परमेश्वर आपकी कहानी जानता है
जब मैं अपनी सबसे प्रिय मित्र के साथ दोपहर का भोजन करने के बाद घर लौट रही थी, मैंने ऊंची आवाज़ में उसके लिए परमेश्वर को धन्यवाद दिया l वह मुझे जानती है और मुझे उन बातों के बावजूद प्यार करती है जो मैं अपने बारे में पसन्द नहीं करती l वह एक छोटे समूह के लोगों में से एक है जो मुझे जैसी मैं हूँ स्वीकार करती है──विचित्रता, आदतें, और गड़बड़ियाँ l फिर भी, मेरी कहानी में ऐसे हिस्से हैं जो मैं उससे और दूसरों से जिन्हें मैं प्यार करती हूँ साझा नहीं करना चाहती──उन समयों में जब मैं वीरांगना/नायिका बिलकुल नहीं थी, समय जब मैं आलोचनात्मक या कठोर या प्रेमरहित थी l
लेकिन परमेश्वर मेरी पूरी कहानी अवश्य जानता है l यद्यपि मैं दूसरों के साथ बात करने में हिचकिचाता हूँ वह ही है जिससे मैं स्वतंत्र रूप से बात कर सकता हूँ l
भजन 139 के परिचित शब्द उस निकटता का वर्णन करते हैं जिसका आनंद हम अपने अधिराजा के साथ लेते हैं l वह हमें पूर्ण रूप से जानता है! (पद.1) l वह “[हमारे] पूरे चालचलन का भेद जानता है” (पद.3) l वह हमें हमारे समस्त भ्रम, हमारे बेचैन विचार, और संघर्षों और आजमाइशों के साथ अपने पास बुलाता है l वह आगे बढ़कर हमारी कहानी के उन हिस्सों को पुनर्स्थापित और फिर से लिखता है जो हमें दुखित करते हैं क्योंकि हम उससे भटक गए हैं l
किसी और की तुलना में जो कभी हमें जान सकता है, परमेश्वर हमें बेहतर जानता है, और इसके बावजूद . . . वह हमसे प्रेम करता है! जब हम हर दिन अपने को उसे समर्पित करते हैं और उसे और अधिक पूर्णता से जानने की खोज जरते हैं, वह अपनी महिमा के लिए मेरी कहानी को बदल सकता है l रचयिता वह ही है जो उसे निरंतर लिख रहा है l
बाइबल में भरोसा
प्रसिद्ध अमेरिकी प्रचारक बिली ग्रैहम ने एक बार बाइबल को पूरी तरह से सच मानने के अपने संघर्ष का वर्णन किया l एक रात जब वे सैन बेर्नारडिनो पहाड़ पर एक रिट्रीट सेन्टर में चांदनी में अकेले टहल रहे थे, वे अपने घुटनों पर आ गए और बाइबल को एक पेड़ के ठूंठ पर रख दी और “हकलाते हुए” केवल एक प्रार्थना बोल पाए l “ओ, परमेश्वर! इस पुस्तक में अनेक बातें हैं जो मैं समझ नहीं पाता हूँ l”
अपने भ्रम को स्वीकार करने के द्वारा, ग्रैहम ने कहा कि आख़िरकार पवित्र आत्मा ने “मुझे बोलने के लिए स्वतंत्र कर दिया l ‘पिता, मैं इसे आपके वचन के रूप में स्वीकार करने जा रहा हूँ──विश्वास से!’” जब वे उठ खड़े हुए, उनके पास अभी भी प्रश्न थे, लेकिन उन्होंने कहा, “मैं जानता था कि मेरी आत्मा में एक आत्मिक युद्ध लड़ा गया था और जीता गया था l”
युवा नबी यिर्मयाह भी आत्मिक युद्ध लड़ा था l इसके बावजूद उसने निरंतर पवित्रशास्त्र में उत्तर खोजता था l “जब तेरे वचन मेरे पास पहुंचे, तब मैं ने उन्हें मानो खा लिया, और तेरे वचन मेरे मन के हर्ष और आनंद का कारण हुए” (यिर्मयाह 15:16) l उसने कहा, “यहोवा का वचन . . . मेरी हड्डियों में धधकती हुई आग [है]” (20:8-9) l उन्नीसवीं शताब्दी का प्रचारक चार्ल्स स्पर्जन ने लिखा, “[यिर्मयाह] हमें एक रहस्य में ले चलता है l उसका बाहरी जीवन, विशेषकर उसकी विश्वासयोग्य सेवा, उसके द्वारा प्रचारित किए जानेवाले वचन के आंतरिक प्रेम के कारण था l”
हमारे संघर्षों के बावजूद हम भी वचन की बुद्धिमत्ता द्वारा अपने जीवन को आकर दे सकते हैं l हम विश्वास से, हमेशा की तरह, निरंतर अध्ययन कर सकते हैं l
सांस थाम कर रखना : अपने जीवन साथी के खोने का शोक मनाना
मैं अपने कमरे के कोने में छोटे नीले रंग के सोफ़े पर बैठ कर उसे सांस लेते देखती थी। वह एक समय पर जीने का और एक ही समय पर मरने का प्रयत्न कर रहा था। वैज्ञानिक कहते हैं वैवाहिक जोड़ो की सांस लेने की और हृदय की गति कुछ समय के बाद परस्पर मिलने लगती है। अन्य लोग इस…
शोक का बोझ : खोने का बोझ उठाना
मेरी बचपन की यादों में से एक याद है की मेरे माता-पिता दुख से जूझ रहे थे। क्रिसमस से एक सप्ताह पहले मेरे अंकल का कार दुर्घटना में देहांत हो गया था। वह अपनी पत्नी (जो कि मेरे पिता की बहन थी) और तीन छोटे बच्चे छोड़ गए थे ।
जिन परेशानियों की तह में से होकर मेरे माता-पिता गुजर रहे…
क्रियाशील विश्वास
सैम के पिता को एक सैनिक आघात से अपने जीवन को बचाने के लिए भागना पड़ा था l आमदनी के अचानक समाप्त होने के बाद, परिवार अनिवार्य दवाइयां खरीदने के योग्य नहीं रहा जो सैम के भाई को जीवित रख सकता था l परमेश्वर से क्षुब्ध होकर, सैम ने सोचा, हमने क्या किया है जिससे हमारी यह दशा है?
यीशु के एक अनुयायी ने इस परिवार की परेशानी के विषय सुना l यह जानकार कि उसके पास दवा के लिए पर्याप्त पैसा है, उसने दवा खरीदी और उनके पास ले गया l एक अपरिचित से जीवन-रक्षक उपहार ने उनपर अद्भुत प्रभाव डाला l “इस रविवार को हम इस व्यक्ति के चर्च जाएंगे,” उसकी माँ बोली l सैम का क्रोध शांत होने लगा l और अंततः, एक एक करके, उस परिवार के प्रत्येक सदस्य ने यीशु में विश्वास कर लिया l
जब याकूब ने मसीह में विश्वास की घोषणा के साथ ईमानदारी की जीवनशैली की आवश्यकता के बारे में लिखा, तो उसने दूसरों की देखभाल करने की ज़रूरत को व्यक्त किया l “यदि कोई भाई या बहिन नंगे-उघाड़े हो और उन्हें प्रतिदिन भोजन की घटी हो, और तुम में से कोई उनसे कहे, ‘कुशल से जाओ, तुम गरम रहो और तृप्त रहो,’ पर जो वस्तुएँ देह के लिए आवश्यक हैं वह उन्हें न दे तो क्या लाभ?” (2:15-16) l
हमारे कार्य हमारे विश्वास की असलियत दर्शाती है l खास तौर से, उस प्रकार के कार्य दूसरों के विश्वास-चयन को प्रभावित कर सकता है l सैम के मामले में, वह एक पास्टर और कलीसिया रोपक बन गया l अंततः, वह उस आदमी को जिसने उसके परिवार की सहायता की थी “पापा मैप्स” पुकारने वाला था l वह अब उसे अपने आत्मिक पिता के रूप में जानता था──वह व्यक्ति जिसने उन्हें यीशु का प्यार दिखाया l
दूसरों तक अनुग्रह फैलाना
हमारा बेटा अपने जीवन का आरंभिक काल एक बालाश्रम में बिताया इससे पूर्व कि हम उसे दत्तक लेते l साथ में घर जाते समय जीर्ण-शीर्ण ईमारत को छोड़ने से पहले हमने उससे अपने समान इकठ्ठा करने को कहा l दुःख की बात है कि उसके पास कुछ नहीं था l हमने उसके पहने हुए कपड़ों की जगह उसे नए पहनाए जो हम उसके लिए लाए थे और कुछ कपड़े दूसरे बच्चों के लिए छोड़ दिये l यद्यपि मुझे इस बात का दुःख था कि उसके पास कितना कम था, मैं आनंदित थी कि अब हम उसकी भौतिक और भावनात्मक ज़रूरतों को पूरा करने में मदद कर सकेंगे l
कुछ वर्षों के बाद, हमने एक व्यक्ति को ज़रूरतमंद परिवारों के लिए दान मांगते देखा l मेरा बेटा उसे अपने स्टफ्ड एनिमल्स(stuffed animals) और कुछ सिक्के देने को इच्छुक था l उसकी पृष्ठ्भूमि को देखते हुए, हो सकता है कि वह अपने सामानों को कसकर पकड़ने के लिए (संभवतः) अधिक प्रवृत्त रहा हो l
मुझे लगता है कि उसके उदार प्रत्युत्तर का कारण शुरूआती चर्च के समान था : “सब पर बड़ा अनुग्रह था, जिससे उनके बीच कोई भी ज़रूरतमंद नहीं था (प्रेरितों 4:33-34) l लोग अपनी इच्छा से अपनी संपत्ति बेचकर एक दूसरे की ज़रूरतों का प्रबंध करते थे l
जब हम दूसरों की ज़रूरतों के विषय जागरूक हो जाते हैं, भौतिक या अमूर्त, परमेश्वर का अनुग्रह बहुत सामर्थ्य से हममें काम करे ताकि हम उसी तरह प्रत्युत्तर दें जैसे उन्होंने दिया था, ज़रुरतमन्दों को अपनी इच्छा से देना l यह हमें यीशु में “एक चित्त और एक मन” के विश्वासियों के रूप में परमेश्वर के अनुग्रह का माध्यम बनाता है, (पद.32) l