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Articles by पैटरिसीए रेबॉन

परमेश्वर हमारा बचानेवाला

खुले समुद्र में, एक बचानेवाले ने आतंकित तैराकों को ट्रायथलॉन(लम्बी दूरी की तैराकी प्रतियोगिता) में प्रतिस्पर्धा करने में मदद करने के लिए अपनी नाव तैनात की l “नाव के बीच के हिस्से को न पकड़ें!” उसने तैराकों को ध्यान दिलाया, यह समझाते हुए कि इस प्रकार का प्रयास उसके नाव को डूबा देगी l इसके बजाय, उसने थके हुए तैराकों को नाव के अगले भाग की ओर निर्देशित किया l वहां वे एक लूप/फंदे को पकड़ सकते थे, जिससे सुरक्षाकर्मी व्यक्ति को बचाने में मदद कर सके l

जब भी जीवन या लोग हमें नीचे खींचने की धमकी देते हैं, यीशु में विश्वासियों के रूप में,  हम जानते हैं कि हमारे पास एक बचाने वाला है l “क्योंकि परमेश्वर यहोवा यों कहता है : देखो, मैं आप ही अपनी भेड़-बकरियों की सुधि लूँगा, और उन्हें ढूँढूँगा . . . मैं उन्हें उन सब स्थानों से निकाल ले आऊँगा, जहां जहां वे . . . तितर-बितर हो गईं [हैं]” (यहेजकेल 34:11-12) l

जब परमेश्वर के लोग निर्वासन में थे तब नबी यहेजकेल का यह आश्वासन था l उनके अगुवे  उनकी उपेक्षा किये थे और उनका शोषण किया था,  उनके जीवन को लूटा था और [परमेश्वर के रेवड़] का नहीं, अपना ही पेट भरा” (पद.8) l परिणामस्वरूप, लोग “सारी पृथ्वी के ऊपर तितर-बितर [हुए]; और न तो कोई उनकी सुधि लेता था, न कोई उनको ढूंढता था” (पद.6) l 

लेकिन परमेश्वर यहोवा यों कहता है, “मैं [अपने झुण्ड को] छुड़ाऊँगा” (पद.10), और उसकी प्रतिज्ञा अभी भी स्थिर है l 

हमें क्या करना है?  परमेश्‍वर और उसके वचनों को मजबूती से थामे रहें l वह कहता है, “मैं आप ही अपनी भेड़-बकरियों की सुधि लूँगा, और उन्हें ढूँढूँगा” (पद.11) l कसकर पकड़े रहने के लिए यह एक छुटकारे की प्रतिज्ञा है l

आशा प्रफुल्लित होगी

हाल ही में अमेरिका के एक शहर में कुछ खाली भूखंडों को साफ़ करके उसमें खुबसूरत फूल और हरे पौधे लगाए गए l इससे इस पड़ोस के निवासियों के समग्र मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ा और उनके जीवन के दृष्टिकोण में सुधार हुआ l

अमेरिका के एक प्रसिद्ध कॉलेज के एक प्रोफेसर ने कहा है “ऐसे सबूतों की बढ़ती हुई संख्या है जो यह बताती है कि हरित स्थान मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है,  और यह विशेष रूप से गरीब पड़ोस में रहने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण है l”

इस्राएल और यहूदा के कुचले हुए लोगों को यशायाह भविष्यवक्ता के दर्शन द्वारा तरोताज़ा आशा मिली कि परमेश्वर उनको खुबसूरत तरीके से पुनर्स्थापित करेगा l सभी विनाश और न्याय के बीच में, जो यशायाह ने भविष्यवाणी की थी,  इस उज्ज्वल प्रतिज्ञा ने जड़ जमा ली : “जंगल और निर्जल देश प्रफुल्लित होंगे, मरुभूमि मगन होकर केसर के समान फूलेगी l वह अत्यंत प्रफुल्लित होगी और आनंद के साथ जयजयकार करेगी” (यशायाह 35:1-2) l

आज हमारी जो भी स्थिति हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है,  हम भी अपने स्वर्गिक पिता के खुबसूरत तरीकों से आनन्दित हो सकते हैं जो हमें नई आशा के साथ पुनर्स्थापित करता है, जिसमें उसकी सृष्टि शामिल है l जब हम उदास महसूस करते हैं,  तो उसकी महिमा और वैभव पर विचार करना हमें संभालेगा l यशायाह ने प्रोत्साहित किया, “ढीले हाथों को दृढ़ करो और थरथराते हुए घुटनों को स्थिर करो” (पद.3) l

क्या कुछ फूल हमारी आशा को पुनः प्रज्वलित कर सकते हैं? एक नबी ने हाँ कहा l इसी प्रकार हमारे आशा-देनेवाले परमेश्वर ने भी l

चमकनेवाली ज्योति

पाँच सप्ताह की बाइबल कक्षा के बारे में मुझे घबराहट हुई जिसे मैं स्थानीय चर्च में सिखाने के लिए तैयार हुआ था l क्या विद्यार्थी इसे पसंद करेंगे? क्या वे मुझे पसंद करेंगे? मेरी चिंता गलत ढंग से केन्द्रित थी, जिसने मुझे पाठ योजनाओं, प्रस्तुति स्लाइड्स(Slides), और क्लास विज्ञप्ति पत्रक(Handouts) को आवश्यकता से अधिक तैयार करने के लिए प्रेरित किया l फिर भी एक सप्ताह पहले तक, मैंने अभी भी कई लोगों को भाग लेने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया था l

प्रार्थना में, हालाँकि, मुझे याद दिलाया गया कि कक्षा एक ऐसी सेवा थी जो परमेश्वर पर प्रकाश डालती थी l क्योंकि पवित्र आत्मा लोगों को हमारे स्वर्गीय पिता को इंगित करने के लिए कक्षा का उपयोग करेगा, मैं सार्वजनिक बोलने के बारे में अपनी घबराहट को अलग कर सकता था l जब यीशु ने अपने चेलों को अपना पहाड़ी उपदेश में सिखाया, तो उसने उनसे कहा, “तुम जगत की क्योंति हो l जो नगर पहाड़ पर बसा हुआ है वह छिप नहीं सकता l और लोग दीया जलाकर पैमाने के नीचे नहीं परन्तु दीवट पर रखते हैं, तब उस से घर के सब लोगों को प्रकाश पहुँचता है” (मत्ती 5:14-15) l

उन शब्दों को पढ़ते हुए, मैंने आखिरकार सोशल मिडिया पर एक कक्षा की घोषणा की l लगभग तुरंत, लोगों ने पंजीकरण शुरू किया – आभार और उत्साह व्यक्त किया l उनकी प्रतिक्रियाओं को देखकर, मैंने यीशु की शिक्षा पर और अधिक विचार किया : “उसी प्रकार तुम्हारा उजियाला मनुष्यों के सामने चमके कि वे तुम्हारे भले कामों को देखकर तुम्हारे पिता की, जो स्वर्ग में है, बडाई करें l

उस परीप्रेक्ष्य के साथ, मैंने कक्षा को आनंद के साथ पढ़ाया l मैं प्रार्थना करता हूँ कि मेरा सरल काम एक प्रकाशस्तंभ बन जाए और दूसरों को भी परमेश्वर के लिए अपना प्रकाश चमकाने के लिए प्रोत्साहित करे l

ऊपर देखें!

जब फिल्म निर्माता वाईली ओवरस्ट्रीट ने अजनबियों को चंद्रमा की एक जीवित तस्वीर दिखाई, जैसा कि उनके शक्तिशाली दूरबीन के द्वारा देखा गया था, वे फुसफुसाहट और खौफ के साथ प्रतिक्रिया करते हुए, बहुत कम दूरी के दृश्य पर दंग रह गए थे l इस तरह के शानदार नज़ारे को देखने के लिए, उन्होंने समझाया, “यह हमें आश्चर्य से भर देता है कि कुछ हम लोग से बहुत बड़ा भी है l”

भजनकार दाऊद ने भी परमेश्वर के स्वर्गिक प्रकाश पर अचम्भा किया l “जब मैं आकाश को, जो तेरे हाथों का कार्य है, और चंद्रमा और तारागन को जो तू ने नियुक्त किये हैं, देखता हूँ; तो फिर मनुष्य क्या है कि तू उसका स्मरण रखे, और आदमी क्या है कि तू उसकी सुधि ले? (भजन 8:3-4) l

दाऊद का विनम्र प्रश्न हमारे खौफ को परिप्रेक्ष्य में ला देता है, जब हम सीखते है कि परमेश्वर के अपने नए स्वर्ग और पृथ्वी को बनाने के बाद, हमें चाँद या सूरज की आवश्यकता नहीं होगी l इसके बजाय, प्रेरित यूहन्ना ने कहा, कि परमेश्वर की झिलमिलाती महिमा समस्त आवश्यक प्रकाश प्रदान करेगी l “उस नगर में सूर्य और चाँद के उजियाले की आवश्यकता नहीं, क्योंकि परमेश्वर के तेज़ से उस में उजियाला हो रहा है, और मेम्ना उसका दीपक है . . . और रात वहां न होगी” (प्रकाशितवाक्य 21:23-25) l

यह कितना अद्भुत विचार है! फिर भी हम अभी उसकी स्वर्गिक ज्योति का अनुभव कर सकते हैं – केवल मसीह को ढूँढने के द्वारा, जो जगत की ज्योति है l ओवरस्ट्रीट के दृष्टिकोण में, “हमें अक्सर ऊपर देखना चाहिये l” जब हम ऐसा करते हैं, काश हम परमेश्वर को देखें l

केवल पूछ लीजिये

उसके डॉक्टर ने कहा कि उसके अलग-थलग दृष्टि पटल(retina) को ठीक नहीं किया जा सकता था l लेकिन पंद्रह साल तक बिना दृष्टि के रहने के बाद, ब्रेल लिपि को सीखते हुए, और एक छड़ी और सेवा कुत्ते(Service dog) का उपयोग करते हुए – महिला का जीवन तब बदल गया जब उसके पति ने एक दूसरे नेत्र चिकित्सक से एक सरल प्रश्न पुछा : क्या उसकी मदद की जा सकती है? जवाब था हाँ l जैसे कि डॉक्टर ने पता लगाया, महिला की आँख में एक सामान्य स्थिति थी, मोतियाबिंद, जिसे डॉक्टर ने उसके दाहिनी आँख से हटा दिया l जब अगले दिन उसके आँख की पट्टी हटा दी गयी, उसकी दृष्टि 20/20 थी l उसकी बायीं आँख की दूसरी सर्जरी समान सफलता के साथ हुई l

एक साधारण प्रश्न ने कुष्ठ रोग से ग्रसित एक शक्तिशाली सैन्य व्यक्ति नामान के जीवन को भी बदल दिया l लेकिन नामान ने नबी एलिशा का निर्देश “जाकर यर्दन में सात बार डुबकी मार, तब तेरा शरीर ज्यों का त्यों जो जाएगा”(2 राजा 5:10) पर अहंकारपूर्वक क्रोध किया l हालाँकि, नामान के सेवकों ने सैन्य नेता से एक सरल प्रश्न पूछा : “यदि भविष्यद्वक्ता तुझे कोई भारी काम करने की आज्ञा देता, तो क्या तू उसे नहीं करता? (पद.13) l उसके पीछे लगे रहने से, नामान ने डुबकी लगाई “और उसका शरीर छोटे लड़के का सा हो गया; और वह शुद्ध हो गया” (पद.14) l

हमारे जीवन में, कभी-कभी हम किसी समस्या से जूझते हैं क्योंकि हम परमेश्वर से नहीं पूछते हैं l क्या आप मदद करेंगे? क्या मुझे जाना चाहिये? क्या आप अगुवाई करेंगे? हमारी मदद करने के लिए हमें उससे जटिल प्रश्न पूछने की ज़रूरत नहीं है l “उनके पुकारने से पहले ही मैं उनको उत्तर दूंगा,” परमेश्वर ने अपने लोगों से प्रतिज्ञा की (यशायाह 65:24) l इसलिए आज, बस उससे पूछे l

मधु से भी मीठा

उनका विषय नस्लीय तनाव था l फिर भी वक्ता शांत और संयमित रहा l बड़ी संख्या में  दर्शकों के सामने मंच पर खड़े होकर, उन्होंने निर्भीकता से बात की – लेकिन अनुग्रह, विनम्रता, दया और यहाँ तक कि हास्य के साथ l जल्द ही तनावपूर्ण दर्शकों ने प्रत्यक्ष रूप से आराम महसूस किया, और वक्ता के साथ उस असमंजस के विषय हँसे जिसका वे सामना कर रहे थे : अपने गर्म मुद्दे को कैसे हल करें, लेकिन अपनी भावनाओं और शब्दों को शांत करें l हाँ, मीठे अनुग्रह के साथ एक खट्टे विषय से कैसे निपटें l
राजा सुलैमान ने हम सभी के लिए इसी पद्धति की सलाह दी : “मनभावने वचन मधुभारे छत्ते के समान प्राणों को मीठे लगते, और हड्डियों को हरी-भरी करते हैं” (नीतिवचन 16:24) l इस तरह, “बुद्धिमान का मन . . . बुद्धिमानी प्रगट करता है” (पद.23) l
सुलैमान जैसा शक्तिशाली राजा यह कहने के लिए समय क्यों देता कि हम कैसे बोलते हैं? क्योंकि शब्द नष्ट कर सकते हैं l सुलैमान के समय में, राजा अपने राष्ट्रों के बारे में जानकारी के लिए दूतों पर निर्भर थे, और शांत और विश्वसनीय दूत अत्यधिक महत्वपूर्ण थे l उन्होंने विवेकपूर्ण शब्दों का प्रयोग किया और तर्कपूर्ण शब्दों का उपयोग किया, मामले के बावजूद अतिशियोक्ति नहीं की या कठोरता से बात नहीं की l
हम सब अपनी राय और विचारों को ईश्वरीय और विवेकपूर्ण मिठास से सजाकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं l सुलैमान के शब्दों में, “मन की युक्ति मनुष्य के वश में रहती है, परन्तु मुँह से कहना यहोवा की ओर से होता है” (पद.1) l

प्रावधान का संसार

मध्य रात्रि बीत चुकी है जब जेम्स, जो एक मछुआरा है मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाता है l शुरूआती घंटा उसे परेशान नहीं करता है l “मछली पकड़ना शुरु करने से पूर्व जीवन बहुत कठिन था,” वह कहता है l “मेरे पास आय का कोई श्रोत नहीं था l” अब, समुद्री-संरक्षण कार्यक्रम(marine-protection program) के सदस्य के रूप में वह अपनी आय को बढ़ाता और स्थिर करते हुए देखता है lवह आगे कहता है, “हम परमेश्वर का धन्यवाद करते हैं कि यह प्रोजेक्ट आया l”

यह बड़े रूप में दिखाई दिया क्योंकि जो उनके प्रोजेक्ट की ज़रूरत है अर्थात् समुद्री जीव की एक प्राकृतिक आपूर्ति, उसे परमेश्वर की रचना ने प्रबंध किया l हमारे प्रबंध करनेवाले परमेश्वर की प्रशंसा में, भजनकार ने लिखा, “तू पशुओं के लिए घास, और मनुष्यों के काम के लिए अन्न आदि उपजाता है” (भजन 104:14) l उसके साथ ही, “समुद्र . . . है, और उसमें अनगिनित जलचर, जीव-जन्तु, क्या छोटे, क्या बड़े भरे पड़े हैं” (पद.25) l

यह वास्तव में आश्चर्य की बात है कि किस प्रकार परमेश्वर की आश्चर्यजनक रचना हमारे लिए प्रबंध भी करती है l उदहारण के लिए, मछली, एक स्वस्थ समुद्री खाद्य श्रृंखला बनाने में मदद करती है l सावधानी से मछली पकड़ना, बदले में, जेम्स और उसके पड़ोसियों को एक जीवित मजदूरी देता है l

परमेश्वर की रचना में कुछ भी निरुद्देश्य नहीं है l वह यह सब अपनी महिमा और हमारी भलाई के लिए करता है lइस प्रकार, “मैं जीवन भर यहोवा का गीत गाता रहूँगा, भजन कार कहता है (पद.33) l  जब हम उन सभी चीजों पर विचार करते हैं जो वह प्रबंध करता है, तो आज हम भी उसकी प्रशंसा कर सकते हैं l

दया-भाव से स्तुति तक

बच्चों के लिए कपड़े की दूकान पर, उत्साहित बच्चों ने कृतज्ञतापूर्वक अपने पसंदीदा रंगों और उचित साइज़ के कपड़े ढूँढने लगे l उन्होंने आत्म-सम्मान प्राप्त किया, आयोजक ने कहा, नए कपड़ों के साथ जिससे उनके मित्रों द्वारा उनकी स्वीकृति बढ़ रही थी,: उन्होंने  ठन्डे मौसम में गर्मी प्रदान की l 

प्रेरित पौलुस को भी एक बागा(cloak) की ज़रूरत थी, जब उसने तीमुथियुस को लिखा, “जो बागा मैं त्रोआस में करपुस के यहाँ छोड़ आया हूँ, जब तू आए तो उसे . . . लेते आना” ((2 तीमुथियुस 4:13) l एक ठन्डे रोमी जेल में, पौलुस को गर्मी की ज़रूरत थी, लेकिन साथ ही साथ संगति भी l “किसी ने भी मेरा साथ नहीं दिया, वरन् सब ने मुझे छोड़ दिया था” उसने शोक प्रगट किया, जब उसने एक रोमी न्यायी का सामना किया (पद.16) l हमारे हृदय इस महान मिशनरी के सच्चे दर्द से छिद गये l 

फिरभी पौलुस के आखिरी लिखी पत्री के इन अंतिम शब्दों में – एक आश्चर्जनक सेवा के बाद उसके विचार – वह दया से प्रशंसा की ओर बढ़ता है l परन्तु प्रभु मेरा सहायक रहा,” वह जोड़ता है, और उसके शब्द हमारे दिलों को समेट देते हैं l जिस प्रकार पौलुस ने घोषणा की, “[परमेश्वर ने] मुझे सामर्थ्य दी, ताकि मेरे द्वारा पूरा पूरा प्रचार हो और सब अन्यजातीय सुन लें l मैं सिंह के मुँह से बचाया गया” (पद.17) l 

यदि आप संकट का सामना कर रहे हैं, गर्माहट के लिए सही कपड़ों की कमी या करीबी दोस्तों की मदद की कमी महसूस कर रहे हैं, तो परमेश्वर को स्मरण करें l वह फिर से सजीव करने, प्रबंध करने और छुड़ाने में विश्वासयोग्य है l क्यों? उसकी महिमा के लिए और उसके राज्य में हमारे उद्देश्य के लिए l 

फल का रस

लैंप एक उत्कृष्ट सौदा था, और यह मेरे घर के कार्यालय के लिए एकदम सही लग रहा था – सही रंग, आकार और कीमत l हालाँकि, घर पहुँचकर, जब मैंने प्लग लगाया, कुछ भी नहीं हुआ l कोई रोशनी नहीं l कोई पावर नहीं l कुछ भी तो नहीं!

कोई बात नहीं, मेरे पति ने मुझे आश्वस्त किया l “मैं उसे ठीक कर सकता हूँ l आसान है l” जब उसने लैंप को खोला, उन्हें तुरंत परेशानी दिखाई दी l प्लग किसी से भी जुड़ा नहीं था l बिजली के श्रोत के लिए तारों के बिना, “सही” सुन्दर लैंप बेकार था l 

हमारे लिए भी यही सच है l यीशु ने अपने शिष्यों को बताया l “मैं दाखलता हूँ : तुम डालियाँ हो l जो मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है l” लेकिन उसने यह ताकीद जोड़ दी l “मुझ से अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते” (यूहन्ना 15:5) l 

यह शिक्षा एक दाख उगाने वाले क्षेत्र में दिया गया था, इसलिए उसके शिष्यों ने इसे आसानी से समझा l दाखलता मजबूत पौधे हैं, और उनकी डालियाँ छंटाई को सहन करती हैं l अपने जीवन श्रोत से कटने पर, हालाँकि, डालियाँ व्यर्थ मृत लकड़ी हो जाती हैं l ऐसा ही हमारे साथ भी है l 

जब हम यीशु में बने रहते हैं और उसके शब्दों को हमारे अन्दर रहने देते हैं, तो हम अपने जीवन के श्रोत – स्वयं मसीह – से जुड़ जाते हैं l “यीशु ने कहा, “मेरे पिता की महिमा इसी से होती है कि तुम बहुत सा फल लाओ, तब ही तुम मेरे चेले ठहरोगे” (पद.8) l हालाँकि, इस तरह के फलदायक परिणाम को दैनिक पोषण की ज़रूरत होती है l स्वतंत्र रूप से, परमेश्वर इसे पवित्रशास्त्र और अपने प्रेम के द्वारा प्रदान करता है l तो प्लग करें और रस को बहने दें!