं और कष्टों को सहन करते हैं, वे अक्सर उस अनुभव के द्वारा परिवर्तित हो जाते हैं। परन्तु प्रेरित पौलुस ने और आगे बढ़कर कहा कि “हम अपने क्लेशों में भी घमंड करें” क्योंकि उन्हीं के द्वारा हम धीरज को विकसित करते हैं। धीरज से खरा निकलना उत्पन्न होता है; और खरे निकलने से, आशा उत्पन्न होती है (रोमियों 5:3-4)। पौलुस निश्चय ही उन परीक्षाओं को जानता था, जिसमें न केवल जहाज़ों का टूटना था , बल्कि उसके विश्वास के लिए कारावास भी था। फिर भी उसने रोम के विश्वासियों को लिखा कि “आशा से लज्जा नहीं होती, क्योंकि पवित्र आत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है” (पद 5)। इस प्रेरित ने पहचान लिया कि जब हम परमेश्वर पर अपना भरोसा रखते हैं तो परमेश्वर का आत्मा यीशु में हमारी आशा को जीवित रखता है।
आप चाहे किसी भी कठिनाई का सामना करें,परन्तु यह जान लें कि परमेश्वर आप पर अपना अनुग्रह और दया उंडेलेगा। वहआप से प्रेम करता है।
एक प्रेमभरी चेतावनी
सन् 2010 में, सुमात्रा के इंडोनेशियाई द्वीप पर सूनामी आया, जिसमें चार सौ से अधिक लोग मारे गए। परन्तु यदि सुनामी की चेतावनी प्रणाली ठीक से काम कर रही होती तो उन मौतों को रोका या कम किया जा सकता था। सूनामी का पता लगाने वाले तंत्र (buoys) अलग हो गए थे और बहकर दूर चले गए थे।
यीशु ने कहा कि उसके चेलों की यह जिम्मेदारी है कि वे अपने साथी चेलों को उन बातों के बारे में चेतावनी दें जो उन्हें आत्मिक रूप से हानि पहुँचा सकती हैं, जिसमें वह पाप भी शामिल है जिसका पश्चाताप नहीं किया गया है। उसने एक ऐसी प्रक्रिया को रेखांकित किया जिसमें एक विश्वासी जिसने दूसरे के विरुद्ध पाप किया हो, वह विनम्रतापूर्वक, निजी तौर पर, और प्रार्थनापूर्वक अपराधी विश्वासी के पाप की ओर “संकेत” कर सकता है (मत्ती 18:15)। यदि वह व्यक्ति पश्चाताप करे, तो उस संघर्ष को सुलझाकर सम्बन्ध को बहाल किया जा सकता है। यदि वह विश्वासी पश्चाताप करने से इन्कार करता है, तो “एक या दो अन्य लोग”उस संघर्ष को सुलझाने में सहायता कर सकते हैं (पद 16)। यदि वह पापी व्यक्ति फिर भी पश्चाताप नहीं करता, तो इस मुद्दे को “कलीसिया” के सामने लाया जाना चाहिए (पद 17)। यदि वह अपराधी फिर भी पश्चाताप न करे,तो उस व्यक्ति को मंडली की संगति से निकाल देना चाहिए, परन्तु निश्चित रूप से उसके लिए अब भी प्रार्थना की जा सकती है और उस पर मसीह का प्रेम प्रकट किया जा सकता यीशु में विश्वासियों के रूप में,
आइए हम उस ज्ञान और साहस के लिए प्रार्थना करें जिसकी हमें आवश्यकता है, अपश्चातापी पाप के खतरों के बारे में एक दूसरे को प्यार से चेतावनी देने के लिए और हमारे स्वर्गीय पिता और अन्य विश्वासियों के लिए पुनःस्थापन की खुशियों के बारे में बताने के लिए। जब हम ऐसा करेंगेतो यीशु “वहाँ ... [हमारे] साथ” होगा (पद 20)।
हृदय के स्थान
यहाँ छुट्टियाँ मनाने के कुछ सुझाव दिए गए हैं: अगली बार जब आप संयुक्त राज्य अमेरिका में विस्कॉन्सिन केमिडलटन से होकर यात्रा कर रहे हों, तो हो सकता है कि आप राष्ट्रीय मस्टर्ड (सरसों)संग्रहालय की यात्रा करना चाहें। हम में से जो लोग ऐसा महसूस करते हैं कि एक सरसों ही बहुत होता है, उन्हें यह जगह आश्चर्य से भर देगी, जिसमें संसार भर से 6,090 विभिन्न सरसों को प्रस्तुत किया गया हैं।टेक्सास के मैक्लीन में, आप कंटीले तार वाले संग्रहालय में दौड़कर आश्चर्यचकित हो सकते हैं — या वहाँ इससे भी अधिक आश्चर्य की बात है बाड़ा लगाने के लिए विशेष जुनून।
यह बता रहा है कि हम महत्वपूर्ण बनाने के लिए किस प्रकार की चीजें चुनते हैं। एक लेखक का कहना है कि आप केले के संग्रहालय में दोपहर बिताने से भी बुरा कुछ और कर सकते हैं (यद्यपि हम इससे सहमत नहीं हैं।)।
हम मस्ती में हँसते हैं, फिर भी यह स्वीकार करना साहस की बात है कि हम अपने स्वयं के संग्रहालयों को बनाए रखते हैं — अर्थात् हृदय के ऐसे स्थान जहाँ हम अपनी स्वयं की बनाई हुई कुछ मूर्तियों का उत्सव मनाते हैं। परमेश्वर हमें निर्देश देता है कि“तू मुझे छोड़ दूसरों को परमेश्वर करके न मानना”(निर्गमन 20:3) और “तू उनको दण्डवत् न करना, और न उनकी उपासना करना” (पद 5)। लेकिन हम करते हैं, हम खुद के तराशे हुए देवता बनाते हैं — शायद धन या वासना या सफलता के ,या किसी अन्य रिक्त स्थान को भरने के लिए किसी “खजाने” की जिसकी हम गुप्त रूप से पूजा करते हैं।
इस अनुच्छेद को पढ़ते हुए इसके मतलब को छोड़ देना आसान है। हाँ, परमेश्वर हमें पाप के उन संग्रहालयों के लिए जवाबदेह ठहराता है जिनका निर्माण हम स्वयं ही करते हैं। परन्तु वह “[उससे] प्रेम रखनेवालों की हजारों पीढ़ियों पर करुणा करने” के बारे में भी बात करता है (पद 6)। वह जानता है कि हमारे “संग्रहालय” वास्तव में कितने तुच्छ हैं। वह जानता है कि केवल उसके लिए हमारे प्रेम में ही हमारी सच्ची संतुष्टि वास करती है।