बेट्टी आंटी का तरीका
जब मैं छोटा था, तो जब भी मेरी अत्यधिक स्नेह करनेवाली बेट्टी आंटी आती थी, मुझे क्रिसमस जैसा लगता था । वह खिलौने लाती थी और दरवाजे से बाहर जाते समय पैसे भी दे जाती थी l जब भी मैं उनके साथ रहा, उन्होंने फ्रीज़र को आइसक्रीम से भर दिया और सब्जियां कभी नहीं पकायी l उनके कुछ नियम थे और मुझे देर रात तक जगा कर रखती थीं l परमेश्वर की उदारता को दर्शानेवाली मेरी आंटी अद्भुत थी । हालाँकि, स्वस्थ रूप से उन्नति करने के लिए, मुझे केवल आंटी बेट्टी के तरीके से अधिक की आवश्यकता थी । मैं चाहता था कि मेरे माता-पिता मुझसे और मेरे आचरण से अपेक्षा करें, और मेरी माने l
परमेश्वर बेट्टी आंटी से अधिक मेरे विषय मुझसे पूछता है l जबकि वह हमें अथक प्रेम से भर देता है, एक ऐसा प्यार जो उस समय भी कभी डगमगाता नहीं जब हम विरोध करते हैं या भाग जाते हैं, वह हमसे कुछ अपेक्षा ज़रूर करता है l जब परमेश्वर इस्राएल को कैसे जीना है का निर्देश दिया, उसने दस आज्ञाएँ दीं, दस सुझाव नहीं (निर्गमन 20:1-17) । हमारे आत्म-धोखे के बारे में अभिज्ञ, परमेश्वर स्पष्ट अपेक्षाएँ प्रदान करता है : “हम परमेश्वर से प्रेम [करें] और उसकी आज्ञाओं को [मानें]” (1 यूहन्ना 5:2) l
शुक्र है, “[परमेश्वर की] आज्ञाएँ कठिन नहीं [हैं] (पद.3) । पवित्र आत्मा की सामर्थ्य के द्वारा, हम उनको व्यवहारिक रूप से जी सकते हैं जब हम परमेश्वर के प्रेम और आनंद का अनुभव करते हैं । हमारे लिए उसका प्रेम अनवरत है l लेकिन पवित्रशास्त्र हमें यह जानने में मदद करने के लिए एक प्रश्न प्रस्तुत करता है कि क्या हम बदले में परमेश्वर से प्रेम करते हैं : क्या हम उसकी आज्ञाओं का पालन कर रहे हैं जब पवित्र आत्मा हमारा मार्गदर्शन करता है?
हम कह सकते हैं कि हम परमेश्वर से प्यार करते हैं, लेकिन हम उसकी ताकत में क्या करते हैं वास्तविक कहानी बताती है ।
क्रिसमस सेल
एक माँ को लगा कि वह परिवार के क्रिसमस उपहारों पर अतिव्यय कर रही है, इसलिए एक साल उसने कुछ अलग करने की सोची l छुट्टी से पहले कुछ महीनों तक, उसने सेकंड-हैंड बिक्री के जरिए सस्ती, प्रयुक्त वस्तुएँ ढूंढ़ी l उसने सामान्य से अधिक खरीदा लेकिन बहुत कम पैसे में । क्रिसमस की पूर्व संध्या पर, उसके बच्चों ने उत्साहपूर्वक एक उपहार के बाद दूसरा फिर तीसरा उपहार खोला । अगले दिन और भी थे! माँ ने नए उपहार नहीं लाने के लिए दोषी महसूस किया था, इसलिए क्रिसमस की सुबह उसके पास अतिरिक्त उपहार थे । बच्चों ने उन्हें खोलना शुरू किया, लेकिन जल्दी से शिकायत की, "हम और उपहारों को खोलने के लिए बहुत थक गए हैं!" आपने हमें बहुत अधिक दिया है! " क्रिसमस की सुबह बच्चों की ओर से यह आदर्श प्रत्युत्तर नहीं है!
परमेश्वर ने हमें बहुत आशीष दी है, लेकिन ऐसा लगता है कि हम हमेशा अधिक तलाश रहे होते हैं : एक बड़ा घर, एक बेहतर कार, एक बड़ा बैंक खाता, या [रिक्त स्थान भरें] । पौलुस ने तीमुथियुस को अपनी मंडली में लोगों को यह याद दिलाने के लिए प्रोत्साहित किया कि “न हम जगत में कुछ लाए हैं और न कुछ ले जा सकते हैं l यदि हमारे पास खाने और पहिनने को हो, तो इन्हीं पर संतोष करना चाहिए” (1 तीमुथियुस 6:7–8) ।
परमेश्वर ने हमें हमारी जरूरतों की पूर्ति के अलावा हमारी सांस और जीवन दिया है । उसके उपहारों के साथ आनंद लेने और संतुष्ट होने के लिए यह कितना तरोताज़ा हो सकता है और यह कहना, आपने हमें बहुत कुछ दिया है! हमें और अधिक की आवश्यकता नहीं है l संतोष सहित भक्ति बड़ी कमाई है (पद.6) l
अनवरत प्रेम
हेडी और जेफ गर्म जलवायु वाले एक बाहरी देश में एक निर्धारित कार्य के बाद घर आए और अमेरिका के मिशिगन राज्य में परिवार के साथ कई महीनों तक रहे – बस सर्दियों का समय आने वाला था l यह पहली बार होगा जब उनके दस बच्चों में से कई ने बर्फ की प्राकृतिक सुंदरता देखी होगी ।
लेकिन सर्दियों के मौसम में बाहरी गर्म कपड़ों की ज़रूरत होती है, जिसमें कोट, दास्ताने, जूते शामिल हैं l एक बड़े परिवार के लिए, यह काफी महंगा उपक्रम होगा जो उन्हें आगे आने वाले ठंड के महीनों के लिए तैयार करेगा । लेकिन परमेश्वर ने प्रबंध किया । पहले, एक पड़ोसी ने जूते लाए, फिर बर्फ वाले पेंट, फिर टोपी और दस्ताने । फिर, एक मित्र ने अपने चर्च में दूसरों से परिवार के प्रत्येक सदस्य के लिए सभी बारह साइजों में विभिन्न प्रकार के गर्म कपड़े इकट्ठा करने का आग्रह किया । जब बर्फीला मौसम आया, तब तक परिवार के पास उनकी ज़रूरत के अनुकूल सब था l
जिन तरीकों से हम परमेश्वर की सेवा करते हैं, उनमें से एक है ज़रूरतमंद लोगों की सेवा करना । पहला यूहन्ना 3:16-18 हमें खुद की संपत्ति की प्रचुरता से दूसरों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करता है । सेवा करने से हमें यीशु की तरह बनने में मदद मिलती है क्योंकि हम लोगों को उसके दृष्टिकोण से प्यार करना और देखना आरम्भ कर देते हैं l
परमेश्वर अक्सर अपने बच्चों का उपयोग जरूरतों को पूरा करने और प्रार्थनाओं का जवाब देने के लिए करता है l और जब हम दूसरों की सेवा करते हैं हमारे अपने हृदयों को प्रोत्साहन मिलता है जैसे हम उन लोगों को प्रोत्साहित करते हैं जिनकी हम सेवा करते हैं । परिणामस्वरूप, हमारा अपना विश्वास बढ़ेगा जब परमेश्वर हमें नए तरीकों से सेवा के लिए सुसज्जित करता है
(पद.18) ।
प्रार्थना का सुअवसर
एक अत्यंत व्यक्तिगत अंग्रेजी गीत, जिसका शीर्षक है, “डैडी, अब प्रार्थना नहीं करते हैं(Daddy Doesn’t Pray Anymore),” गीतकार के अपने पिता की प्रार्थनाओं से प्रेरित है । हृदयस्पर्शी गीत से उसके पिता की प्रार्थना समाप्त होने का कारण पता चलता है : मोहभंग या थकावट नहीं, बल्कि उनकी अपनी मृत्यु । वह कल्पना करता है कि अब, प्रार्थना में यीशु के साथ बात करने के बजाय, उसके पिताजी यीशु के साथ चल रहे हैं और आमने-सामने बात कर रहे हैं ।
पिता की प्रार्थनाओं का यह स्मरण एक बाइबिल सम्बन्धी पिता की अपने बेटे के लिए प्रार्थना को ध्यान में रखता है । जब राजा दाऊद का जीवन शक्तिहीन होने लगा, उसने अपने बेटे सुलैमान को इस्राएल के अगले राजा के रूप में पदभार संभालने की तैयारी की ।
सुलैमान का अभिषेक करने के लिए एक साथ राष्ट्र को इकट्ठा करने के बाद, दाऊद ने प्रार्थना में लोगों का नेतृत्व किया, जैसा कि उसने पहले भी कई बार किया था । जब दाऊद ने इस्राएल के प्रति ईश्वर की विश्वासयोग्यता को स्मरण किया, तो उसने लोगों से उसके प्रति विश्वासयोग्य रहने की प्रार्थना की । फिर उसने अपने बेटे के लिए विशेष रूप से एक व्यक्तिगत प्रार्थना को शामिल किया, जिसमें परमेश्वर से कहा गया कि “मेरे पुत्र सुलैमान का मन ऐसा खरा कर दे कि वह तेरी आज्ञाओं, चितौनियों और विधियों को मानता रहे” (1 इतिहास 29:19) ।
हमारे पास उन लोगों के लिए ईमानदारी से प्रार्थना करने का उल्लेखनीय विशेषाधिकार है जिन्हें परमेश्वर ने हमारे जीवन में रखा है । विश्वासयोग्यता का हमारा उदाहरण एक अमिट प्रभाव डाल सकता है जो हमारे चले जाने के बाद भी बना रहेगा । जिस तरह परमेश्वर ने सुलैमान और इस्राएल के लिए दाऊद की प्रार्थना के उत्तरों को जारी रखा था, उसी प्रकार हमारी प्रार्थनाओं का प्रभाव हमारे बाद भी जारी रहता है l
क्रिसमस की उपस्थिति
“खामोशी में एक बेश बहा, बख्सिश है नमूदार; आसमानी बरकतों का अब, हर दिल में है इज़हार; हर आजिज़ दिल में यीशु तू दाखिल होता है; और ताइब गुनाहगार को भी, काबुल तू करता है l” एक अत्याधिक पसंदीदा गीत “बैतलहेम के ऐ छोटे कस्बे(O Little Town of Bethlehem)” के शब्द क्रिसमस के सार की ओर इशारा करता है l यीशु हमें हमारे पाप से छुड़ाने के लिए हमारी टूटी-फूटी दुनिया में आया और परमेश्वर में अपना विश्वास रखनेवालों को परमेश्वर के साथ एक नया और महत्वपूर्ण सम्बन्ध देता है l
गीत लिखने के दशकों बाद एक मित्र को लिखे एक पत्र में, रचयिता ने मार्मिक रूप से अपने जीवन में इस रिश्ते के परिणाम का वर्णन किया : “मैं आपको यह नहीं बता सकता कि यह मेरे लिए कितना व्यक्तिगत है । वह यहाँ है । वह मुझे जानता है और मैं उसे जानता हूँ l यह अलंकार(figure of speech) नहीं है । यह दुनिया की सबसे असली चीज़ है, और हर दिन इसे और अधिक वास्तविक बनाता है । और कोई भी खुशी के साथ आश्चर्य करता है कि जैसे-जैसे वर्ष बीतते जाते हैं यह किस दिशा में उन्नति करेगा l
उसके जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति की यह शांत निश्चयता यशायाह द्वारा नबूवत किये गए यीशु के नामों में से एक को प्रतिबिम्बित करता है : “एक कुमारी गर्भवती होगी और पुत्र को जनेगी, और उसका नाम इम्मानुएल रखेगी” (यशायाह 7:14) l मत्ती का सुसमाचार हमें इब्री नाम इम्मानुएल का अर्थ बताता है : "परमेश्वर हमारे साथ” (1:23) ।
परमेश्वर यीशु के द्वारा हमारे निकट आया ताकि हम उसे व्यक्तिगत रूप से जान सकें और हमेशा उसके साथ रह सकें l हमारे साथ उसकी प्रेममय उपस्थिति सबसे बड़ा उपहार है l