माह: सितम्बर 2019

विश्वास-कदम

डेस्मंड डॉस दूसरे विश्व यूद्ध में एक गैर सैनिक के रूप में भर्ती हुए थे l यद्यपि उनका धार्मिक मत उन्हें बंदूक उठाने से रोकता था, डॉस प्रवीणता से सैनिक डॉक्टर के तौर पर सेवा किए l एक युद्ध में, अत्यधिक और बार-बार दुश्मन की गोलाबारी का सामना करते हुए उन्होंने पचहतर घायल सैनिकों को अपनी इकाई में सुरंक्षित पहुँचाया l उसकी कहानी एक दस्तावेज़ी फिल्म(documentary) द कॉनसेनशियस ऑबजेक्टर(The Conscientious Objector) में बतायी गयी है और फिल्म हैकसॉ रिट्ज (Hacksaw Ridge) में नाटकीकृत की गयी है l

मसीही विश्वास के नायकों की सूची में अब्राहम, मूसा, दाऊद, एलिय्याह, पतरस, और पौलुस जैसे साहसी चरित्र शामिल हैं l फिर भी अरिमतिया का यूसुफ और निकुदेमुस कुछ ऐसे नायकों में हैं जिन्हें प्रशंसा और पहचान नहीं मिली, जिन्होंने मसीह की क्रूसीकृत शव को ले जाकर उसे सम्मानित तौर से मिटटी देने के लिए यहूदी अगुओं के सामने अपने पद को जोखिम में डाला (यूहन्ना 19:40-42) l यह यीशु का भयभीत, गुप्त विश्वासी था और एक अन्य, निकुदेमुस था, जिसने केवल रात में उससे मिलने की साहस किया था (पद.38-39) l इससे अधिक प्रभावशाली यह बात है कि यीशु के विजयी रूप से कब्र से जी उठने से पूर्व उन्होंने अपने विश्वास का कदम उठाया l क्यों?

शायद यीशु की मृत्यु का तरीका और तुरंत होने वाली घटनाओं (मत्ती 27:50-54) ने इन भयभीत अनुयायियों के अनुभवहीन विश्वास को दृढ़ कर दिया था l संभवतः उन्होंने मनुष्य उनके साथ क्या कर सकते थे से अधिक परमेश्वर कौन है पर केन्द्रित होना सीख लिया था l प्रेरणा चाहे कुछ भी रही हो, आज दूसरों के लिए काश हम भी उनके नमूना पर चलनेवाले बनकर अपने परमेश्वर में विश्वास का जोखिम उठाने का साहस प्रगट कर सकें l

सुरक्षा के गलत स्थान

जब हमारा कुत्ता रुपर्ट पिल्ला था, वह बाहर जाने से बहुत डरता था और मुझे उसे खींचकर पार्क में ले जाना पड़ता था l एक दिन उसे वहां ले जाने के बाद, मैंने मुर्खता से उसका  पट्टा खोल दिया l वह बहुत तेजी से दौड़कर घर में अपने सुरक्षा के स्थान पर चला गया l

यह अनुभव मुझे एक व्यक्ति के विषय याद दिलाता है जिससे मैं विमान में मिली थी l जब हमें विमान पट्टी पर ले जाया जा रहा था वह मुझसे खेद प्रगट करने लगा l “मैं इस विमान में नशे में चूर होना चाहता हूँ,” उसने कहा l ऐसा महसूस होता है जैसे आप चाहते नहीं हैं,” मैंने जवाब दिया l “मैं नहीं चाहता हूँ,” उसने कहा, “परन्तु मैं बार-बार शराब की ओर लौटता हूँ l” उसने शराब पी ली, और सबसे दुखद भाग उसके विमान से उतरने पर उसकी पत्नी का उसे गले लगाना था, उसकी साँसे सूंघना थी, और उसके बाद उसे दूर धकेलना था l शराब पीना उसकी सुरक्षा का स्थान था, परन्तु वह बिलकुल सुरक्षित स्थान नहीं था l

यीशु ने अपना मिशन इन शब्दों से आरम्भ किया, “परमेश्वर का राज्य निकट आ गया है; मन फिराओ और सुसमाचार पर विश्वास करो” (मरकुस 1:15) l “मन फिराओ” का अर्थ है विपरीत दिशा में मुड़ना l “परमेश्वर का राज्य” हमारे जीवनों पर उसका प्रेमी शासन है l उन स्थानों पर भागना जो हमें जाल में फंसा सकते हैं, या भय और लत के अधीन होने के बदले, यीशु कहते हैं कि परमेश्वर स्वयं हम पर शासन कर सकता है, जो प्रेम से नए जीवन और स्वतंत्रता में हमारी अगुवाई करता है l

आज रुपर्ट आनंद के साथ भौंकते हुए दौड़कर पार्क में जाता है l विमान पर उस व्यक्ति के लिए मेरी प्रार्थना है कि वह सुरक्षा के अपने गलत स्थान को छोड़कर वही आनंद और स्वतंत्रता प्राप्त कर सके l

परमेश्वर की दृष्टि में योग्य

एक तकनीक-परामर्शी कंपनी ने मुझे कॉलेज के बाद नौकरी पर लगा ली यद्यपि मैं कंप्यूटर कोड की एक पंक्ति भी नहीं लिख पाती थी और मेरे पास व्यवसाय सम्बंधित बहुत कम ज्ञान था l मेरे साक्षात्कार के दौरान, मेरे प्रवेश-स्तर ओहदे के लिए, मुझे पता चला कि वह कंपनी कार्य अनुभव को उच्च महत्त्व नहीं देती थी l इसके बदले, व्यक्तिगत गुण जैसे रचनात्मक तौर से समस्याएँ हल करने की योग्यता, सही न्याय करना, और टीम के साथ अच्छे से काम करना अधिक महत्वपूर्ण बातें थीं l कंपनी का अनुमान था कि नए कर्मचारियों को अनिवार्य कौशल सिखाया जा सकता था अगर वे उस प्रकार के लोग थे जैसा कंपनी ढूंढ रही थी l

नूह के पास जहाज़ बनाने के काम के लिए सही बायोडाटा नहीं था – वह नाव बनाने वाला नहीं था या एक बढ़ई भी नहीं l नूह एक किसान था, वह व्यक्ति जो वस्त्र पर मिट्टी और हाथ में हल से सुखद महसूस करता था l फिर भी जब परमेश्वर ने उस समय संसार में बुराई को समाप्त करने के तरीके का निर्णय किया, नूह अव्वल दिखाई दिया क्योंकि वह “परमेश्वर ही के साथ साथ चलता [था]” उत्पत्ति 6:9) l परमेश्वर ने नूह के सीखने वाले हृदय को महत्त्व दिया – अपने चारों ओर के नैतिक पतन का सामना करने और उचित करने की सामर्थ्य l

जब हमारे समक्ष परमेश्वर की सेवा करने के अवसर हों, हम खुद को उस कार्य के योग्य महसूस नहीं करेंगे l धन्यवाद हो, ज़रूरी नहीं कि परमेश्वर हमारे कौशल भाव के विषय चिंतित है l वह हमारे चरित्र को, उसके लिए प्रेम को, और उसपर भरोसा करने को महत्त्व देता है l जब पवित्र आत्मा द्वारा हमारे अन्दर इन योग्यताओं का विकास होता है, वह इस पृथ्वी पर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए हमें बड़े या छोटे रूप में उपयोग कर सकता है l

मेरे चारों ओर एक ढाल

जब आराधना का नेतृत्व करनेवाले कुशल सेवक, पॉल, की मृत्यु इकत्तीस वर्ष की उम्र में एक नाव दुर्घटना में हुयी, हमारी कलीसिया ने दुखद हानि का अनुभव किया l पॉल और उसकी पत्नी डूरोंडा, दुःख से अपरिचित नहीं थे; उन्होंने अनेक बच्चों को दफनाया था जो समय से पूर्व जन्म लेने के कारण मर गए थे l अब उन छोटे बच्चों के कब्रों के निकट एक और कब्र होने वाला था l इस परिवार ने जीवन को दमित करनेवाला जिस संकट का अनुभव किया उसने उनसे प्रेम करनेवालों के मस्तिष्क पर गहरा प्रहार किया l

दाऊद व्यक्तिगत और पारिवारिक संकट के प्रति अजनबी नहीं था l भजन 3 में, उसने खुद को अपने पुत्र अबशालोम के विरोध के कारण अभिभूत महसूस किया l ठहरकर युद्ध करने के बदले, उसने अपने घर और राजगद्दी को छोड़कर भाग जाने का चुनाव किया (2 शमूएल 15:13-23) l यद्यपि “बहुतों ने” उसे परमेश्वर द्वारा त्यागा हुआ माना (भजन 3:2), दाऊद बेहतर जानता था, उसने प्रभु को अपना सुरक्षा देनेवाले के रूप में देखा (पद.3), और उसने उसे उसी प्रकार पुकारा (पद.4) l और डूरोंडा भी l अपने शोक में, जब सैंकड़ों लोग उसके पति को स्मरण करने के लिए इकठ्ठा हुए थे, उसने अपनी मधुर, मृदु स्वर में गीत गाकर परमेश्वर में अपना भरोसा दर्शाया l

जब डॉक्टर का रिपोर्ट उत्साहवर्धक नहीं हो, जब आर्थिक तनाव थोड़ा भी कम न हो, जब संबंधों में मेल करने का प्रयास विफल हो जाए, जब मृत्यु ने उन लोगों के शवों को दफ़नाने के लिए छोड़ दिया हो जिनसे हम प्यार करते थे – काश हम भी कहने के लिए समर्थ हो जाएं, “परन्तु हे यहोवा, तू तो मेरे चारों ओर मेरी ढाल है, तू मेरी महिमा और मेरे मस्तक का ऊँचा करनेवाला है” (पद. 3) l

जानने के लिए बढ़ते जाना

“आप दूसरे के स्थान पर रखे जा रहे छात्र होंगे!” मैं सत्रह वर्ष का था और यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ कि मुझे जर्मनी में अध्ययन करने की स्वीकृति मिल गयी थी l परन्तु यह मेरे प्रस्थान से केवल तीन महीने पहले हुआ था, और मैंने जर्मन भाषा कभी नहीं पढ़ी थी l

उसके बाद के दिनों में मैंने खुद को अत्यधिक पढ़ने और सीखने का प्रयास करते हुए पाया – घंटों पढ़ाई करना और शब्दों को याद करने के लिए अपनी हथेली पर भी लिखना l

महीनों बाद मैं जर्मनी में एक कक्षा में था, हतोत्साहित क्योंकि मैं उस भाषा को अधिक नहीं जानता था l उस दिन एक शिक्षक ने मुझे एक बुद्धिमान सलाह दी l “किसी भाषा को सीखना रेत के एक टीले पर चढ़ने की तरह है l कभी-कभी आपको महसूस होगा कि आप आगे कहीं भी नहीं पहुँच रहे हैं l परन्तु आगे बढ़ते रहें और आप सफल हो जाएंगे l”

कभी-कभी मैं उस अंतर्दृष्टि पर चिंतन करता हूँ जब मैं विचार करता हूँ कि यीशु के शिष्य की तरह बढ़ने का अर्थ क्या होता है l प्रेरित पौलुस ने याद किया, “सब दशाओं में मैं ने तृप्त होना . . . सीखा है l” पौलुस को भी, व्यक्तिगत शांति रातोंरात नहीं मिली l पौलुस उसमें बढ़ता गया l पौलुस ने अपनी प्रगति का रहस्य साझा करता है : “जो मुझे सामर्थ्य देता है उसमें में सब कुछ कर सकता हूँ” (फिलिप्पियों 4:13) l

जीवन की अपनी चुनौतियां हैं l परन्तु जब हम उसकी ओर उन्मुख होते हैं जिसने “संसार को जीत लिया है” (यूहन्ना 16:33), हम केवल यह नहीं पाते हैं कि वह हमें पार लगाने में विश्वासयोग्य है परन्तु यह कि उसकी निकटता से बढ़कर कुछ नहीं है l वह हमें अपनी शांति देता है, भरोसा करने में सहायता करता है, और उसके साथ तय दूरी चलने में समर्थ बनाता है l