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Articles by सिंडी हेस कैस्पर

भीतर से चूर-चूर

जब मैं किशोर था, मेरी माँ ने हमारे बैठक की दीवार पर एक भित्ति-चित्र(mural) पेंट  किया, जो कई वर्षों तक वहाँ रहा l इसमें प्राचीन यूनानी दृश्य दर्शाया गया था जिसमें एक खंडहर मंदिर के किनारे पड़े हुए सफ़ेद स्तम्भ, एक ढहता हुआ फव्वारा और एक टूटी हुई  मूर्ती थी l जब मैंने उस हेलेनिस्टिक वास्तुकला(सिकंदर महान के बाद की वास्तुकला) को देखा जो कभी बड़ी सुन्दर लगती थी, मैंने कल्पना करने की कोशिश की कि यह कैसे नष्ट हुआ था l मैं उत्सुक थी, खासकर जब मैंने सभ्यताओं की त्रासदी के बारे में अध्ययन करना शुरू किया, जो कभी महान और उन्नतशील थे, जो अन्दर से बिगड़कर और चूर-चूर हो गए थे l  

आज हम अपने आस-पास जो अधर्मी भ्रष्टता और प्रचंड विनाश देख रहे हैं वह परेशान करनेवाला हो सकता है l हमारे लिए यह स्वाभाविक है कि हम उन लोगों और राष्ट्रों की ओर इशारा करके समझाने का प्रयास करें जिन्होंने ईश्वर को अविकार किया है l लेकिन क्या हमें अपनी निगाहें अपने अन्दर भी नहीं करना चाहिए? पवित्रशास्त्र हमें पाखंडी होने के बारे में चेतावनी देता है, जब हम अपने हृदयों के अन्दर गहराई से न देखते हुए दूसरों को उनके पापी तरीकों से मुड़ने के लिए कहते हैं (मत्ती 7:1-5) l 

भजन 32 हमें अपने पाप देखने और अंगीकार करने की चुनौती देता है l यह केवल तभी संभव है जब हम अपने व्यक्तिगत पाप को पहचानते और स्वीकार करते हैं कि हम अपराध से मुक्ति और सच्चे पश्चाताप की ख़ुशी का अनुभव कर सकते हैं (पद.1-5) l और जैसे कि हम यह जानकार खुश होते हैं कि परमेश्वर हमें पूर्ण क्षमा प्रदान करता है, हम उस आशा को दूसरों के साथ साझा कर सकते हैं जो भी पाप से जूझ रहे हैं l 

प्रार्थना का व्यक्ति

मेरा परिवार मेरे दादाजी को एक मजबूत विश्वास और प्रार्थना वाले व्यक्ति के रूप में याद करता है l लेकिन हमेशा ऐसा नहीं था l मेरी चाची ने पहली बार याद किया कि उनके पिता ने परिवार से कहा, “हम खाने से पहले परमेश्वर को धन्यवाद देना आरम्भ करेंगे l” उनकी पहली प्रार्थना सार्थक नहीं थी, लेकिन दादाजी ने अगले पचास वर्षों तक प्रार्थना का अभ्यास जारी रखा, अक्सर पूरे दिन प्रार्थना करना l जब उनकी मृत्यु हुई , मेरे पति ने मेरे दादीजी को एक “प्रार्थना करनेवाले हाथ” वाली अलभ्य कलाकृति देते हुए कहा, “दादाजी प्रार्थना करने वाले व्यक्ति थे l” उनका परमेश्वर का अनुकरण और उससे बात करने का निर्णय ने उन्हें मसीह के एक विश्वासयोग्य सेवक में बदल दिया l 

बाइबल प्रार्थना के विषय बहुत कुछ कहती है l मत्ती 6:9-13 में, यीशु ने अपने अनुयायियों को प्रार्थना का एक नमूना दिया, जिसमें उसने सिखाया कि ईश्वर जो है, उसके लिए उसके पास सच्ची प्रशंसा के साथ जाना चाहिए l जब हम अपने निवेदन परमेश्वर के पास लाते हैं, हम उससे “हमारी प्रतिदिन की रोटी” का प्रबंध करने के लिए भरोसा करते हैं (पद.11) l जब हम अपने अपराधों को मान लेते हैं, हम उससे क्षमा और परीक्षा से बचाने के लिए मदद मांगते हैं (पद.12-13) l 

लेकिन हम “प्रभु की प्रार्थना” करने तक सीमित नहीं हैं l परमेश्वर चाहता है कि हम “सभी अवसरों” पर “सब प्रकार की प्रार्थना” करें (इफिसियों 6:18) l प्रार्थना हमारे आत्मिक स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य है, और वह हमें प्रतिदिन उसके साथ निरंतर संवाद में रहने का अवसर देता है (1 थिस्सलुनीकियों 5:17-18) l 

जब हम दीन हृदयों के साथ परमेश्वर के निकट जाते हैं जो उससे बात करने को लालायित रहते हैं, यह हमें उसे बेहतर जानने और प्रेम करने में मदद करे l 

परमेश्वर आपकी कहानी जानता है

जब मैं अपनी सबसे प्रिय मित्र के साथ दोपहर का भोजन करने के बाद घर लौट रही थी, मैंने ऊंची आवाज़ में उसके लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया l वह मुझे जानती है और मुझे उन बातों के बावजूद प्यार करती है जो मैं अपने बारे में पसन्द नहीं करती l वह एक छोटे समूह के लोगों में से एक है जो मुझे जैसी मैं हूँ स्वीकार करती है──विचित्रता, आदतें, और गड़बड़ियाँ l फिर भी, मेरी कहानी में ऐसे हिस्से हैं जो मैं उससे और दूसरों से जिन्हें मैं प्यार करती हूँ साझा नहीं करना चाहती──उन समयों में जब मैं वीरांगना/नायिका बिलकुल नहीं थी, समय जब मैं आलोचनात्मक या कठोर या प्रेमरहित थी l 

लेकिन परमेश्वर मेरी पूरी कहानी अवश्य जानता है l यद्यपि मैं दूसरों के साथ बात करने में हिचकिचाता हूँ वह ही है जिससे मैं स्वतंत्र रूप से बात कर सकता हूँ l 

भजन 139 के परिचित शब्द उस निकटता का वर्णन करते हैं जिसका आनंद हम अपने अधिराजा के साथ लेते हैं l वह हमें पूर्ण रूप से जानता है! (पद.1) l वह “[हमारे] पूरे चालचलन का भेद जानता है” (पद.3) l वह हमें हमारे समस्त भ्रम, हमारे बेचैन विचार, और संघर्षों और आजमाइशों के साथ अपने पास बुलाता है l वह आगे बढ़कर हमारी कहानी के उन हिस्सों को पुनर्स्थापित और फिर से लिखता है जो हमें दुखित करते हैं क्योंकि हम उससे भटक गए हैं l 

किसी और की तुलना में जो कभी हमें जान सकता है, परमेश्वर हमें बेहतर जानता है, और इसके बावजूद . . . वह हमसे प्रेम करता है! जब हम हर दिन अपने को उसे समर्पित करते हैं और उसे और अधिक पूर्णता से जानने की खोज जरते हैं, वह अपनी महिमा के लिए मेरी कहानी को बदल सकता है l रचयिता वह ही है जो उसे निरंतर लिख रहा है l 

परमेश्वर द्वारा प्रदत्त आनंद

जब दिव्या घर से बाहर होती है, वह हमेशा दूसरों के सामने मुस्कुराने की कोशिश करती है । यह उसका दूसरे लोगों तक पहुंचने का तरीका है जिन्हें एक मित्रवत चेहरा देखने की जरूरत है । उसे बदले में ज़्यादातर, एक वास्तविक मुस्कान मिलता है । परन्तु एक ऐसे समय में जब दिव्या को चेहरे पर मास्क पहनना पड़ा, उसने यह एहसास किया कि लोग अब उसका मुंह नहीं देख सकते थे, इस प्रकार कोई भी उसकी मुस्कराहट नहीं देख पाता था । यह दुख:द है, उसने सोचा, लेकिन मैं रुकने वाली नहीं l शायद वे मेरे आँखों में देखेंगे कि मैं मुस्कुरा रही हूँ ।

उस विचार के पीछे वास्तव में थोड़ा विज्ञान है । मुंह के कोने के लिए और वह जो आँखों को सिकोड़ती हैं वे मांसपेशियां एक के पीछे एक काम कर सकती हैं l यह डूशेन(Duchenne) मुस्कराहट कहलाता है और इसे “आँखों से मुस्कुराना” वर्णित किया गया है ।

नीतिवचन हमें याद दिलाता है कि “आँखों की चमक से मन को आनंद होता है” और “मन का आनंद अच्छी औषधि है” (15:30; 17:22) । अक्सर, प्रभु के बच्चों की मुस्कुराहट, उस अलौकिक आनंद से उपजती है जो हमारे पास है । यह परमेश्वर से एक उपहार है जो निरंतर हमारे जीवनों में उमंडता है, जब हम उन लोगों को उत्साहित करते हैं जो भारी बोझ उठाकर चल रहे हैं या उनके साथ साझा करते हैं जो अपने जीवन के सवालों के जबाब ढूंढ रहे हैं । यहाँ तक कि जब हम पीड़ा अनुभव करते हैं, तब भी हमारा आनंद चमक सकता है ।

जब जीवन अँधेरामय महसूस होता है, ख़ुशी का चुनाव करें l आपकी मुस्कराहट परमेश्वर के प्रेम और आपके जीवन में उसकी उपस्थिति के प्रकाश को प्रतिबिम्बित करने वाली आशा की एक खिड़की बनने दें l 

योजनाएं हैं?

लगभग अठारह वर्ष का एक युवक, कैडेन, एक अकादमिक छात्रवृत्ति पर अपनी पहली पसंद के कॉलेज में पढ़ने  की  उम्मीद कर रहा था l वह हाई स्कूल में एक कैंपस सेवकाई में शामिल था और नए वातावरण में इसी तरह की सेवकाई में भागदारी के लिए उत्सुक था l उसने अपने अंशकालिक नौकरी से पैसे बचाए थे और एक नई नौकरी में भी उसकी श्रेष्ठ बढ़त थी l उसने कुछ महान लक्ष्य स्थापित किए, और सब कुछ ठीक समय पर पूरा हो रहा था l

और फिर 2020 के वसंत में एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट ने सब कुछ बदल दिया l

स्कूल ने कैडेन को बताया कि उसका पहला सेमेस्टर शायद ऑनलाइन होगा  l कैंपस सेवा क्रमभंग हो चुकी थी  l व्यवसाय बंद होने पर नौकरी की संभावना ख़त्म हो गई  l  जब वह निराश हुआ,  उसके दोस्त ने एक प्रसिद्ध पेशेवर बॉक्सर के शब्दों को धाराप्रवाह रूप से उद्धृत किया  : “हाँ,   सभी के पास एक योजना होती है जब तक कि उन्हें अपने मुँह की नहीं खानी पड़ती है l”

नीतिवचन 16 हमें बताता है कि जब हम सब कुछ ईश्वर को समर्पित कर देते हैं,तो वह हमारी योजनाओं को स्थापित करेगा और अपनी इच्छा के अनुसार पूरा करेगा (पद. 3-4)  l हालांकि,  सच्ची प्रतिबद्धता कठिन हो सकती है   l इसमें ईश्वर के निर्देशन के लिए एक खुले  ह्रदय के साथ, अपने मार्ग की  रूप-रेखा तैयार करने की स्वतंत्रता का विरोध करना शामिल है (9; 19:21)  l

सपने जो मूर्त रूप नहीं लेते हैं वे निराशा ला सकते हैं, लेकिन भविष्य के लिए हमारी सीमित दृष्टि कभी भी परमेश्वर के सर्वज्ञ तरीकों का मुकाबला नहीं कर सकती है  l जब हम खुद को उसको समर्पित कर देते हैं,  तो हम निश्चित हो सकते हैं कि वह तब भी हमारे कदमों  को प्यार से निर्देशित कर रहा है जब हम आगे का रास्ता नहीं देख सकते हैं (16:9)  l

सुख दुःख में

28 जनवरी, 1986 को,  यूएस स्पेस शटल चैलेंजर(Challenger) उड़ान(take-off) के सैंतालीस सेकंड के बाद टूटकर बिखर गया l राष्ट्र को सांत्वना के एक भाषण में,  राष्ट्रपति रीगन ने “हाई फ्लाइट(HighFlight)” कविता से उद्धृत किया,  जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के पायलट जॉन गिलेस्पी मैगे ने “अंतरिक्ष की उच्च अपराजित पवित्रता” और अपना हाथ बढ़ाकर “परमेश्वर का चेहरा” स्पर्श करने के भाव के विषय लिखा था l

हालाँकि,  हम सचमुच ईश्वर के चेहरे को छू नहीं सकते हैं,  लेकिन हम कभी-कभी मोहक  सूर्यास्त या प्रकृति में ध्यान की एक ऐसी जगह का अनुभव करते हैं जो हमें एक बड़ा अभिभूत करने वाला आभास देता है कि वह निकट है l कुछ लोग इन क्षणों को “संकरा स्थान(thin places)” कहते हैं l स्वर्ग और पृथ्वी को अलग करने वाला अवरोध थोड़ा कम होता हुआ महसूस होता है l परमेश्वर थोड़ा और निकट महसूस होता है l

इस्राएलियों ने एक “संकरा स्थान” का अनुभव किया होगा जब उन्होंने रेगिस्तान के जंगल में परमेश्वर की निकटता को महसूस किया था l परमेश्वर ने मरुभूमि में उनकी अगुवाई करने में दिन में बादल का एक स्तंभ और रात में आग के खंभे का प्रबंध किया (निर्गमन 40:34-38) l  जब वे डेरे में ठहरे हुए थे, “यहोवा का तेज निवासस्थान में भर गया” (पद.35) l अपनी सारी यात्रा के दौरान,  वे जानते थे कि परमेश्वर उनके साथ है l

जब हम ईश्वर की रचना के अविश्वसनीय सौंदर्य का आनंद लेते हैं,  तो हम सचेत हो जाते हैं कि वह हर जगह मौजूद है l जब हम प्रार्थना में उसके साथ बात करते हैं,  उसे सुनते हैं,  और पवित्रशास्त्र पढ़ते हैं,  हम कभी भी और कहीं भी उसके साथ संगति का आनंद ले सकते हैं l

स्नेही सुधार

पचास से अधिक वर्षों तक, मेरे पिताजी ने अपने संपादन में उत्कृष्टता के लिए प्रयास किया l उनका जुनून केवल गलतियों की तलाश करना नहीं था, बल्कि प्रतिलिपि को स्पष्टता, तर्क, प्रवाह, और व्याकरण के संदर्भ में बेहतर बनाना था l पिताजी ने अपने सुधारों के लिए बजाय एक लाल के, हरे रंग के कलम का इस्तेमाल किया । हरे रंग का कलम जो उन्हें “मित्रवत” लगा, जबकि लाल रंग के काट(slash) एक नौसिखिया या कम आत्मविश्वास वाले लेखक के लिए अप्रिय हो सकते हैं l उनका उद्देश्य धीरे-धीरे एक बेहतर तरीका बताना था l
जब यीशु ने लोगों को सुधारा, तो उसने प्यार में ऐसा किया l कुछ परिस्थितियों में - जैसे कि जब वह फरीसियों के पाखंड का सामना कर रहा था (मत्ती 23)—उसने उन्हें कठोरता से डांटा, फिर भी उनके लाभ के लिए l लेकिन अपने मित्र मार्था के मामले में, केवल एक सौम्य सुधार की ज़रूरत थी (लूका 10:38–42) l जबकि फरीसियों ने उनकी फटकार का असंतोषजनक रूप से प्रत्युत्तर दिया, मार्था सबसे प्यारे मित्रों में से एक बनी रही (यूहन्ना 11:5) l
सुधार असहज हो सकता है और हम में से कुछ ही इसे पसंद करते हैं l कभी-कभी, हमारे अभिमान के कारण, इसे शालीनता से ग्रहण करना कठिन होता है l नीतिवचन की पुस्तक बुद्धि के बारे में बहुत बात करती है और संकेत करती है कि “सुधार पर मन लगाना” बुद्धि और समझ का प्रतीक है (15:31–32) l
परमेश्वर का प्रेमपूर्ण सुधार हमें अपनी दिशा को समायोजित करने और अधिक निकटता से उसका अनुसरण करने में मदद करता है l जो लोग इसका इनकार करते हैं उन्हें कड़ी चेतावनी दी जाती है (पद.10), लेकिन जो लोग पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा इसका प्रत्युत्तर देते हैं वे बुद्धि और समझ प्राप्त करेंगे (पद.31-32) l

विश्वास का निवेश

अपने बारहवें क्रिसमस पर, लड़के को ट्री के नीचे रखे उपहारों के खुलने का बेसब्री से इंतजार था l वह एक नई बाइक के लिए लालायित था, लेकिन उसकी उम्मीदें टूट गईं - उसे जो आखिरी उपहार मिला वह एक शब्दकोश था l पहले पन्ने पर, उसने पढ़ा : “मम्मी और डैडी की और से चार्ल्स के लिए, 1958 l स्कूल में तुम्हारे बेहतरीन काम के लिए प्यार और उच्च आशाओं के साथ l
अगले दशक में, इस लड़के ने स्कूल में अच्छा प्रदर्शन किया l वह कॉलेज से स्नातक किया और बाद में विमान प्रशिक्षण प्राप्त किया l वह विदेशों में काम करने वाला एक पायलट बन गया, जो जरूरतमंद लोगों की मदद करने और उनके साथ यीशु के बारे में लोगो को बताने के काम को पूरा किया l अब इस उपहार को प्राप्त करने के लगभग साठ साल के बाद, उसने अपने पौत्रों के साथ अपना जीर्ण-शीर्ण शब्दकोश साझा किया l वह उसके लिए उसके भविष्य में उसके माता-पिता के प्यार भरे निवेश का प्रतीक बन गया था, और वह अब भी उसे संजोता है l लेकिन वह अपने माता-पिता को उसे परमेश्वर और पवित्रशास्त्र के बारे में सिखाकर उसके विश्वास के निर्माण में किए गए दैनिक निवेश के लिए और भी अधिक आभारी है l
व्यवस्थाविवरण 11 बच्चों के साथ पवित्रशास्त्र के शब्दों को साझा करने के लिए हर अवसर को उपयोग्य करने के महत्व के बारे में बात करता है : “और तुम घर बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते-उठते इनकी चर्चा करके अपने बच्चों को सिखाया करना” (पद.19) l
इस लड़के के लिए, जब वह बच्चा था शाश्वत मूल्य तब स्थापित किये गए जो अपने उद्धारकर्ता के लिए जीवन भर परमेश्वर की सक्षमता से सेवा करने के लिए उमड़ा l कौन जनता है हमारा आत्मिक निवेश किसी के आत्मिक जीवन में कितना बढौती लायेगाl

छोटी मछली

कई वर्षों तक,  भारत में रहने वाले एक जोड़े ने अपने शहर के एक व्यक्ति के साथ एक मजबूत मित्रता विकसित की और उसके साथ कई बार यीशु के प्रेम और उद्धार की कहानी साझा की l  हालाँकि, उनके मित्र,  भले ही यह समझ गये थे कि मसीह में विश्वास “अधिक महान सत्य था,” वे एक अन्य धर्म के प्रति आजीवन निष्ठा रखने में अनिच्छुक थे l  उनकी चिंता आंशिक रूप से वित्तीय थी,  क्योंकि वे अपने मत/धर्म में एक नेता थे और उन्हें मिलनेवाले मुआवजे पर निर्भर थे l उन्हें अपने समुदाय के लोगों के बीच अपनी प्रतिष्ठा खोने का भी डर था l

दुख के साथ,  उन्होंने समझाया, “ "मैं नदी में अपने हाथों से मछली पकड़ने वाले आदमी की तरह हूँ l मैंने एक में एक छोटी मछली पकड़ रखी है लेकिन एक बड़ी मछली पास ही तैर रही है l बड़ी मछली को पकड़ने के लिए,, मुझे छोटी को जाने देना होगा!”

धनी युवा शासक जिसके विषय मत्ती ने मत्ती 19 में लिखा के पास ऐसी ही समस्या थी l जब वह यीशु के पास गया,  तो उसने पूछा, “मैं कौन सा भला काम करूँ कि अनंत जीवन पाऊं?” (पद.16) l वह ईमानदार लग रहा था,  लेकिन वह अपने जीवन को पूरी तरह से यीशु को सौंपना नहीं चाहता था l वह धनी था, केवल धन में नहीं, लेकिन नियम-अनुयायी के अपने अहंकार में भी l यद्यपि वह शाश्वत जीवन चाहता था,  लेकिन वह कुछ और को अधिक प्यार करता था और उसने मसीह के शब्दों को खारिज कर दिया l

जब हम विनम्रतापूर्वक अपने जीवन को यीशु के सामने समर्पित करते हैं और उसके उद्धार का उपहार स्वीकार कर लेते हैं,  तो वह हमें आमंत्रित करता है,  "आकर, मेरे पीछे हो ले” (पद.21) l