हर कहानी उसका नाम फुसफुसाती है
मैंने मनमौजी ढंग से बच्चों की सचित्र बाइबल खोलकर अपने पोते के लिए पढ़ना आरंभ कर दिया l तुरंत ही हम सम्मोहित हो गए जब परमेश्वर के प्रेम और प्रबंध की कहानी गद्य के रूप में खुलने लगी l अंश को चिन्हित करके, मैंने पुस्तक को पलटकर शीर्षक को एक बार फिर पढ़ना चाह : द जीसस स्टोरीबुक बाइबल : हर कहानी उसका नाम फुसफुसाती है l
हर कहानी उसका नाम फुसफुसाती है l हर एक कहानी l
अपने पुनरुत्थान के बाद, यीशु ने अपने दो चेलों से इम्माऊस के मार्ग पर मुलाकात की जिन्होनें उसे नहीं पहचाना और वह अपने संभावित उद्धारकर्ता की मृत्यु पर निराशा से संघर्ष कर रहे थे (लूका 24:19-24) l उनकी “आशा थी कि यही इस्राएल को छुटकारा देगा” (पद.21) l उसके बाद लूका लिखता है कैसे यीशु ने उनको आश्वस्त किया : “तब उसने[यीशु ने] मूसा से और सब भविष्यद्वक्ताओं से आरम्भ करके सारे पवित्शास्त्र में से अपने विषय में लिखी बातों का अर्थ, उन्हें समझा दिया” (पद. 27) l
हर कहानी उसका नाम फुसफुसाती है, कठिन कहानियाँ भी, क्योंकि वे हमारे संसार की व्यापक बर्बादी और एक छुटकारा देनेवाले की हमारी ज़रूरत दर्शाती हैं l हमें अपने पास वापस लाने के लिए, हर एक कार्य, घटना, हस्तक्षेप उसके अड़ियल प्रिय लोगों के लिए परमेश्वर द्वारा अभिकल्पित छुटकारे की ओर इशारा करते हैं l
यष्टि-चित्र(stick-figure) से सीख
मेरी एक सहेली – ठीक है, वह मेरी परामशदाता थी – ने एक कागज़ पर यष्टि चित्र(stick-figure) बनाया l उसने उसे निजी “व्यक्तित्व” संबोधित किया l उसके बाद उसने उस चित्र के चारोंओर रेखा खिंची, करीब आधा इंच बड़ा, और उसे “सार्वजनिक” व्यक्तित्व संबोधित किया l इन दोनों चित्रों में अंतर, निजी व्यक्तित्व और सार्वजनिक व्यक्तित्व, उस सीमा को दर्शाता है जिसमें हमारे पास ईमानदारी है l
मैं उनके पाठ पर विचार करके आश्चर्यचकित हुयी, क्या मैं सार्वजनिक रूप से वह व्यक्ति हूँ जो मैं व्यक्तिगत तौर से हूँ? क्या मैं ईमानदार हूँ?
पौलुस ने कुरिन्थुस की कलीसिया को पत्र लिखा, यीशु के समान बनने के लिए अपनी शिक्षा में प्रेम और अनुशासन को मिला दिया l जब वह इस पत्री(2 कुरिन्थियों) के अंत में पहुँचा, उसने दोष लगानेवालों को जिन्होनें उसकी सत्यता को चुनौती दी थी यह कहते हुए संबोधित किया कि वह अपने पत्रियों में दृढ़ था परन्तु व्यक्तित्व में निर्बल (10:10) l इन आलोचकों ने अपने श्रोताओं से धन प्राप्त करने के लिए व्यवसायिक भाषणबाज़ी का उपयोग किया l जबकि पौलुस के पास शैक्षणिक कौशल था, वह निष्कपटता और सादगी से बोलता था l “मेरे वचन, और मेरे प्रचार में ज्ञान की लुभानेवाली वातें नहीं,” उसने पहले की एक पत्री में लिखा था, “परन्तु [उसमें] आत्मा और सामर्थ्य का प्रमाण था” (1 कुरिन्थियों 2:4) l बाद की उसकी पत्री ने उसकी ईमानदारी को उजागर किया : “जो ऐसा कहता है, वह यह समझ रखे कि जैसे पीठ पीछे पत्रियों में हमारे वचन हैं, वैसे ही तुम्हारे सामने हमारे काम भी होंगे” (2 कुरिन्थियों 10:11) l
पौलुस ने अपने को सार्वजनिक रूप में और व्यक्तिगत रूप में एक सा दर्शाया l हमारे विषय क्या है?
भालू का गले लगाना
“भालू” मेरे पौत्र के लिए उपहार था – एक विशाल भरवा पशु फ्रेम में निहित प्रेम का ढेर लगाने वाली सहायता l डी शिशु का प्रतिउत्तर? पहले, आश्चर्य l अगला, एक आश्चर्यचकित विस्मय l उसके बाद, एक साहसी जांच पड़ताल को उकसाने वाली जिज्ञासा l उसने अपनी थुल-थुल ऊँगली भालू के नाक में कोंचा, और जब भालू उसकी बाहों में…
जो परमेश्वर देखता है
एक सुबह, मैं एक पारिवारिक-कमरे की खिड़की को थपथपाती हुयी निकली जहां से हमारे घर के पीछे का निर्जन-क्षेत्र दिखाई देता है l अक्सर, मैं एक बाज़ या एक उल्लू को किसी पेड़ पर बैठे हुए, उस क्षेत्र की निगरानी करते हुए देखती थी l एक सुबह मैं चकित हुयी जब मैंने एक बॉल्ड ईगल (एक ख़ास प्रजाति का चील) को एक ऊंची डाली पर निडरतापूर्वक संतुलित बैठे हुए, उस भू-भाग का अन्वेषण करती हुयी देखी मानो समूचा विस्तार उसी का था l कदाचित वह “नाश्ता” ढूँढ रहा था l उसका सम्पूर्ण ध्यान शानदार था l
2 इतिहास 16 में, हनानी भविष्यद्वक्ता (परमेश्वर का नबी) ने राजा को सूचित किया कि उसके कार्यों पर राजसी नज़र है l उसने यहूदा के राजा, आसा से कहा, “तू ने जो अपने परमेश्वर यहोवा पर भरोसा नहीं रखा वरन् आराम के राजा ही पर भरोसा रखा है” (पद.7) l तब हनानी ने समझाया, “देख यहोवा की दृष्टि सारी पृथ्वी पर इसलिए फिरती रहती है कि जिनका मन उसकी ओर निष्कपट रहता है, उनकी सहायता में वह अपनी सामर्थ्य दिखाए” (पद.9) आसा के अनुपयुक्त भरोसे के कारण, वह हमेशा युद्ध करता रहेगा l
इन शब्दों को पढ़ते हुए, हमें यह गलत बोध हो सकता है कि परमेश्वर हमारे प्रत्येक गतिविधि पर ध्यान देता है कि वह शिकार करनेवाले एक पक्षी के समान हम पर झपट सकता है l किन्तु हनानी के शब्द सकारात्मक पर केन्द्रित हैं l उसका मकसद है कि हमारा परमेश्वर निरंतर हमपर ध्यान देता है और हमारे लिए इंतज़ार करता है कि हम उसे ज़रूरत पड़ने पर पुकारें l
मेरे पीछे के अहाते में उस बॉल्ड ईगल की तरह, हमें यह गलत बोध हो सकता है, किस प्रकार परमेश्वर की आँखें हमारे संसार में फिरती हैं – अभी भी –आप में और मुझ में विश्वासयोग्यता खोजती है? वह किस प्रकार हमारी ज़रूरत के अनुसार हमें आशा और मदद देगा?
आपके लिए हाथ का बना
मेरी दादी एक कुशल दर्जिन थीं जिन्होंने अपने स्थानीय नगर टेक्सस में अनेक प्रतियोगिताएँ जीती थीं। मेरे सम्पूर्ण जीवन में अपने हाथ से सिले गए उपहारों से उन्होंने अनेक विशेष अवसर प्रदान किए। मेरे माध्यमिक स्कूल में उतीर्ण होने पर गहरे जामुनी रंग की महीन चिकने ऊन से बनी हुई एक स्वेटर। मेरे विवाह के लिए फिरोज़ी रजाई। मैं प्रत्येक हाथ से बनाई हुई चीज़ का एक कोना उनके हस्ताक्षर वाली पट्टी देखने लिए मोड़ती थी, जिसपर यह लिखा होता था, “मुन्ना के द्वारा आपके लिए हाथ से बनाया गया।” बुने हुए प्रत्येक शब्द के साथ मैंने मेरे लिए मेरी दादी के प्रेम का अहसास किया और मेरे भविष्य के लिए उनके विशवास का एक सामर्थी वाक्य प्राप्त किया।
पौलुस ने इफिसियों को उनके इस संसार में होने के उद्देश्य को दिखने के लिए लिखा, उन्हें “उसके बनाए हुए...और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिए सृजे गए” बताया (2:10)। यहाँ “उसके बनाए गए” कला या उत्कृष्ट कृति के एक कार्य की ओर संकेत करता है। पौलुस आगे उल्लेख करना जारी है कि हमें बनाने में परमेश्वर की हस्तकला का परिणाम हमारे संसार में परमेश्वर की महिमा के लिए हमारे द्वारा भले कामों-या यीशु के साथ हमारे पुनर्स्थापित सम्बन्ध का प्रकटन-का करना होगा। हम अपने भले कामों से कदापि नहीं बचाए जा सकते, परन्तु जब परमेश्वर का हाथ हमें अपने उद्देश्य के लिए बनाता है, तो वह दूसरों को अपने महान प्रेम की ओर लाने में हमें इस्तेमाल कर सकता है।
सूई पर अपने झुके हुए सर के साथ मेरी मुन्ना के हाथ से बनी चीज़ें मेरे प्रति उनके प्रेम और उनके इस जोश को प्रदर्शित करते हैं कि मैं इस गृह पर अपने उद्देश्य को समझ लूंगी। और उनकी ऊँगलियाँ मेरे दिन की घटनाओं को आकार देती हैं, परमेश्वर उनके प्रेम और उद्देश्य को हमारे हृदयों के साथ सिल देता है ताकि हम अपने लिए उन्हें अनुभव कर सकें और उनकी हस्तकला का दूसरों पर प्रदर्शन कर सकें।
सन्दर्भ से बाहर
जब मैं अपनी फ्लाइट में चढ़ने के लिए कतार में खड़ी थी, तो किसी ने मेरा कन्धा थपथपाया। मैं मुड़ी और मुझे एक बहुत मीठा अभिनन्दन मिला। “एलिसा! क्या तुम्हें मैं याद हूँ? मैं जोअन हूँ!” मेरे मन में अनेक जोअन आ गई जिन्हें मैं जानती थी, परन्तु मैं उसे नहीं पहचान पाई। क्या वह एक पुरानी पड़ोसन थी। एक पुरानी सहकर्मी थी? ओह...मैं नहीं जानती।
मेरे संघर्ष को महसूस करके, जोअन ने उत्तर दिया, “एलिसा, हम एक दूसरे को हाई स्कूल से जानते थे।” शुक्रवार की रात की फुटबाल गेम्स, स्टेडियम में खड़े हो कर चिल्लाना। एक बार जब सन्दर्भ साफ़ हो गया, तो मैंने जोअन को पहचान लिया।
यीशु की मृत्यु के बाद, मरियम मगदलीनी तड़के ही कब्र पर गई और पत्थर को लुढ़का हुआ और उसकी देह को गायब पाया (यूहन्ना 20:1-2) । वह पतरस और यूहन्ना को बुलाने के लिए भागी, और वे उसके साथ खाली कब्र को देखने के लिए लौटे (पद 3-10) । परन्तु वह दुःख में बाहर ही खड़ी रही (पद 11) । जब यीशु वहाँ दिखाई दिया, “उसने नहीं पहचाना कि यह यीशु था” (पद 14), उसने सोचा कि यह तो कोई माली है (पद 15) ।
उसने यीशु को कैसे नहीं पहचाना? क्या उसकी पुनरुत्थित देह इतनी बदल गई थी कि उसे पहचाना भी कठिन हो गया था? क्या उसके दुःख ने उसकी पहचान को छिपा दिया था? या शायद, मेरी तरह, क्या यह इसलिए था कि यीशु कब्र में मरे हुए होने के स्थान पर बगीचे में जिन्दा “सन्दर्भ से बाहर” था, इसलिए वह उसे पहचान ही नहीं पाई?
हम भी यीशु से कैसे चूक जाएँगे, यदि वह हमारे समय में आ जाए-प्रार्थना या बाइबल-अध्ययन के दौरान या साधारणत: हमारे दिलों में फुसफुसा रहा हो?
असीमित आयाम
मैं शान्त हो कर विनाइल से ढकी हुई चटाई पर लेटी हुई थी, जब संकेत देने पर मशीन घरघराई और आवाज़ की, तो मैंने अपनी साँस रोक लीl मुझे पता था कि अनेक लोग एमआरआई का सामना कर चुके हैं, परन्तु मेरे जैसे घबराए हुए व्यक्ति के लिए इस अनुभव में डटे रहने के लिए मुझ से कहीं अधिक साहसवान व्यक्ति की आवश्यकता थीl मेरे मस्तिष्क में, पवित्रशास्त्र से एक वाक्यांश--उसके प्रेम की... चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, और गहराई कितनी है” (इफिसियों 3:18) मशीन की घरघराहट के साथ तालमेल में चल रहा थाl इफिसियों की कलीसिया के लिए पौलुस की प्रार्थना में उसने परमेश्वर के प्रेम और उसकी उपस्थिति के अनन्त मापदण्ड पर बल देने के लिए परमेश्वर के प्रेम के चार आयामों का वर्णन कियाl
एमआरआई की मशीन पर लेटे हुए मेरी स्थिति ने मेरी समझ को एक नया रूप उपलब्ध करवायाl चौड़ा: दोनों ओर छ: इंच जहाँ उस ट्यूब में मेरी दोनों बाँहों को कस कर मेरे शरीर से बांधा गया थाl लम्बा: उस सिलेण्डर के दोनों ओर के छेदों की लम्बाई, जो मेरे सिर से पैरों तक थीl ऊँचा: मेरी नाक से उस ट्यूब की छत तक l गहरा: उस ट्यूब का सहारा, जिससे वह ट्यूब मेरे नीचे भूमी पर टिकी हुई थी, जिसने मुझे ऊपर थामा हुआ थाl चारों आयाम परमेश्वर की उपस्थिति का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे थे, जिसने मुझे एमआरआई की उस ट्यूब—और जीवन की प्रत्येक परिस्थिति में घेर और थाम रखा थाl
परमेश्वर का प्रेम हमारे चारों ओर हैl चौड़ा: वह हर स्थान के लोगों तक पहुँचने के लिए अपनी बाँहों को फैलाता है l लम्बा: उसका प्रेम कभी समाप्त नहीं होता हैl ऊँचा: वह हमें ऊँचा उठाता हैl गहरा: हमें हर परिस्थिति में थमे रखने के लिए वह नीचे झुक जाता हैl हमें कुछ भी उससे अलग नहीं कर सकता! (रोमियों 8:38-39)l
“बच्चे की आशा” ट्री
सफ़ेद चमकने वाली बत्तियों से क्रिसमस ट्री को लपेटने के बाद, मैंने उसकी डालियों पर गुलाबी और नीले बो बाँध कर उसे “बच्चे की आशा” क्रिसमस ट्री नाम दिया l हम दोनों पति-पत्नि चार वर्षों से अधिक समय से एक बच्चे को गोद लेना चाह रहे थे l निश्चय ही क्रिसमस के समय तक!
प्रति भोर मैं उस ट्री के निकट खड़ी होकर प्रार्थना करती हुयी, खुद को परमेश्वर की विश्वासयोग्यता याद दिलाती थी l दिसम्बर 21 को हमें खबर मिली : क्रिसमस के समय तक कोई बच्चा नहीं l उजड़ा हुआ महसूस करते हुए, मैं ट्री के समक्ष ठहर गयी जो परमेश्वर के प्रावधान का चिन्ह बन गया था l क्या परमेश्वर अभी भी विश्वासयोग्य था? क्या मैं कोई गलती कर रही थी?
कभी-कभी परमेश्वर का प्रत्यक्ष रोकथान उसके प्रेममय अनुशासन का परिणाम है l दूसरे समयों में परमेश्वर का प्रेमी विलम्ब हमारे भरोसे को नूतन करने के लिए l विलापगीत में, यिर्मयाह नबी इस्राएल के लिए परमेश्वर के सुधार का वर्णन करता है l दर्द महसूस किया जा सकता है : “उसने अपने तीरों से मेरे हृदय को बेध दिया है” (3:13) l इन सब में भी, यिर्मयाह अपना अंतिम भरोसा परमेश्वर की विश्वासयोग्यता में दर्शाता है : “उसकी दया अमर है l प्रति भोर वह नई होती रहती है; तेरी सच्चाई महान् है” (पद.22-23) l
मैंने उस क्रिसमस ट्री को क्रिसमस के काफी बाद तक खड़ा रहने दिया और अपनी सुबह की प्रार्थना करती रही l अंत में, ईस्टर सप्ताहांत में, हमें अपनी बेटी प्राप्त हुयी l परमेश्वर सर्वदा विश्वासयोग्य है, यद्यपि ज़रूरी नहीं कि हमारे समय में न ही हमारी इच्छानुकूल l
मेरे बच्चे अब तीस वर्ष के ऊपर हैं, किन्तु प्रत्येक वर्ष मैं उस क्रिसमस ट्री का छोटा रूप सजाती हूँ, और खुद को और दूसरों को परमेश्वर की विश्वासयोग्यता याद दिलाती हूँ l
कठोर संवाद
मैं पचास मील गाड़ी चलाकर एक दूर के कार्यकर्ता से कठोर बातचीत करने गया l मुझे एक अन्य कर्मचारी से एक रिपोर्ट मिली थी जिसने यह सुझाया था कि वह हमारी कंपनी को गलत ढंग से पेश कर रहा था, और हमारे लोकमत के विषय मैं चिंतित था l मैं एक राय देने के लिए परेशान हुआ जो उसके चुनाव को बदल सकता था l
1 शमुएल 25 में, एक अविश्वसनीय व्यक्ति ने एक बड़ा व्यक्तिगत जोखिम उठाकर इस्राएल के भावी राजा का सामना किया जो एक विनाशकारी चुनाव करनेवाला था l अबीगैल का विवाह नाबाल से हुआ था, जिसका चरित्र उसके नाम के अर्थ के साथ मेल खाता था ("मूढ़") (पद.3, 25) l नाबाल ने दाऊद और उसकी सेना को उसके पशुओं की रक्षा के लिए प्रथागत मजदूरी का भुगतान करने से इनकार कर दिया था (पद.10-11) l यह सुनकर कि दाऊद ने उसके समस्त घराने से प्राणघाती बदला लेने की ठान ली है, और यह जानकार कि उसका मूर्ख पति कारण नहीं सुनेगा, अबीगैल ने शांति की पेशकश करके, दाऊद से मिलने गयी, और उसे पुनः विचार करने को राज़ी किया (पद.18-31) l
अबीगैल ने यह कैसे किया? दाऊद और उसके लोगों को संतुष्ट करने और ऋण चुकाने के लिए भोजन से लदे गधों को आगे भेजने के बाद, उसने दाऊद से सच बोला l उसने बुद्धिमानी से दाऊद को उसके जीवन की बुलाहट याद दिलाई l जब परमेशवर ने उसे राजा बनाया था, यदि वह बदला लेने की अपनी इच्छा को रोकता, तो उसे "इस कारण पछताना न [होता], या मेरे प्रभु का हृदय पीड़ित न होता कि तू ने अकारण खून किया" (पद.31) l
आप किसी को एक खतरनाक गलती के निकट जानते भी होंगे जिससे दूसरों को हानि पहुँच सकती है और परमेश्वर के लिए उसकी भावी प्रभावशीलता जोखिम में पड़ सकती है l अबीगैल की तरह, शायद परमेश्वर आपको एक कठोर संवाद के लिए बुला रहा होगा?