भरपूर जीवन
सत्रहवीं सदी के दार्शनिक थॉमस होब्स ने सुविदित से लिखा है कि अपनी स्वाभाविक अवस्था में मानव जीवन “अकेला, गरीब, अप्रिय, पशुवत्, और छोटा है l” उन्होंने तर्क दिया कि हमारी प्रवृत्ति दूसरों पर प्रभुत्व प्राप्त करने की होती है; अतः कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकार की स्थापना आवश्यक होगी l
मानवता की धूमिल दृष्टि उस हालात की तरह लगती है जिसका वर्णन यीशु ने किया जब उसने कहा, “जितने मुझे से पहले आए वे सब चोर और डाकू हैं” (यूहन्ना 10:8) l लेकिन यीशु निराशा के मध्य आशा प्रदान करता है l “चोर . . . केवल चोरी करने और घात करने और नष्ट करने को आता है,” लेकिन फिर अच्छी खबर : “मैं इसलिए आया कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं” (पद.10) l
भजन 23 उस जीवन का एक तरोताज़ा तस्वीर प्रस्तुत करता है जो हमारा चरवाहा हमें देता है l उसमें, हमें “कुछ घटी” नहीं होती (पद.1) और वह हमारे “जी में जी ले आता है” (पद.3) l वह अपनी सिद्ध इच्छा के सही मार्ग में अगुवाई करता है, ताकि जब हम अंधकार भरे समय का भी सामना करते हैं, हमें डरने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि वह हमें शांति देने के लिए उपस्थित रहता है (पद.3-4) l वह विपत्ति के समय आशीषों से अभिभूत करता है (पद.5) l उसकी भलाई और करुणा हर दिन हमारे साथ रहती है, और हमें सदा के लिए उसकी उपस्थिति का अवसर मिलता है पद.6) l
काश हम चरवाहे की बुलाहट का उत्तर दें और उस पूरा, भरपूर जीवन का अनुभव करें जो वह हमें देने आया l
अच्छी मात्रा में
एक दिन एक पेट्रोल पंप पर, स्टेला का सामना एक महिला से हुआ जो अपने बैंक कार्ड के बिना घर से निकल आई थी l अपने बच्चे के साथ फंसी हुयी, वह राहगीरों से मदद मांग रही थी l हालाँकि उस समय बेरोजगार होने के बावजूद स्टेला ने अजनबी के टैंक में 500 रूपये का पेट्रोल भरवा दिया l कुछ दिनों के बाद, स्टेला घर लौटकर देखी कि बच्चों के खिलौनों से भरा एक बास्केट और दूसरे प्रकार के उपहार उसके ओसारे में रखे हुए थे l अजनबी के मित्रों ने स्टेला के दयालुता का बदला दिया था और उसके 500 रूपये की आशीष को उसके परिवार के लिए स्मरणीय क्रिसमस में बदल दिया था l
दिल को छूनेवाली यह कहानी यीशु के उस बिंदु को दर्शाती है जब उसने कहा था, “दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा l लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता हुआ तुम्हारी गोद में डालेंगे, क्योंकि जिस नाप से तुम नापते हो, उसी से तुम्हारे लिए भी नापा जाएगा” (लूका 6:38) l
यह सुनना लुभाने वाला हो सकता है और हम देने के द्वारा क्या प्राप्त करते हैं पर केन्द्रित होते हैं, लेकिन ऐसा करने से हमसे एक बिंदु छूट सकता है l यीशु ने इस कथन से पहले ऐसा कहा : “अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, और भलाई करो, और फिर पाने की आशा न रखकर उधार दो; और तुम्हारे लिए बड़ा फल होगा, और तुम परमप्रधान के संतान ठहरोगे, क्योंकि वह उन पर जो धन्यवाद नहीं करते और बुरों पर भी कृपालु है” (पद.35) l
हम वस्तु पाने के लिए नहीं देते हैं; हम देते हैं क्योंकि परमेश्वर हमारी उदारता में आनंदित होता है l दूसरों के लिए हमारा प्रेम हमारे प्रति उसके प्रेमी हृदय को प्रतिबिंबित करता है l
अगला क्या है?
3 अप्रैल, 1968 की रात को, डॉ. मार्टिन लूथर किंग ने अपना अंतिम भाषण दिया, “मैं माउंटेनटॉप(पर्वत की चोटी) पर जा चुका हूँ l” उसमें, वे संकेत देते हैं कि उन्हें विश्वास है कि वह शायद लम्बे समय तक जीवित नहीं रहने वाले थे l उन्होंने कहा, “हमारे आगे कुछ मुश्किल दिन हो सकते हैं l लेकिन अभी मेरे साथ इसका कोई मतलब नहीं है l क्योंकि मैं माउंटेनटॉप(पर्वत की चोटी) पर जा चुका हूँ l और मैं उस पार देख चुका हूँ l और मैं प्रतिज्ञात देश देख चुका हूँ l मैं शायद आपके . . . साथ वहां न पहुँचूँ [लेकिन] आज रात मैं खुश हूँ l मुझे किसी बात की चिंता नहीं है l मैं किसी भी आदमी से नहीं डरता l मेरी आँखों ने प्रभु के आने की महिमा को देखी है l” अगले दिन, उनकी हत्या कर दी गयी l
प्रेरित पौलुस, अपनी मृत्यु से कुछ समय पूर्व, अपने उत्तरजीवी तीमुथियुस को लिखा : “मैं अर्घ के समान उंडेला जाता हूँ, और मेरे कूच का समय आ पहुँचा है l . . . भविष्य में मेरे लिए धर्म का वह मुकुट रखा हुआ है, जिसे प्रभु, जो धर्मी और न्यायी है, मुझे उस दिन देगा” (2 तीमुथियुस 4:6,8) l पौलुस जानता था कि पृथ्वी पर उसका समय समाप्ति की ओर था, जैसा कि डॉ. किंग का भी था l दोनों पुरुषों को अविश्वसनीय महत्त्व के जीवन का अहसास हुआ, फिर भी आगे के सच्चे जीवन से दृष्टि नहीं हटाई l दोनों पुरुषों ने आगे आने वाली बात का स्वागत किया l
उनके समान, हम भी “देखी हुयी वस्तुओं को नहीं परन्तु अनदेखी वस्तुओं को देखते [रहें]; क्योंकि देखी हुयी वस्तुएं थोड़े ही दिन की हैं, परन्तु अनदेखी वस्तुएं सदा बनी रहती हैं” (2 कुरिन्थियों 4:18) l
अनमोल मृत्यु
लीज़ शेफर्ड नामक एक प्रसिद्ध मूर्तिकार ने एक बार अपना कार्य प्रदर्शन-मंजूषा में रखा l वह उन अनमोल अंतिम क्षणों से प्रेरित थी जो उसने अपने पिता के साथ बिताए थे जो मृत्यु शय्या पर थे l इसने खालीपन और हानि को व्यक्त किया, एक भावना कि आपके प्रियजन पहुँच से बाहर हैं l
यह विचार कि मृत्यु अनमोल है, सहजज्ञान के विपरीत प्रतीत हो सकती है; हालाँकि, भजनकार ने घोषणा कि, “यहोवा के भक्तों की मृत्यु, उसकी दृष्टि में अनमोल है” (भजन 116:15) l परमेश्वर अपने लोगों की मृत्यु को संजोये रखता है, क्योंकि उनके गुज़र जाने पर वह उनका स्वागत घर में करता है l
यह परमेश्वर के वफादार सेवक (“संत” NKJV) कौन हैं? भजनकार के अनुसार, ये वे लोग है जो उसके द्वारा छुटकारे के लिए परमेश्वर की सेवा धन्यवाद के साथ करते हैं, जो उसके नाम को पुकारते हैं, और अपनी मन्नतें प्रगट में उसकी सारी प्रजा के सामने [पूरी करते हैं] (भजन 116:16-18) l ऐसे कार्य परमेश्वर के साथ चलने, उसके द्वारा दी जानेवाली स्वतंत्रता को स्वीकार करने और उसके साथ सम्बन्ध बनाने के लिए जानबूझकर सोचा-समझा चुनाव का प्रतिनिधित्व करती हैं l
ऐसा करने में, हम खुद को यीशु की संगति में पाते हैं, जो “परमेश्वर के निकट चुना हुआ और बहुमूल्य . . . है . . . इस कारण पवित्रशास्त्र में भी आया है : ‘देखो, मैं सिय्योन में कोने के सिरे का चुना हुआ और बहुमूल्य पत्थर धरता हूँ : और जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह किसी रीति से लज्जित नहीं होगा” (1 पतरस 2:4-6) l जब हमारा भरोसा परमेश्वर पर है, इस जीवन से हमारा प्रस्थान उसकी उपस्थिति में बहुमूल्य है l
परमेश्वर की सच्चाई
सी.एस. ल्युईस की द क्रोनिकल्स ऑफ़ नार्निया : द लायन, द विच एंड द वॉर्डरोब (The Chronicles of Narnia : The Lion, the Witch and the Wardrobe) में, सम्पूर्ण नार्निया(काल्पनिक दुनिया) रोमांचित है जब एक शक्तिशाली शेर असलान लम्बे समय की अनुपस्थिति के बाद फिर से प्रकट होता है l हालंकि, उनका आनंद दुःख में बदल जाता है, जब असलान बुरी व्हाइट जादूगरनी द्वारा की गयी मांग को स्वीकार करता है l असलान की स्पष्ट हार का सामना करते हुए, नार्निया के लोग उसकी शक्ति का अनुभव करते हैं, जब वह एक गगनभेदी गर्जन का कारण बनता है, जिससे जादूगरनी आतंकित होकर भाग जाती है l हालाँकि, ऐसा लगता है कि सब कुछ खो गया है, असलान अंततः खलनायक जादूगरनी से बड़ा साबित होता है l
ल्युईस के रूपक में असलान के अनुयायियों की तरह, एलिशा का नौकर तब निराश हो गया जब वह एक सुबह उठकर खुद को और एलिशा को एक दुश्मन सेना से घिरा हुआ देखा l “हाय ! मेरे स्वामी, हम क्या करें?” वह चिल्लाया (2 राजा 6:15) l नबी की प्रतिक्रिया शांत थी : “मत डर . . . . जो हमारी ओर हैं, वह उन से अधिक हैं, जो उनकी ओर हैं l” तब एलिशा ने प्रार्थना की, “हे यहोवा, इसकी आँखें खोल दे कि यह देख सके” (पद.17) l इसलिए, “यहोवा ने सेवक की आँखें खोल दीं, और जब वह देख सका, तब क्या देखा कि एलिशा के चारों ओर का पहाड़ अग्निमय घोड़ों और रथों से भरा हुआ है” (पद.17) l हालाँकि, पहले-पहल चीजें नौकर की नज़र से ख़राब लग रहीं थीं, परमेश्वर की सामर्थ्य अंततः दुश्मन की भीड़ से अधिक साबित हुयी l
हमारी कठिन परिस्थितियाँ हमें विश्वास दिला सकती हैं कि सब खो गया है, लेकिन परमेश्वर हमारी आँखें खोलने की इच्छा रखता है और प्रकट करता है कि वह बड़ा है l
जब परमेश्वर हस्तक्षेप करता है
“दिस चाइल्ड इज़ बिलवेड(This Child Is Beloved)” शीर्षक कविता में, एक अफ़्रीकी पास्टर अपने माता-पिता द्वारा अपने गर्भावस्था को समाप्त करने के प्रयासों के बारे में लिखा है, जिसके परिणामस्वरूप उनका जन्म हुआ l कई असामान्य घटनाओं के बाद, जिसने उन्हें गर्भपात करने से रोका, उन्होंने इसके बजाय अपने बच्चे का स्वागत करने का फैसला किया l परमेश्वर के उनके जीवन के संरक्षण के ज्ञान ने ओमाउमी को पूर्णकालिक सेवा के पक्ष में एक आकर्षक जीविका छोड़ने के लिए प्रेरित किया l आज, वह विश्वासपूर्वक लन्दन के एक चर्च के पास्टरीय सेवा करते हैं l
इस पास्टर की तरह, इस्राएलियों ने अपने इतिहास में एक अतिसंवेदनशील समय में परमेश्वर के हस्तक्षेप का अनुभव किया l जंगल में यात्रा करते हुए, वे मोआब के राजा बालाक के नज़र में आ गए l उनकी विजय और उनकी विशाल जनसंख्या से भयभीत, बालाक ने सीधे-सादे यात्रियों (गिनती 22:2-6) पर एक अभिशाप लगाने के लिए बालाम नामक एक दृष्टा/नबी को लगा दिया l
लेकिन कुछ आश्चर्यजनक हुआ l जब भी बालाम ने शाप देने के लिए अपना मुँह खोला, उसके बदले आशीष निकली l “देख, आशीर्वाद ही देने की आज्ञा मैं ने पायी है : वह आशीष दे चुका है, और मैं उसे नहीं पलट सकता,” उसने घोषणा की l “उसने याकूब में अनर्थ नहीं पाया; और न इस्राएल में अन्याय देखा है l उसका परमेश्वर यहोवा उसके संग है . . . उनको मिस्र में से ईश्वर ही निकाले लिए आ रहा है” (गिनती 23:20-22) l परमेश्वर ने इस्राएलियों को एक ऐसी लड़ाई से बचाया, जो उन्हें पता भी नहीं था कि वह क्रोधित था!
चाहे हम इसे देखें या न देखें, परमेश्वर आज भी अपने लोगों की देखभाल करता है l हम कृतज्ञता और भय में उसकी उपासना करें जो हमें धन्य कहता है l
सिद्धता से स्थापित
वैज्ञानिक जानते हैं कि हमारा गृह सूर्य से उसके ताप का लाभ प्राप्त करने के लिए बिलकुल ठीक दूरी पर स्थित है l थोड़ा निकट और सारा पानी वाष्पित हो जाता, जैसा कि शुक्र गृह पर है l केवल थोड़ी दूर और सब कुछ जम जाता जैसा कि मंगल ग्रह पर है l सही मात्रा में गुरुत्वाकर्षण उत्पन्न करने के लिए पृथ्वी का आकार बिलकुल सही है l कम हमारे चाँद की तरह सब कुछ को भारहीन के साथ निष्प्राण बना देता, जबकि अधिक गुरुत्वाकर्षण जहरीली गैसों को आकर्षित करता जो बृहस्पति पर जीवन का दम घोंटती है l
जटिल भौतिक, रासायनिक और जैविक अन्तःक्रियाएं जिससे हमारा संसार बना है पर एक प्रबुद्ध अभिकल्पक (sophisticated Designer) की छाप है l हमें इस जटिल शिल्प कौशल की एक झलक मिलती है जब परमेश्वर अय्यूब से हमारी समझ से परे चीजों के विषय बातें करता है l परमेश्वर पूछता है, “जब मैं ने पृथ्वी की नींव डाली, तब तू कहाँ था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे l उसकी नाप किसने ठहराई, क्या तू जानता है! उस पर किसने सूत खींचा? उसकी नींव कौन सी वस्तु पर रखी गयी, या किसने उसके कोने का पत्थर बिठाया?” (अय्यूब 38:4-6) l
सृष्टि की विशालता की यह झलक हमें आश्चर्यचकित कर देती है जब पृथ्वी के शक्तिशाली महासागर उसके समक्ष दंडवत करते हैं जिसने “जब समुद्र ऐसा फूट निकला मानो वह गर्भ से फूट निकला, तब किसने द्वार बंदकर के उसको रोक दिया; . . . [जिसने कहा] ‘यहाँ तक आ, और आगे न बढ़,’” (पद.8-11) l आश्चर्य में हम भोर के तारों के साथ गाएँ और स्वर्गदूतों के साथ जयजयकार करें (पद.7), क्योंकि संसार हमारे लिए बनाया गया था कि हम परमेश्वर को जान जाएँ और उस पर भरोसा करें l
दाता की प्रसन्नता
टिकल मी एल्मो(Tickle Me Elmo)? कैबेज पैच किड्स(Cabbage Patch Kids)? द फर्बी(The Furby) याद हैं? इनमें कौन सी समानता है? इन सभी का स्थान समय के बीस सबसे लोकप्रिय क्रिसमस उपहारों में से हैं l इसके अलावा सूची में मोनोपोली(Monopoly), नाइनटेंडो गेम बॉय(Nintendo Game Boy), और वाई(Wii) हैं l
हम सभी क्रिसमस पर उपहार देने में प्रसन्न होते हैं, लेकिन यह कि क्रिसमस का पहला उपहार देने में परमेश्वर की ख़ुशी की तुलना में कुछ भी नहीं है l यह उपहार एक बच्चे के रूप में आया था, जो बैतलहम की एक चरनी में जन्म लिया था (लूका 2:7) l
उसके विनम्र जन्म के बावजूद, बच्चे के आगमन की घोषणा एक स्वर्गदूत द्वारा की गयी थी, जिसने घोषणा की, “देखो, मैं तुम्हें बड़े आनंद का सुसमाचार सुनाता हूँ जो सब लोगों के लिए होगा कि आज दाऊद के नगर में तुम्हारे लिए एक उद्धारकर्ता जन्मा है, और यही मसीह प्रभु है” (पद. 10-11) l इस शानदार खबर के बाद, “स्वर्गदूत के साथ स्वर्गदूतों का दल परमेश्वर की स्तुति करते हुए और यह कहते दिखाई दिया, ‘आकाश में परमेश्वर की महिमा और पृथ्वी पर उन मनुष्यों में जिनसे वह प्रसन्न है, शांति हो’” (पद.13-14) l
इस क्रिसमस, अपने प्रियजनों को उपहार देने का आनंद लें, लेकिन देने का कारण कभी न भूलें – हमें हमारे पापों से बचाने के लिए परमेश्वर का असाधारण अनुग्रह उसके पुत्र के रूप में उपहार स्वरुप मिला l हम देते हैं क्योकि उसने दिया l हम धन्यवाद के साथ उसकी उपासना करें!
लालची लोभी
प्राचीन कथा द बॉय एंड द फिल्बर्ट्स(नट्स)The Boy and the Filberts(Nuts) में, एक लड़का अपने हाथ बादाम के जार में डालकर मुठी भर बादाम निकालना चाहता है l लेकिन उसकी मुट्ठी इतनी भरी हुयी होती है कि वह जार में फंस जाती है l अपने इनाम का थोड़ा सा भी हिस्सा खोने के लिए तैयार नहीं होने पर, लड़का रोने लगता है l आखिरकार, उसे कुछ बादाम छोड़ने की सलाह दी जाती है कि उसका हाथ निकल जाए l लालच एक कठोर बॉस हो सकता है l
सभोपदेशक का बुद्धिमान शिक्षक हाथों के विषय एक सबक के साथ इस नैतिकता को दर्शाता है और वह हमारे बारे में क्या कहते हैं l उसने लालची के साथ आलसी की तुलना और विषमता दिखाया जब उसने लिखा : “मुर्ख छाती पर हाथ रखे रहता, और अपना मांस खाता है l चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छा है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना है” (4:5-6) l जबकि आलसी तब तक विलम्ब करते हैं जब तक वे बर्बाद नहीं हो जाते, जो लोग धन का पीछा करते हैं उन्हें एहसास होता है कि उनका प्रयास “व्यर्थ है – एक दुखी व्यवसाय!” (पद.8) l
शिक्षक के अनुसार, अभिलाषित अवस्था लालची लोभी के परिश्रम से अलग होकर जो वास्तव में हमारा है उसमें संतोष प्राप्त करना है l क्योंकि जो हमारा है वह सदैव बना रहेगा l जैसे यीशु ने कहा, “यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा?