अपने तूफान का सामना करें
3 अप्रैल, 1968 की शाम को अमेरिका के एक शहर में भयंकर आंधी आई। थके हुए और बीमार महसूस कर रहे रेव्ह. डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर का इरादा चर्च हॉल में हड़ताली सफाई कर्मचारियों के समर्थन में अपना सुनियोजित भाषण देने का नहीं था। लेकिन वे एक अत्यावश्यक फोन कॉल से हैरान थे कि उन्हें सुनने के लिए एक बड़ी भीड़ ने मौसम का बहादुरी से सामना किया था। इसलिए वह हॉल में गए और चालीस मिनट तक बोले, जिसे कुछ लोग कहते हैं, कि वह उनका सबसे महानतम भाषण था, "मैं पहाड़ के शिखर पर गया हूं।"
अगले दिन, मार्टिन लूथर एक हत्यारे की गोली से मारे गए, लेकिन उनका भाषण अभी भी उत्पीड़ित लोगों को "वादा किए गए देश" की आशा से प्रेरित करता है। उसी तरह, यीशु के शुरूआती चेलों का हौसला भावोत्तेजक संदेश से बढ़ा। इब्रानियों की पुस्तक, जो यहूदी विश्वासियों को मसीह में अपने विश्वास के लिए खतरों का सामना करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए लिखी गई है, आशा न खोने के लिए दृढ़ आध्यात्मिक प्रोत्साहन प्रदान करती है। जैसा कि यह आग्रह करता है, "इसलिये ढीले हाथों और निर्बल घुटनों को सीधे करो" (12:12)। यहूदियों के रूप में, वे उस अपील को मूल रूप से भविष्यवक्ता यशायाह (यशायाह 35:3) की ओर से आने के रूप में पहचानेंगे।
परन्तु अब, मसीह के शिष्यों के रूप में, हमें "वह दौड़ जिस में हमें दौड़ना है, धीरज से दौड़ें, और विश्वास के कर्ता और सिद्ध करने वाले यीशु की ओर ताकते रहें" (इब्रानियों 12:1-2)। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम "निराश होकर हियाव नहीं [छोड़ेंगे]" (पद 3)।
निश्चित रूप से, इस जीवन में आंधी और तूफान हमारा इंतजार कर रहे हैं। लेकिन यीशु में, हम उसमें खड़े होकर जीवन के तूफानों को मात देते हैं।
हमें स्वर्ग से सुनना
अठारह महीने की उम्र में, छोटे मैसन ने कभी अपनी मां की आवाज नहीं सुनी थी। तब डॉक्टरों ने उसे पहले सुनने का यंत्र फिट किया और उसकी माँ, लॉरिन ने उससे पूछा, "क्या तुम मुझे सुन सकते हो?" बच्चे की आंखें चमक उठीं। "कैसे हो बच्चे!" लॉरिन आगे बोली। मुस्कुराते हुए मैसन ने अपनी माँ को कोमल स्वर में जवाब दिया। आंसुओं में, लॉरिन को पता था कि उसने एक चमत्कार देखा है। एक निरुदेश्य घरेलू आक्रमण के दौरान बंदूकधारियों द्वारा उसे तीन बार गोली मारने के बाद उसने समय से पहले मैसन को जन्म दिया। सिर्फ आधा किलो वजनी, मैसन ने गहन चिकित्सा इकाई(ICU) में 158 दिन बिताए और उसके जीवित रहने की उम्मीद नहीं थी, सुनने में सक्षम होने की बात तो दूर ही थी।
वह हृदयस्पर्शी कहानी मुझे उस परमेश्वर की याद दिलाती है जो हमें सुनता है। राजा सुलैमान ने परमेश्वर के सुनने लिए जोश से प्रार्थना की, विशेष रूप से संकट के दौरान। सुलेमान ने प्रार्थना की, जब "वर्षा न हो” (1 राजा 8:35), "अकाल या मरी," विपत्ति या रोग (पद 37), युद्ध (पद 44) हो, और यहां तक कि पाप के दौरान, "स्वर्ग से उनकी प्रार्थना और गिड़गिड़ाहट सुनकर उनका न्याय कर” (पद 45)।
अपनी भलाई में, परमेश्वर ने एक ऐसे वादे के साथ जवाब दिया जो अभी भी हमारे दिलों को झकझोरता है। "यदि मेरी प्रजा के लोग, जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें, और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनूंगा, और मैं उनका पाप क्षमा करूंगा, और उनके देश को चंगा करूंगा" (2 इतिहास 7:14)। स्वर्ग बहुत दूर लग सकता है। तौभी यीशु उनके साथ है जो उस पर विश्वास करते हैं। परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं को सुनता है, और वह उनका उत्तर देता है।
सोने से बेहतर
जब अमेरिका में ग्रेट गोल्ड रश(Great Gold Rush) के दौरान स्वर्ण खोजी एडवर्ड जैक्सन कैलिफोर्निया के लिए निकले, तो 20 मई, 1849 को उनकी डायरी लेखन में, बीमारी और मृत्यु द्वारा चिह्नित उनकी भीषण वैगन यात्रा पर शोक व्यक्त किया गया। "ओ मेरी हड्डियों को यहाँ मत छोड़ो," उन्होंने लिखा। "यदि संभव हो तो उन्हें घर पर दफना देना।" जॉन वॉकर नाम के एक और स्वर्ण-खोजी ने लिखा, “यह सबसे पूर्ण लॉटरी है जिसकी आप कल्पना कर सकते हैं . . . मैं किसी व्यक्ति को आने की सलाह नहीं दे सकता।"
वॉकर, वास्तव में, घर लौट आया और खेती, पशुपालन और राज्य की राजनीति में सफल रहा। जब परिवार के एक सदस्य ने अमेरिकी टीवी कार्यक्रम एंटिक्स रोड शो में वॉकर के पीले पड़े अक्षरों को लिया, तो उनकी कीमत कई हजार डॉलर थी। टीवी होस्ट ने कहा, "तो उसे गोल्ड रश से कुछ मूल्यवान मिला। पत्र।"
इससे भी अधिक, वॉकर और जैक्सन दोनों ज्ञान प्राप्त करने के बाद घर लौट आए जिससे उन्हें अधिक व्यावहारिक जीवन प्राप्त करने में मदद मिली। राजा सुलैमान की बुद्धि के बारे में इन शब्दों पर गौर कीजिए, “क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए . . . जो [उसे] ग्रहण कर लेते हैं, उनके लिए वह जीवन का वृक्ष बनती है" (नीतिवचन 3:13, 18)। एक बुद्धिमान विकल्प है, "चाँदी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभी चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है” (पद 14)—─बुद्धि को किसी भी सांसारिक इच्छा से अधिक मूल्यवान बनाना (पद 15) l
“उसके दाहिने हाथ में दीर्घायु . . . और उसके सब मार्ग कुशल के हैं” (पद 16-17)। इसलिए, हमारी चुनौती है बुद्धि को थामे रहना, न कि चमकदार इच्छाओं को। यह एक ऐसा मार्ग है जिसे परमेश्वर आशीष देगा।
प्रार्थना में याद किया गया
बड़े अफ्रीकी चर्च में, पादरी अपने घुटनों पर गिर गया, और परमेश्वर से प्रार्थना करने लगा l "हमे याद रखना!" जैसे ही पास्टर ने याचना की, भीड़ ने चिल्लाते हुए उत्तर दिया, "हे प्रभु, हमें स्मरण कर!" यू ट्यूब पर इस पल को देखकर मैं हैरान रह गया कि मेरे आंसू भी आ गए। प्रार्थना महीनों पहले दर्ज की गई थी। फिर भी यह बचपन के समय को याद करता है जब मैंने अपने परिवार के पासबान को परमेश्वर से यही विनती करते सुना। "हमें याद रखो, प्रभु!"
एक बच्चे के रूप में उस प्रार्थना को सुनकर, मैंने गलत तरीके से यह मान लिया था कि परमेश्वर कभी-कभी हमें भूल जाते हैं। परन्तु परमेश्वर सर्वज्ञ है (भजन संहिता 147:5; 1 यूहन्ना 3:20), वह हमेशा हमें देखता है (भजन संहिता 33:13-15), और वह हमें असीम प्रेम करता है (इफिसियों 3:17-19)।
इससे भी अधिक, जैसा कि हम इब्रानी शब्द ज़कार(zakar) में देखते हैं, जिसका अर्थ है "याद रखना," जब परमेश्वर हमें "याद रखता है", तो वह हमारे लिए कार्य करता है। ज़कर(zakar) का अर्थ किसी व्यक्ति की ओर से कार्य करना भी है। इस प्रकार, जब परमेश्वर ने नूह और "जितने बनैले पशु, और घरेलू पशु उसके संग जहाज में थे" की "सुधि ली," तब उसने "पृथ्वी पर पवन बहाई, और जल घटने लगा" (उत्पत्ति 8:1)। जब परमेश्वर ने बांझ राहेल की भी “सुधि ली,” और उसकी “सुनकर उसकी कोख खोली l इसलिए वह गर्भवती हुयी और उसने एक पुत्र को जन्म दिया” (30:22-23)।
हमें याद करने के लिए प्रार्थना में परमेश्वर से बिनती करने के लिए भरोसे की कितनी बड़ी दलील! वह तय करेगा कि वह कैसे जवाब देता है। हालाँकि, हम यह जानकर प्रार्थना कर सकते हैं कि हमारा विनम्र अनुरोध परमेश्वर को आगे बढ़ने के लिए कहता है।
हमारी सही पहचान
सबसे पहले, उस व्यक्ति ने एक टैकल बॉक्स(मछली पकड़ने की सामग्री का डिब्बा) ख़रीदा । अपने शहर के छोटे से मछली के चारे की दूकान पर खड़े होकर, उसके बाद उसने एक शॉपिंग कार्ट को काँटा, चारा, तिरेंदा(bobb।ers), डोरी, और वजन(weight) से भर दिया । अंत में, उसने उसमें जीवित चारा जोड़ा और एक नया बंसी और घिरनी भी जोड़ा । “क्या आपने पहले कभी मछली पकड़ी है?” दूकानदार ने पूछा । उस व्यक्ति ने जवाब दिया नहीं । दूकानदार ने आगे कहा, “इसमें यह भी जोड़ दें । वह एक फर्स्ट एड किट था । वह व्यक्ति सहमत होकर भुगतान कर दिया, और पूरे दिन के बाद भी कुछ भी नहीं पकड़ा──उन काँटों और घिरनी से अपनी उँगलियों में चीरा के सिवा ।
यह शिमोन पतरस की समस्या नहीं थी । एक अनुभवी मछुआ, एक सुबह वह चकित हुआ जब यीशु ने उसे अपना नाव गहरे जल में ले जाने और “मछलियाँ पकड़ने के लिए जाल” डालने को कहा (लूका 5:4) । पूरी रात कुछ नहीं पकड़ने के बाद, शिमोन और उसके सहकर्मियों ने अपने जाल डाले और “बहुत मछलियाँ घेर लाए, और उनके जाल फटने लगे ।” वास्तव में, उसके दोनों नाव बहुत अधिक मछलियों के कारण डूबने लगे (पद.6) ।
इसे देखकर, शिमोन पतरस “यीशु के पाँवों पर गिरा,” और उससे कहने लगा, “हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूँ” (पद.8) । यीशु, हालाँकि, पतरस की सही पहचान जानता था । उसने अपने शिष्य से कहा, “अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा ।” यह सुनकर, शिमोन “सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो [लिया]” (पद.10-11) । जब हम उसका अनुसरण करते हैं, वह हमें सीखने में मदद करता है हम कौन हैं और उसके अपने होने के कारण हमें क्या करने के लिए बुलाता है ।
आप अकेले नहीं हैं
“आपको देखकर बहुत ख़ुशी हुई !” “आपको, भी!” “बहुत ख़ुशी है कि आप यहाँ हैं!” शुभकामनाएँ गर्मजोशी और स्वागत के थे । एक दूसरे शहर की एक सेवाकाई के सदस्य अपने शाम के कार्यक्रम से पहले ऑनलाइन एकत्र हुए । उनके वक्ता के रूप में, मुझे बुलाते हुए, मैं चुपचाप देखता रहा, जब बाकी लोग वीडियो कॉल पर इकट्ठे होने लगे । एक अंतर्मुझी के रूप में और किसी को नहीं जानने के कारण, मैंने एक सामाजिक रूप से बाहरी व्यक्ति की तरह महसूस किया । फिर अचानक, एक स्क्रीन खुला और वहां मेरे पास्टर थे । फिर एक और स्क्रीन खुला । लम्बे समय से एक चर्च मित्र भी कॉल में शामिल हो रहे थे । उन्हें देखकर, मुझे अब अकेला महसूस नहीं हुआ । ऐसा लगता था, परमेश्वर, समर्थन भेजा था ।
इज़ेबेल और अहाब के प्रकोप से बचकर निकलने के बाद “अकेला [नबी] रह गया है” के जैसा अनुभव करने के बावजूद एलिय्याह अकेला नहीं था (1 राजा 19:10) । मरुभूमि के बियाबान में चालीस दिन और चालीस रात तक यात्रा करने के बाद, एलिय्याह होरेब पर्वत पर एक गुफा में छिप गया । लेकिन परमेश्वर ने उसे सेवा में वापस बुलाकर उससे कहा, “लौटकर दमिश्क के जंगल को जा, और वहां पहुँचकर अराम का राजा होने के लिए हजाएल का और इस्राएल का राजा होने को निमशी के पोते येहू का, और अपने स्थान पर नबी होने के लिए आबेलमहोला के शापात के पुत्र एलिशा का अभिषेक करना” (पद.15-16) ।
परमेश्वर ने उसके बाद आश्वस्त किया, “तौभी मैं सात हज़ार इस्राएलियों को बचा रखूँगा । ये तो वे सब हैं, जिन्होंने न तो बाल के आगे घुटने टेके, और न मुँह से उसे चूमा है” (पद.18) । जैसा कि एलिय्याह ने सीखा, परमेश्वर की सेवा करते समय हम अकेले सेवा नहीं करते हैं । जब परमेश्वर सहायता पहुंचाता है, हम मिलकर सेवा करते हैं ।
बोलने का समय
तीस वर्षों तक, उसने एक बड़ी वैश्विक सेवा में ईमानदारी से काम किया l फिर भी जब उसने साम्प्रदायिक अन्याय के बारे में सहकर्मियों से बात करने की कोशिश की, तो चुप्पी से उसका सामना हुआ l हालाँकि, आखिरकार, 2020 के बसंत में──दुनिया भर में नस्लवाद के बारे में खुली चर्चा के रूप में──उसकी सेवा के मित्रों ने “कुछ खुली बातचीत करना शुरू कर दिया l” मिश्रित भावनाओं और दुःख के, वह आभारी थी कि विचार-विमर्श शुरू हुआ, लेकिन आश्चर्य है कि उसके सहयोगियों को बोलने के लिए इतना समय क्यों लगा l
कुछ स्थितियों में खामोशी एक गुण हो सकता है l जैसा कि रजा सुलैमान ने सभोपदेशक की पुस्तक में लिखा है, “हर एक बात का एक अवसर और प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है, एक समय है . . . चुप रहने का समय, और बोलने का भी समय है” (सभोपदेशक 3:1, 7) l
कट्टरता और अन्याय के सामने, हालाँकि, खामोशी, केवल नुकसान और चोट को सक्षम करता है l लूथरन पास्टर मार्टिन निमलर(नाज़ी जर्मनी में मुखरता से बोलने के लिए जेल में बंद) ने युद्ध के बाद खुद की लिखी एक कविता में इसे कबूल किया l “पहले वे कम्युनिस्टों के लिए आए,” उन्होंने लिखा, “लेकिन मैं इसलिए नहीं बोला क्योंकि मैं कम्युनिस्ट नहीं था l” उसने आगे कहा, “उसके बाद वे” यहूदी, कैथोलिक, और दूसरों के लिए “आए, लेकिन मैं नहीं बोला l” आखिरकार, “वे मेरे लिए आए──और उस समय तक बोलने वाला कोई भी नहीं बचा था l”
अन्याय के खिलाफ बोलने के लिए──साहस──और प्यार चाहिए l परमेश्वर की मदद लेकर, हालाँकि, हम पहचानते हैं कि बोलने का समय अब है l
अपने बाड़े को सरकाओ
गाँव के पास्टर को नींद नहीं आयी l जब द्वितीय विश्व युद्ध और तेज हो गया, उसने अमेरिकी सैनिकों के एक छोटे समूह से कहा कि वह अपने मृत साथियों को चर्च से सटे हुए कब्रिस्तान में दफ़न नहीं कर सकते l केवल चर्च के सदस्यों को दफनाना अनुमत था l इसलिए सैनिकों ने अपने प्रिय मित्र को कब्रिस्तान के बाड़े के ठीक बाहर दफ़न कर दिया l
हालाँकि, अगली सुबह, सैनिक उस कब्र को ढूँढ़ न सके l “क्या हुआ?” कब्र गायब हो गया,” एक सैनिक ने उस पास्टर से कहा l “ओह! वह तो वहीँ पर है,” उन्होंने उससे कहा l सैनिक भ्रमित हो गया, लेकिन उस पास्टर ने समझाया l “आपको नहीं कहने में मुझे अफ़सोस था l इसलिए, पिछली रात, मैं उठा──और मैंने बाड़े को आगे बढ़ा दिया l”
परमेश्वर शायद हमारे जीवन की चुनौतियों को भी नई दृष्टिकोण प्रदान करेगा──यदि हम उसे ढूंढेंगे l नबी यशायाह का इस्राएल के कुचले हुए लोगों के लिए यही सन्देश था l अपने लाल समुद्र के बचाव की ओर लालसा से पीछे देखने के बजाय, उन्हें अपनी दृष्टि स्थानांतरित करनी थी, परमेश्वर को नए आश्चर्यकर्म करते हुए, नये मार्ग गढ़ते हुए देखना था l उसने उनसे आग्रह किया, “प्राचीनकाल की बातों पर मन [न] लगाओ l देखो, मैं एक नई बात करता हूँ” (यशायाह 43:18-19) l संदेह और संघर्ष के समय वही हमारी आशा का श्रोत है l “मैं अपनी चुनी हुई प्रजा के पीने के लिए जंगल में जल [का प्रबंध करूँगा] और निर्जल देश में नदियाँ बहाऊंगा” (पद.20) l
नये दर्शन से तरोताज़ा होकर, हम भी परमेश्वर के नूतन मार्गदर्सन को अपने जीवनों में देख सकते हैं l हम अपनी नई दृष्टि से उसके नए मार्गों को देखें l तब, साहस के साथ, हम नई भूमि पर बहादुरी के साथ उसका अनुसरण करें l
बुद्धिमत्ता से आनंद की ओर
फोन बजा और बगैर विलम्ब किये मैंने उसे उठा लिया l पुकारनेवाली हमारे चर्च परिवार की सबसे पुरानी सदस्या थी──ऊर्जावान, मेहनती महिला जिसकी उम्र लगभग सौ वर्ष थी l अपनी नवीनतम पुस्तक में अंतिम सुधार करते हुए, उन्होंने समापन रेखा पार करने के लिए मुझसे कुछ प्रश्न लिखने के लिए कहा l हमेशा की तरह, हालाँकि, मैं तुरंत उनसे प्रश्न पूछने लगा──जीवन, कार्य, प्रेम, परिवार के विषय l लम्बे जीवन से उनके अनेक सबक बुद्धिमत्ता से चमक रहे थे l उन्होंने मुझसे कहा, “अपनी रफ़्तार को नियमित करो l” और शीध्र ही हम उन समयों के विषय खिलखिला रहे थे जब वह ऐसा करना भूल गई थीं──उनकी अद्भुत कहानियाँ जो वास्तविक आनंद से समयोचित थीं l
बाइबल सिखाती है कि बुद्धिमत्ता आनंद का कारण बनती है l “क्या ही धन्य(आनंदित) है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे” (नीतिवचन 3:13) l हम पाते हैं कि यह मार्ग──बुद्धिमत्ता से आनंद की ओर──वास्तव में बाइबल का एक सद्गुण है l “बुद्धि . . . तेरे हृदय में प्रवेश करेगी, और ज्ञान(आनंद) तुझे सुख देनेवाला लगेगा” (नीतिवचन 2:10) l “जो मनुष्य परमेश्वर की दृष्टि में अच्छा है, उसको वह बुद्धि और ज्ञान और आनंद देता है” (सभोपदेशक 2:26) l नीतिवचन 3:17(BSI,Hindi-C.L.) आगे कहता है, बुद्धिमत्ता के “पथ सुख-समृद्धि से परिपूर्ण हैं l”
जीवन के विषयों पर विचार करते हुए, लेखक सी. एस. ल्युईस ने घोषणा किया कि “आनंद स्वर्ग का गंभीर मामला है l” वहाँ का पथ, हालाँकि, बुद्धिमत्ता से प्रशस्त है l मेरे चर्च की सखा, जो 107 वर्ष तक जीवित रही, सहमत होती l वह बुद्धि सम्मत, आनंदित गति से राजा की ओर चली l