स्मरण रखें कब
हमारा बेटा नशीली दवाओं की लत से सात वर्षों तक संघर्ष करता रहा, और उन दिनों में मेरी पत्नी और मैं अनेक कठिन दिनों का अनुभव किये l जब हम उसकी आरोग्यता के लिए प्रार्थना करके ठहरे रहे, हमने छोटी-छोटी जीत का उत्सव मनाना सीखा l चौबीस घंटे में कुछ बुरा नहीं होने पर, हम एक दूसरे से बोलते, “आज का दिन अच्छा था l” यह छोटा वाक्य परमेश्वर की छोटी-से-छोटी सहायता के लिए धन्यवादी बनने की ताकीद बन गयी l
भजन 126:3 में परमेश्वर की कोमल करुणा की और बेहतर ताकीद है और वे हमारे लिए आख़िरकार क्या अर्थ रखते हैं : यहोवा ने हमारे साथ बड़े बड़े काम किये हैं; और इससे हम आनंदित हैं l” क्रूस पर यीशु की करुणा को स्मरण करते हुए यह पद हमारे लिए कितनी बड़ी ताकीद है! किसी भी प्राप्त दिन की कठिनाइयाँ इस सच्चाई को बदल नहीं सकती कि जो भी आए, हमारे प्रभु ने हमें अगम दयालुता दिखाई है, और “उसकी करुणा सदा की है” (भजन 136:1) l
कठिन परिस्थिति से निकलकर परमेश्वर की विश्वासयोग्यता अनुभव करने के बाद, हमें जीवन में आनेवाली कठिनाई में बहुत अधिक सहायता मिलती है l हमें यह ज्ञात नहीं परमेश्वर हमारी परिस्थिति में हमें कैसे ले चलेगा, किन्तु अतीत में उसकी करुणा हमें उसकी सहायता का भरोसा देता है l
कुछ छिपा नहीं
2015 में एक अंतर्राष्ट्रीय शोध कंपनी का कथन था कि पूरे विश्व में दो करोड़ पैंतालिस लाख निगरानी कैमरे लगे हुए हैं, और इनकी संख्या प्रतिवर्ष 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है l इसके अलावा, करोड़ों लोग अपने स्मार्टफोन से हर दिन, जन्मदिन उत्सव से लेकर बैंक डकैती तक की तस्वीर खींचते हैं l चाहे हम बढ़ी हुई सुरक्षा की सराहना करें या क्षीण एकान्तता की निंदा करें, हम वैश्विक, कैमरा-सर्वत्र समाज में रहते हैं l
नये नियम की पुस्तक इब्रानियों के अनुसार परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध में, हम कैमरे की आँख की चौकसी की तुलना में खुलासा और जबाबदेही का बृहद स्तर अनुभव करते हैं l दो धारी तलवार की तरह, उसका वचन, हमारे व्यक्तित्व के गहराई को बेधता है जहाँ वह “मन की भावनाओं और विचारों को जाँचता है l सृष्टि की कोई वस्तु उससे छिपी नहीं है वरन् जिस से हमें काम है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और प्रगट हैं” (इब्रा. 4:12-13) l
क्योंकि हमारा उद्धारकर्ता यीशु बिना पाप किये हमारी निर्बलताओं और परीक्षाओं का अनुभव किया, हम “अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बांधकर चलें कि हम पर दया हो, और वह अनुग्रह पाएँ जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे” (पद. 15-16) l हमें उससे डरने की ज़रूरत नहीं किन्तु उसके निकट आने पर अनुग्रह हेतु आश्वस्त रहें l
मिलकर कार्य करें
मेरी पत्नी शकरकंद, अजवाइन के पत्ते, मशरूम, गाजर, और प्याज को मिलाकर, धीमी आंच पर दम किया हुआ बेहतरीन माँसाहारी भोजन बनाती है l छः या साथ घंटे बाद घर खुशबु से भर जाता है, और पहला स्वाद बेहतरीन होता है l मेरे लिए यह फाएदेमंद है जब धीमी आंच पर समस्त सामग्री से ऐसा लाभ मिलता है जो अकेले प्राप्त नहीं किया जा सकता था l
जब पौलुस ने दुःख के सन्दर्भ में “सब ... मिलकर” वाक्यांश उपयोग किया, उसने उस शब्द का उपयोग किया जिससे शब्द सहक्रियता मिलता है l उसने लिखा, “हम जानते हैं कि जो लोग परमेश्वर से प्रेम रखते हैं, उनके लिए सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं : अर्थात् उन्हीं के लिए जो उसकी इच्छा के अनुसार बुलाए हुए हैं” (रोमियों 8:28) l वह रोमियों को जताना चाहता था कि परमेश्वर उनके दुःख का कारण नहीं है, वह उनकी सर्वश्रेष्ठ भलाई के लिए, उनकी हर परिस्थिति को अपने दिव्य योजना के साथ सहयोग करने देगा l पौलुस द्वारा बताई गई भलाई स्वास्थ्य, धन, प्रसस्ती, या सफलता के अस्थायी आशीष नहीं थे, किन्तु “उसके पुत्र के स्वरुप में” में बनना था (पद.29) l
हम धीरज धरें और भरोसा रखें क्योंकि हमारा स्वर्गिक पिता सब दुःख, बिमारी, बुराई को अपनी महिमा और हमारे आत्मिक भलाई के लिए उपयोग करेगा l वह हमें यीशु के समान बनाना चाहता है l
यों ही दयालुता के कार्य
कुछ लोगों के अनुसार अमरीकी लेखिका ऐन हर्बर्ट ने 1982 में एक रेस्टोरेंट में मेजपोश पर यों ही यह वाक्यांश लिख दी “यों ही भलाई और खूबसूरती के अर्थहीन काम करें l” उस समय से यह मनोभाव फिल्म और साहित्य द्वारा लोकप्रिय बनाया गया है और हमारे शब्दावली का हिस्सा बन गया है l
प्रश्न उठता है “क्यों?” हम दया क्यों दिखाएं? यीशु के अनुयायियों के लिए, उत्तर स्पष्ट है : परमेश्वर की करुणा और दयालुता प्रकट करने हेतु l
यह सिद्धांत पुराने नियम की मोआब की एक प्रवासिन, रूत, की कहानी में है l वह विदेशी एक अपरिचित देश में रहती थी जिसकी भाषा और संस्कृति उस से परे थी l इसके अतिरिक्त, वह बहुत निर्धन थी, लोगों के दान पर निर्भर जो उसकी सुधि कम ही लेते थे l
हालाँकि, एक इस्राएली ने रूत पर अनुग्रह करके उसके हृदय को छुआ (रूत 2:13) l वह उसे अपने खेत में अनाज बीनने दिया, किन्तु सरल उपकार से बढ़कर, उसने अपनी सहानुभूति द्वारा परमेश्वर की कोमल करुणा प्रकट की, जिसकी छाया में वह आश्रय पा सकती थी l वह बोअज की दुल्हन बनी, परमेश्वर के परिवार का हिस्सा, और उस वंसज का एक भाग जिससे यीशु था, जो संसार के लिए उद्धार लेकर आया (देखें मत्ती 1:1-16) l
हमें नहीं मालुम कि यीशु के नाम में दया के एक कार्य का क्या परिणाम हो सकता है l
पुराना तौभी नया
2014 में, कनटकी में राष्ट्रीय कोरवेट आजायबघर में अचानक धरती में बना एक बड़ा गड्ढा आठ पुराने, अनमोल शेवेरले कोरवेट स्पोर्ट्स कारों को लील गया l कुछ तो मरम्मत करने लायक ही नहीं रहीं l
1992 में बनी, समूह की सबसे कीमती दस-लाखवां कोरवेट कार पर विशेष ध्यान दिया गया l जो उस सर्वोत्तम कृति के साथ हुआ चिताकर्षक था l विशेषज्ञों ने उस कार के मूल भागों का मरम्मत करके उसको उसके मूल रूप में ला दिया l यद्यपि यह छोटी खूबसूरती बहुत ख़राब आकार में थी, वर्तमान में बिल्कुल नयी दिखाई देती है, मानो अभी बनकर आई हो l
पुराना और टूटा हुआ नया बना दिया गया l
हमारे लिए बड़ी ताकीद है कि यीशु में विश्वसियों के लिए परमेश्वर ने ऐसा ही रखा है l प्रकाशितवाक्य 21:1 में यूहन्ना “नए आकाश और नयी पृथ्वी” की बात करता है l अनेक बाइबिल विद्वान “नयी” पृथ्वी को नूतन पृथ्वी के रूप में देखते हैं, क्योंकि नयी शब्द का उनका अध्ययन बताता है कि उसका अर्थ “नूतन” या “नवीकरण” कर देना है, जब पुराने की खराबी मिटा दी गई है l इस पृथ्वी की विकृति को परमेश्वर ठीक कर देगा और नूतन बनाएगा, फिर भी एक परिचित स्थान जहाँ विश्वासी उसके साथ रहेंगे l
एक नयी, आरामदायक, परिचित, और खुबसूरत पृथ्वी के विषय विचार करना कितनी अद्भुत सच्चाई है l परमेश्वर की हस्तकला की विभूति की कल्पना करें l
अपने बोझ नीचे रख दें
गाँव की सड़क पर एक व्यक्ति अपनी छोटी ट्रक से जाते हुए एक महिला को बोझ उठाकर जाते देखकर, उसे अपने वाहन में बुलाया l महिला धन्यवाद देकर वाहन में सवार हो गई l
कुछ क्षण बाद, उस व्यक्ति ने उस महिला को उसके वाहन में बैठे हुए अभी भी बोझ उठाए हुए पाया! चकित होकर उसने कहा, “कृपया अपना बोझ नीचे रख कर आराम से बैठें l मेरा वाहन आपको और आपकी बोझ को उठाने में सक्षम है l”
हम जीवन के अनेक चुनौतियों के मध्य अक्सर भय, चिंता और घबराहट के बोझ के साथ क्या करते हैं? प्रभु में विश्राम करने की बजाए, मैं कभी-कभी उस महिला की तरह आचरण करता हूँ l यीशु ने कहा, “हे सब परिश्रम करनेवालों और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा” (मत्ती 11:28), फिर भी जो बोझ यीशु को देना चाहिए, मैं उठाते देखा जाता हूँ l
हम प्रार्थना में अपने बोझ प्रभु के पास लाकर उतार देते हैं l प्रेरित पतरस कहते हैं, “अपनी सारी चिंता [यीशु] पर डाल दो, क्योंकि उसको तुम्हारा ध्यान है” (1 पतरस 5:7) l क्योंकि वह हमारी चिंता करता है, हम उसमें भरोसा करना सीखते हुए विश्राम करके आराम पाते हैं l हमें दबाने और श्रमित करने वाले को उठाने की जगह, हम उसे प्रभु को उठाने हेतु दें l
हमारे प्रावधान का श्रोत
अगस्त 2010 में, संसार की निगाहें कोपिआपो, चिली के एक खनन दस्ते की ओर थी l 33 खनिक 2,300 फीट धरती के नीचे अँधेरे में फंसे थे l उन्हें सहायता की आशा न थी l 17 दिनों के इंतज़ार के बाद बचाव दल ने, खनिकों तक जल, भोजन और दवाईयाँ पहुँचाने के लिए चार सुराख़ बनाए l खनिक ऊपर धरती से इन वाहिकाओं पर अर्थात् बचाव दल के प्रावधान पर निर्भर थे l उनहत्तरवें दिन, बचाव दल ने अंतिम खनिक को सुरक्षित बाहर निकाला l
हममें से हर कोई इस संसार में खुद की सामर्थ के बाहर के प्रावधान पर निर्भर है l संसार का रचनाकार, परमेश्वर हमारी समस्त ज़रूरतें पूरी करता है l उन खनिकों के लिए उन सुराखों की तरह, प्रार्थना समस्त ज़रूरतों की पूर्तिकर्ता से हमें जोड़ता है l
यीशु ने हमें प्रार्थना करने को उत्साहित किया, “हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे” (मत्ती 6:11) l उनके दिनों में रोटी जीवन का बुनियादी भोजन था अर्थात् लोगों की दैनिक ज़रूरत का चिंत्रण l यीशु हमें केवल भौतिक आवश्यकताओं के लिए नहीं किन्तु समस्त ज़रूरतों के लिए प्रार्थना करने को कहता है-सुख,चंगाई,साहस,बुद्धिमत्ता l
हर क्षण उस तक प्रार्थना द्वारा हमारी पहुँच है, और वह हमारे मांगने से पूर्व हमारी ज़रूरत जानता है (पद.8) l आज आप किस से संघर्षरत हैं? “जितने यहोवा को पुकारते हैं ...उन सभों के वह निकट रहता है” (भजन 145:18) ;
किसी का उत्सव मनाना
चरनी के अनेक दृश्यों में, ज्योंतिषियों को चरवाहों के साथ बेतलहम में यीशु से मिलते दर्शाया जाता है l किन्तु मत्ती के सुसमाचार के अनुसार, ज्योतिषी यीशु से मिलने एक घर में आते हैं l वह एक सराए के गौशाले की चरनी में नहीं था l मत्ती 2:11 हमें बताता है, “उन्होंने उस घर में पहुँचकर उस बालक को उसकी माता मरियम के साथ देखा, और मुँह के बल गिरकर बालक को प्रणाम किया, और अपना-अपना थैला खोलकर उसको सोना, और लोबान, और गंधरस की भेंट चढ़ाई l”
यह जानकार कि ज्योतिषी बाद में यीशु से मिलने आए हमें नया वर्ष आरंभ करते समय एक ताकीद मिलती है l छुट्टियों के बाद जब हम पुनः अपने दिनचर्या में लौटते हैं, हमारे पास अभी भी कोई है जिसके साथ हम उत्सव माना सकते हैं l
यीशु मसीह प्रत्येक मौसम में इम्मानुएल, “परमेश्वर हमारे साथ” है (मत्ती 1:23) l उसने “सदा” (28:20) हमारे साथ रहने का वादा किया है l क्योंकि वह सदा हमारे साथ है, हम अपने हृदयों में उसकी आराधना प्रतिदिन कर सकते हैं और भरोसा कर सकते हैं कि वह आनेवाले वर्षों में भी विश्वासयोग्य रहेगा l जैसे ज्योतिषियों ने उसको खोजा, हम भी उसको अपने स्थान पर खोजें और उपासना करें l
परमेश्वर की सुनना
मेरे युवा पुत्र को मेरी आवाज़ पसंद है, सिवाय इसके कि जब मैं उसका नाम ज़ोर से और कठोरता से इस प्रश्न के साथ पुकारती हूँ, “तुम कहाँ हो?” ऐसा मैं तब करती हूँ, जब वह कुछ नटखटी करके मुझसे छिप रहा होता है l मैं चाहती हूँ कि मेरा बेटा मेरी आवाज़ सुने क्योंकि मैं उसकी भलाई और सुरक्षा चाहती हूँ
आदम और हव्वा परमेश्वर की आवाज़ से परिचित थे l l हालांकि, वर्जित फल को खाकर अनाज्ञाकारिता के बाद, वे उसकी आवाज़ सुनकर, “तुम कहाँ हो?” छिप गए (उत्पत्ति 3:9) l वे गलती करने के कारण परमेश्वर का सामना नहीं कर पा रहे थे-कुछ जिसे उसने माना किया था (पद.11) l
जब परमेश्वर ने आदम और हव्वा को पुकारकर उन्हें बगीचे में पाया, उसके शब्दों में अवश्य ही सुधार और परिणाम था (पद.13-19) l किन्तु परमेश्वर ने उन पर दया दिखाई और उद्धारकर्ता की प्रतिज्ञा में मानवता के लिए आशा भी दी(पद.15) l
परमेश्वर हमें खोजे, यह ज़रूरत नहीं है l उसे ज्ञात है हम कहाँ हैं और हम क्या छिपाने की कोशिश कर रहे हैं l किन्तु एक प्रेमी पिता होने के कारण, वह हमारे हृदयों से बातें करना चाहता है और हमें क्षमा और आरोग्यता देना चाहता है l उसकी इच्छा है हम उसकी आवाज़ सुने-और ध्यान दें l