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Articles by पैटरिसीए रेबॉन

प्रशंसा में आनंद की प्राप्ति

जब प्रसिद्ध ब्रिटिश लेखक सी.एस. लुईस  ने पहली बार यीशु को अपना जीवन दिया, तो उन्होंने शुरू में परमेश्वर की प्रशंसा करने का विरोध किया l वास्तव में,  उन्होंने इसे “एक बाधा” कहा l उनका संघर्ष “उस सुझाव में था कि यह स्वयं परमेश्वर की मांग थी l” लुईस ने आखिर में महसूस किया कि “यह आराधना की जाने की प्रक्रिया में है कि परमेश्वर” अपने लोगों तक “अपनी उपस्थिति का संचार करता है l” उसके बाद हम, “परमेश्वर के साथ पूर्ण प्रेम में, वह चमक जो आइना बिखेरता है” से  “जो आइना प्राप्त करता है उस चमक से अधिक” उसमें वह आनंद पाते हैं जो अलग नहीं किया जा सकता है l

नबी हबक्कूक सदियों पहले इस निष्कर्ष पर पहुंचा था l बुराई के विषय जो यहूदा के लोगों पर लक्षित थे परमेश्वर से शिकायत करने के बाद,  हबक्कूक ने देखा कि उसकी प्रशंसा करने से आनंद मिलता है─परमेश्वर जो करता है उसमें नहीं, लेकिन इसमें कि वह कौन है l इस प्रकार,  एक राष्ट्रीय या विश्व संकट में भी, परमेश्वर फिर भी महान है l जैसा कि नबी ने घोषणा की :

“क्योंकि चाहे अंजीर के वृक्षों में फूल न लगें, और न दाखलताओं में फल लगें, जलपाई के वृक्ष से केवल धोखा पाया जाए और खेतों में अन्न न उपजे, भेड़शालाओं में भेड़-बकरियाँ न रहें, और न थानों में गाय बैल हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनंदित और मगन रहूँगा” (हबक्कूक 3:17-18) l उसने आगे कहा, “और अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर के द्वारा अति प्रसन्न रहूँगा l”

जैसा कि सी.एस. लुईस ने महसूस किया,  "पूरी दुनियाँ प्रशंसा से गूंजती है l” इसी तरह हबक्कूक ने हमेशा परमेश्वर की स्तुति करने हेतु आत्मसमर्पण कर दिया, उसमें भरपूर आनंद प्राप्त किया जिसकी “गति अनंत काल से एक सी है l”

बुद्धिमत्ता से निराई

मेरे नाती-पोते मेरे पिछवाड़े में चारों ओर दौड़ लगा रहे हैं l खेल खेल रहे हैं? नहीं, घासपात निकाल रहे हैं l "उन्हें जड़ से खींचकर निकाल रहे हैं!” मुझे एक भारी लूट(घासपात) दिखाते हुए, सबसे छोटी ने कहा l जब हम घासपात निकल रहे थे उसका आनंद उस दिन यह था कि हम घासपात के जड़ निकालने में कितना आनंद ले रहे थे─हर एक परेशान करने वाले कष्टकारी वस्तु को निकाल देना l हालांकि, खुशी से पहले, उनके पीछे लग जाने का विकल्प l
व्यक्तिगत पाप को दूर करने के लिए साभिप्राय निराई करना भी पहला कदम है l इसलिए, दाऊद ने प्रार्थना की : “हे परमेश्वर, मुझे जाँचकर जान ले” . . . और देख कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं” (भजन 139:23-24) l
कितना बुद्धिमान दृष्टिकोण, परमेश्वर से अपने पापों को दिखाने के लिए कहते हुए उनको खोजना l वह जो सबके ऊपर है हमारे बारे में सब कुछ जानता है l “हे यहोवा, तू ने मुझे जाँचकर जान लिया है,” भजनकार लिखता है l “तू मेरा उठाना बैठना जानता है; और मेरे विचारों को दूर ही से समझ लेता है” (पद.1-2) l
“यह ज्ञान,” दाऊद आगे कहता है, “मेरे लिए बहुत कठिन है” (पद.6) l किसी पाप के जड़ पकने से पूर्व, इसलिए, परमेश्वर हमें खतरे के बारे में सचेत कर सकता है l वह हमारे “”भूदृश्य(landscape)” को जानता है l इसलिए जब एक गुप्त पापी रवैया जड़ लेने की कोशिश करता है, तो वह इसे सबसे पहले जान जाता है और इंगित करता है l
“मैं तेरी आत्मा से भागकर किधर जाऊँ,” दाऊद ने लिखा l “तेरे सामने से किधर भागूँ?” (पद.7) l हम अपने उद्धारकर्ता का उच्च भूमि पर निकट से अनुसरण करें!

कभी हार न माने

“समय गुजरता गया l युद्ध आरम्भ हो गया l” इसी प्रकार दक्षिण सूडान के केलिको लोगों के बिशप सेमी निगो ने बाइबल को अपनी भाषा में पाने के लिए अपने चर्च के लंबे संघर्ष में देरी का वर्णन किया l एक शब्द भी, वास्तव में, केलिको भाषा में मुद्रित नहीं किया गया था l दशकों पहले, बिशप निगो के दादा ने साहसपूर्वक एक बाइबल अनुवाद परियोजना शुरू की थी, लेकिन युद्ध और अशांति प्रयास को रोकते रहे l फिर भी, उत्तरी युगांडा और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में उनके शरणार्थी शिविरों पर बार-बार हमले के बावजूद, बिशप और साथी विश्वासियों ने परियोजना को जीवित रखा l
उनकी दृढ़ता का परिणाम दिखाई दिया l लगभग तीन दशकों के बाद, केलिको में नया नियम बाइबल शरणार्थियों को एक उत्साहपूर्ण उत्सव में दिया गया l “केलिको की प्रेरणा शब्दों से परे है,” एक परियोजना सलाहकार ने कहा l
केलिको की प्रतिबद्धता उस दृढ़ता को दर्शाती है जो परमेश्वर ने यहोशू से पूछी थी l जैसा कि परमेश्वर ने उससे कहा था, “व्यवस्था की यह पुस्तक तेरे चित्त से कभी न उतरने पाए, इसी में दिन रात ध्यान दिए रहना, इसलिए कि जो कुछ उस में लिखा है उसके अनुसार करने की तू चौकसी करे; क्योंकि ऐसा ही करने से तेरे सब काम सफल होंगे, और तू प्रभावशाली होगा” (यहोशु 1:8) l समान दृढ़ता के साथ, केलिको लोगों ने पवित्रशास्त्र के अनुवाद को जारी रखा l अब, “जब आप उन्हें शिविरों में देखते हैं, वे मुस्कुराते हुए दिखाई देते हैं,” एक अनुवादक ने कहा l बाइबल को सुनना और समझना “उन्हें आशा देता है l” केलिको लोगों की तरह, हम कभी भी पवित्रशास्त्र की शक्ति और ज्ञान की मांग को स्थगित नहीं कर सकते l

गीत गाना याद रखें

नैन्सी गुस्तफ़सन, एक सेवानिवृत्त ओपेरा गायिका, उस समय तबाह हो गई जब उसने अपनी माँ से मिलने गयी और मनोभ्रंश(dementia) से उन्हें क्षीण होते हुए देखी l उसकी माँ अब उसे नहीं पहचानती थी और मुश्किल से बात कर पाती थी l कई महीनों तक उनसे मुलाकात करने के बाद, नैन्सी को एक विचार आया l उसने उनके सामने गाना शुरू कर दिया l उसकी माँ की आँखें संगीतमयी ध्वनियों पर झूम उठीं, और उन्होंने भी गाना शुरू कर दिया - बीस मिनट तक! तब नैन्सी की माँ हँसी, और मज़ाक में कहा जाए तो वे “गुस्तफ़सन परिवार के गायक” थे l नाटकीय परीवर्तन ने संगीत की शक्ति का सुझाव दिया, जैसा कि खोई यादों को जगाने के लिए कुछ चिकित्सक निष्कर्ष निकालते हैं l “पुराने पसंदीदा” गीत गाने को भी मूड को ताज़ा करते हुए, गिरावट, आकास्मिक कक्ष में जाना कम करते हुए, और शामक औषधि(sedative drugs) की आवश्यकता को कम करते हुए देखा गया है l
एक म्यूजिक-मेमोरी लिंक(music-memory link) पर अधिक शोध चल रहा है l फिर भी, जैसा कि बाइबल प्रगट करती है, गाने से मिलने वाला आनंद ईश्वर की ओर से एक उपहार है - और यह वास्तविक है l “याह की स्तुति करो क्योंकि अपने परमेश्वर का भजन गाना अच्छा है, क्योंकि वह मनभावना है, उसकी स्तुति करनी मनभावनी है” (भजन 147:1) l
सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में, वास्तव में, परमेश्वर के लोगों से उसकी प्रशंसा के गीतों में अपनी आवाज उठाने का आग्रह किया जाता है l “यहोवा का भजन गाओ क्योंकि उसने प्रतापमय काम किये हैं” (यशायाह 12:5) l “उसने मुझे एक नया गीत सिखाया जो हमारे परमेश्वर की स्तुति का है l बहुतेरे यह देखकर डरेंगे, और यहोवा पर भरोसा रखेंगे” (भजन 40:3) l हमारा गाना हमें प्रेरित करता है लेकिन सुनने वालों को भी l काश हम सभी याद रखें : हमारा परमेश्वर महान है और प्रशंसा के योग्य है l

खोए हुए को पुनः प्राप्त करना

फोन की दुकान पर, युवा पास्टर ने बुरी खबर के लिए खुद को दृढ किया l उसका स्मार्ट फोन, गलती से हमारी बाइबल कक्षा के दौरान गिर गया, यह पूरा नुकसान था, ठीक? वास्तव में, नहीं l स्टोर के क्लर्क ने पास्टर के सभी डेटा को पुनःप्राप्त कर दिया, जिसमें उसके बाइबल वीडियो और फ़ोटो भी शामिल थे l उसने “हर एक फोटो जो मैंने कभी डिलीट की थी को भी पुनःप्राप्त कर लिया,” उसने कहा l स्टोर ने “मेरे टूटे हुए फोन को एक नए फोन से बदल दिया l” जैसा कि उसने कहा, “मैंने सब कुछ पुनःप्राप्त कर लिया जो मैंने खोया था और उससे भी अधिक प्राप्त कियाl”
दाऊद ने एक बार शातिर अमालेकियों के हमले के बाद अपने स्वयं के वसूली मिशन का नेतृत्व किया l पलिश्ती शासकों द्वारा अस्वीकार किये जाने के बाद, दाऊद और उसकी सेना ने पाया कि अमालेकियों ने छापा मारा था और उनके नगर सिकलग को जला दिया था “उसमें की स्त्री आदि छोटे बड़े जितने थे” सभी को बंधक बनाकर ले गए थे –उनकी पत्नियों और बच्चों को मिलाकर (1 शमूएल 30:2,3) l “तब दाऊद और वे लोग जो उसके साथ थे चिल्लाकर इतना रोए कि फिर उनमें रोने की शक्ति न रही” (पद.4) l सैनिक अपने अगुए दाऊद से इतने कडवे थे कि उन्होंने “उस पर पथराव करने” (पद.6) की चर्चा कर रहे थे l
“परन्तु दाऊद ने अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करके हियाव बाँधा” (पद.6) l जैसा कि परमेश्वर ने वादा किया था, दाऊद ने अमालेकियों का पीछा किया “और जो कुछ अमालेकी ले गए थे वह सब दाऊद ने छुड़ाया . . . “वरन् उनके क्या छोटे, क्या बड़े, क्या बेटे, क्या बेटियाँ, क्या लूट का माल, सब कुछ जो अमालेकी ले गए थे, उस में से कोई वस्तु न रही जो उनको न मिली हो; क्योंकि दाऊद सब का सब लौटा लाया” (पद.18-19) l जब हम आत्मिक हमलों का सामना करते हैं, जो हमारी आशा को भी “लूट” लेते हैं, काश हम परमेश्वर में नये सिरे से सामर्थ्य प्राप्त करें l जीवन की हर चुनौती में वह हमारे साथ रहेगा l

अंततः स्वतंत्र

इससे पहले कि ब्रिटिश पत्रकार जॉन मैकार्थी जो लेबनान के भीषण गृहयुद्ध के दौरान पाँच साल तक के लिए बंधक थे, उस आदमी से मिलते जिसने उनकी रिहाई के लिए बातचीत की, बीस लम्बे वर्ष बीत गए l अंततः जब मैकार्थी यू.एन. के दूत जियानडोमेनिको पिको से मिले,  तो मैकार्थी ने कहा, “मेरी स्वतंत्रता के लिए धन्यवाद!” उनके हार्दिक शब्दों में बहुत वजन था क्योंकि पिको ने मैकार्थी और अन्य लोगों की सुरक्षित स्वतंत्रता के लिए खतरनाक बातचीत के दौरान अपनी जान जोखिम में डाली थी l

हम विश्वासो लोग कड़े संघर्ष से प्राप्त की गयी स्वतंत्रता से खुद को सम्बद्ध कर सकते हैं l यीशु ने अपना जीवन त्याग दिया - एक रोमी क्रूस पर मृत्यु सहन करके – सभी लोगों के लिए आत्मिक स्वतंत्रता निश्चित करने के लिए जिसमें हम सब शामिल हैं l अब उसके बच्चों के रूप में,  हम जानते हैं कि “मसीह ने स्वतंत्रता के लिए हमें स्वतंत्र किया है,” प्रेरित पौलुस दृढ़तापूर्वक घोषणा करता है (गलातियों 5:1) l

यूहन्ना का सुसमाचार भी मसीह में स्वतंत्रता की शिक्षा देता है,  ध्यान देते हुए, “यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे” (यूहन्ना 8:36) l

लेकिन किन तरीकों में स्वतंत्र? यीशु में,  हम न केवल पाप और हम पर उसकी पकड़ से,  बल्कि दोष, लज्जा,  चिंता,  शैतान के झूठ,  अंधविश्वास,  झूठी शिक्षा और अनन्त मृत्यु से भी स्वतंत्रता का अनुभव करते हैं l अब बंधक न होकर, हमारे पास दुश्मनों को प्यार दिखाने,  दयालुता में चलने,  आशा के साथ जीने और अपने पड़ोसियों से प्यार करने की स्वतंत्रता है l जब हम पवित्र आत्मा की अगुवाई का अनुसरण करते हैं,  तो हम क्षमा कर सकते हैं जैसे हमें क्षमा किया गया है l

इन सब के लिए,  आज परमेश्वर को धन्यवाद दें l तो आइये प्यार करें कि दूसरों को भी उसकी स्वतंत्रता की सामर्थ्य का पता चल जाएगा l

हमारा दयालु परमेश्वर

सर्दियों की रात ठंडी थी जब किसी ने एक यहूदी बच्चे के शयनकक्ष की खिड़की के अन्दर एक बड़ा पत्थर फेंका l दाऊद का सितारा, मेनोरह(साथ दीपों वाला दीप स्तम्भ) के साथ दीपों का यहूदी पर्व हनुक्का(Hanukkah) मनाने के लिए खिड़की में लगाया गया था l अमेरिका के इस छोटे से शहर में, हजारों लोगों ने - जिनमें से कई लोग विश्वासी थे – इस घृणित कृत्य का प्रत्युत्तर दया से दी l अपने यहूदी पड़ोसियों की चोट और डर के समर्थन में, उन्होंने अपनी खिडकियों में मेनोरह के तस्वीर चस्पा दिए l

 

यीशु में विश्वासियों के रूप में,  हम भी बहुत दया प्राप्त करते हैं l हमारे उद्धारकर्ता ने हमारे बीच निवास करने के लिए खुद को दीन किया (यूहन्ना 1:14),  हमारे साथ पहचान बनायी l हमारी ओर से, उसने, “परमेश्वर के स्वरुप में होकर भी . . . अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया, और दास का स्वरुप धारण किया” (फिलिप्पियों 2:6-7) l फिर, हमारे जैसा अनुभव करते हुए और हमारे जैसा रोते हुए, वह क्रूस पर मरा, हमारे जीवनों को बचाने के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया l

 

हम जितना भी संघर्ष करते हैं वह हमारे उद्धारकर्ता की चिंता से परे नहीं है l यदि कोई हमारे जीवन पर ‘पत्थर फेंकता है, वह(यीशु) हमें सुकून देता है l यदि जीवन निराशा लाती है,  तो वह निराशा में हमारे साथ चलता है l “यद्यपि यहोवा महान् है, तौभी वह नम्र मनुष्य की ओर दृष्टि करता है” (भजन 138:6) l हमारी परेशानियों में,  वह हमें बचाता है, “क्रोधित शत्रुओं के विरुद्ध” (पद.7) और हमारे गहरे भय, दोनों ही के विरुद्ध अपना हाथ बढाता है l परमेश्वर, आपके दयापूर्ण प्रेम के लिए धन्यवाद l

जीवन की आतिशबाजी

नए साल की पूर्व संध्या पर, जब दुनिया भर के शहरों और कस्बों में उच्च शक्ति वाले पटाखे फटते हैं, तो शोर उद्देश्यपूर्ण जोरदार होता है । निर्माताओं का कहना है,  अपने स्वभाव से, आकर्षक आतिशबाजी का उद्देश्य ही यही है, वास्तव में, वातावरण को फाड़ देना l "पुनरावर्तक" विस्फोट सबसे ज़ोर की आवाज़ कर सकते हैं, खासकर जब जमीन के पास विस्फोट किया गया  हो ।

परेशानियाँ भी,  हमारे दिल, दिमाग और घरों में उफान मार सकती हैं । जीवन की "आतिशबाजी" – परिवारिक संघर्ष, रिश्ते की समस्याएं, काम की चुनौतियां, वित्तीय तनाव, यहां तक ​​कि चर्च विभाजन/मतभेद - विस्फोटों की तरह महसूस हो सकते हैं,  हमारे भावनात्मक वातावरण को खड़खड़ा देते हैं l

फिर भी हम उस व्यक्ति को जानते हैं जो हमें इस कुहराम से ऊपर उठाता है l खुद मसीह ही “हमारा मेल है,” पौलुस ने इफिसियों 2:14 में लिखा है । जब हम उसकी उपस्थिति में रहते हैं, तो उसकी शांति किसी भी व्यवधान से अधिक होती है, किसी भी चिंता, चोट, या असमानता के शोर को शांत करती है ।

यह यहूदियों और अन्यजातियों के लिए समान रूप से शक्तिशाली आश्वासन रहा होगा l वे एक समय “आशाहीन और जगत में ईश्वर रहित थे” (पद.12) l अब वे सताव की धमकी और विभाजन के आंतरिक खतरों का सामना कर रहे थे l लेकिन मसीह में, उन्हें उसके निकट, और परिणामस्वरूप उसके खून से एक दूसरे के निकट लाया गया । “क्योंकि वही हमारा मेल है जिसने दोनों को एक कर लिया और अलग करनेवाली दीवार को जो बीच में थी ढा दिया” (पद.14) l

जब हम एक नए साल की शुरुआत करते हैं,  क्षितिज पर अशांति और विभाजन के खतरों के साथ, तो जीवन के शोर भरे परीक्षाओं से मुँह फेर कर अपनी सर्वदा-उपस्थित शांति की तलाश करें । वह धमाके को शांत करता है, हमें चंगा करता है l

कोमल वाणी

मैं फेसबुक पर थी,  बहस कर रही थी l गलत कदम । मुझे सोचने के लिए किसने विवश किया कि मैं एक उग्र विषय पर एक अजनबी को "सही" करने के लिए बाध्य थी - विशेष रूप से एक विभाजनकारी विषय? परिणाम उत्तेजित शब्द,  आहत भावनाएँ थीं (चाहे जैसे भी मेरी ओर से),  और यीशु के लिए अच्छी तरह से गवाही देने का एक खंडित अवसर । यह "इंटरनेट क्रोध" का निष्कर्ष है । यह ब्लॉग जगत में प्रतिदिन गुस्से में फेंके गए कठोर शब्दों के लिए परिभाषा है । जैसा कि एक नैतिक विशेषज्ञ ने समझाया,  लोग गलत तरीके से निष्कर्ष निकालते हैं कि "जैसे सार्वजनिक विचारों के बारे में बात की जाती है" ही क्रोध है l

तीमुथियुस को पौलुस की बुद्धिमान सलाह ने वही सावधानी दी । "मुर्खता और अविद्या के विवादों से अलग रह, क्योंकि तू जानता है कि इनसे झगड़े उत्पन्न होते हैं l प्रभु के दास को झगड़ालू नहीं होना चाहिये, पर वह सब के साथ कोमल और शिक्षा में निपुण और सहनशील हो” (2 तीमुथियुस 2:23–24) ।

एक रोमी जेल से तीमुथियुस को लिखी गयी पौलुस की अच्छी सलाह युवा पास्टर को तैयार करने के लिए भेजा गया था ताकि वह परमेश्वर की सच्चाई सिखा सके l पौलुस की सलाह आज के समयानुकूल है,  खासकर जब बातचीत हमारे विश्वास की ओर मुड़ जाती है l "विरोधियों को नम्रता से [समझाया जाना चाहिये], क्या जाने परमेश्वर उन्हें मन फिराव का मन दे कि वे भी सत्य को पहिचानें” (पद.25) l

दूसरों से विनम्रता से बात करना इस चुनौती का हिस्सा है,  लेकिन सिर्फ पास्टरों के लिए नहीं । उन सभी के लिए जो ईश्वर से प्रेम करते हैं और दूसरों को उसके बारे में बताना चाहते हैं,  काश हम प्यार में उसकी सच्चाई बोलें l हर शब्द के साथ, पवित्र आत्मा हमारी मदद करेगा ।