स्वीकार्य और अनुमोदित
एक बच्चे के रूप में, टेनी ने असुरक्षित महसूस किया । उसने अपने पिता से अनुमोदन माँगा, लेकिन उसे कभी नहीं मिला । ऐसा प्रतीत हुआ कि उसने जो भी किया, चाहे स्कूल या घर में, वह कभी भी अच्छा नहीं था । जब वह व्यस्क हो गया, वह असुरक्षा कायम रहा । वह निरंतर सोचता रहा, क्या मैं लायक हूँ?
केवल जब टेनी ने यीशु को अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर लिया उसने सुरक्षा और अनुमोदन प्राप्त किया जिसकी वह लम्बे समय से अभिलाषा करता था । उसने सीखा कि परमेश्वर──उसको रचने के बाद──उससे प्रेम करता था और उसे अपने पुत्र की तरह दुलारता था । टेनी आख़िरकार उस भरोसे के साथ जी सकता था कि वास्तव में उसका महत्त्व था और वह अधिमुल्यित था ।
यशायाह 43:1-4 में, परमेश्वर ने अपने चुने हुए लोगों से बोला कि, उनको बनाने के बाद, वह उन्हें छुड़ाने के लिए अपनी सामर्थ्य और प्रेम का उपयोग करेगा । “मेरी दृष्टि में तू अनमोल और प्रतिष्ठित ठहरा है,” उसने घोषणा की । इसलिए कि वह उनसे प्यार करता था वह उनके पक्ष में कार्य करेगा (पद.4) ।
परमेश्वर जिनसे प्रेम करता है उन पर जो मूल्य रखता है वह हमारे द्वारा किये गए कार्यों के कारण नहीं है, लेकिन सरल और शक्तिशाली सच्चाई से कि उसने हमें अपना बनाने के लिए चुना है ।
यशायाह 43 में ये शब्द टेनी को केवल महान सुरक्षा ही नहीं दिया, बल्कि जो भी कार्य करने के लिए उसे बुलाया गया था, उसमें परमेश्वर के लिए अपने सर्वश्रेष्ठ करने के भरोसे के साथ उसे सामर्थी बनाया । आज वह एक पास्टर है जो इस जीवन-सत्य के साथ दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए वह सब करता है : हम यीशु में स्वीकृत और अनुमोदित हैं । आज हम इस सच्चाई को भरोसा के साथ जीएँ ।
हमारी सही पहचान
सबसे पहले, उस व्यक्ति ने एक टैकल बॉक्स(मछली पकड़ने की सामग्री का डिब्बा) ख़रीदा । अपने शहर के छोटे से मछली के चारे की दूकान पर खड़े होकर, उसके बाद उसने एक शॉपिंग कार्ट को काँटा, चारा, तिरेंदा(bobb।ers), डोरी, और वजन(weight) से भर दिया । अंत में, उसने उसमें जीवित चारा जोड़ा और एक नया बंसी और घिरनी भी जोड़ा । “क्या आपने पहले कभी मछली पकड़ी है?” दूकानदार ने पूछा । उस व्यक्ति ने जवाब दिया नहीं । दूकानदार ने आगे कहा, “इसमें यह भी जोड़ दें । वह एक फर्स्ट एड किट था । वह व्यक्ति सहमत होकर भुगतान कर दिया, और पूरे दिन के बाद भी कुछ भी नहीं पकड़ा──उन काँटों और घिरनी से अपनी उँगलियों में चीरा के सिवा ।
यह शिमोन पतरस की समस्या नहीं थी । एक अनुभवी मछुआ, एक सुबह वह चकित हुआ जब यीशु ने उसे अपना नाव गहरे जल में ले जाने और “मछलियाँ पकड़ने के लिए जाल” डालने को कहा (लूका 5:4) । पूरी रात कुछ नहीं पकड़ने के बाद, शिमोन और उसके सहकर्मियों ने अपने जाल डाले और “बहुत मछलियाँ घेर लाए, और उनके जाल फटने लगे ।” वास्तव में, उसके दोनों नाव बहुत अधिक मछलियों के कारण डूबने लगे (पद.6) ।
इसे देखकर, शिमोन पतरस “यीशु के पाँवों पर गिरा,” और उससे कहने लगा, “हे प्रभु, मेरे पास से जा, क्योंकि मैं पापी मनुष्य हूँ” (पद.8) । यीशु, हालाँकि, पतरस की सही पहचान जानता था । उसने अपने शिष्य से कहा, “अब से तू मनुष्यों को जीवता पकड़ा करेगा ।” यह सुनकर, शिमोन “सब कुछ छोड़कर उसके पीछे हो [लिया]” (पद.10-11) । जब हम उसका अनुसरण करते हैं, वह हमें सीखने में मदद करता है हम कौन हैं और उसके अपने होने के कारण हमें क्या करने के लिए बुलाता है ।
मुझे रहने दें!
जब वे कार की ओर जा रहे थे, दर्शन ने अपनी माँ के बाहों को छुड़ा कर चर्च के दरवाजों की ओर पागल की तरह दौड़ लगाया । वह छोड़ना नहीं चाहता था! उसकी माँ उसके पीछे दौड़ी और प्यार से अपने बेटे को सहलाने की कोशिश की ताकि वे जा सकें । जब उसकी माँ ने आखिरकार चार साल के दर्शन को फिर से गोद में ले लिया, और वे जाने लगे तो वह रोने लगा और उनके कंधे पर झुककर ललक के साथ चर्च की ओर जाना चाहा ।
दर्शन महज ही चर्च में अपने मित्रों के साथ खेलने का आनंद लिया होगा, लेकिन उसकी उत्सुकता दाऊद की परमेश्वर की आराधना करने की एक तस्वीर है । यद्यपि उसने परमेश्वर से अपने आराम और सुरक्षा के लिए उसके शत्रुओं को विफल करने को कहा होगा, लेकिन दाऊद शांति का राज्य चाहता था ताकि उसके स्थान पर वह “जीवन भर यहोवा के भवन में रहने [पाए], जिससे यहोवा की मनोहरता पर दृष्टि लगाए” (भजन 27:4) । उसकी हार्दिक इच्छा परमेश्वर के साथ रहना था──जहाँ वह था──और उसकी उपस्थिति का आनंद लेना था । इस्राएल का महानतम राजा और सेनानायक शांति के समय का उपयोग “जयजयकार के साथ . . . भजन” गाने में करना चाहता था (पद.6) ।
हम स्वतंत्र रूप से कहीं भी परमेश्वर की आराधना कर सकते हैं, क्योंकि वह विश्वास के द्वारा पवित्र आत्मा के व्यक्तित्व में हमारे अन्दर निवास करता है (1 कुरिन्थियों 3:16; इफिसियो 3:17) । हम उसकी उपस्थिति में अपने दिन गुज़ारने की चाह रखें और दूसरे विश्वासियों के साथ सामूहिक रूप से उपासना करने के लिए इकट्ठे हों । परमेश्वर में──इमारत की दीवारें नहीं──हम अपनी सुरक्षा और अपना सबसे बड़ा आनंद पाते हैं ।
सामर्थी और प्रेमी
2020 में, इक्वेडोर का एक ज्वालामुखी संगे फूट गया । न्यूज़ चैनलों ने विवरण दिया “गहरा राख का धूँआ जो 12,000 मीटर से भी अधिक की ऊँचाई तक पहुँच गया ।” बहाव ने धूसर राख और घोर कालिख से चार प्रान्तों को ढंक दिया (लगभग 198,000 एकड़) । आकाश धुंधला और मनहूस हो गया, और हवा भारी हो गयी──साँस लेने में कठिनाई होने लगी । किसान फ़ेलिसियानो इनगा ने एल कोमरसियो समाचार पत्र में उस दहला देनेवाले दृश्य का वर्णन किया : “हम नहीं जानते थे कि धूल कहाँ से आ रही थी . . . हमने आकाश को काला होते देखा और डर गए ।”
इस्राएली भी सीनै पर्वत के नीचे इसी प्रकार का डर अनुभव किये जब वे “उस पर्वत के नीचे खड़े हुए, और वह पहाड़ आग से धधक रहा था . .. और बादल और घोर अन्धकार छाया हुआ था” (व्यवस्थाविवरण 4:11) । परमेश्वर गरजा, और वे लोग कांप गए । यह भयानक था । यह विस्मयकारी था, और जीवित परमेश्वर का सामना करने के लिए दोनों घुटने जवाब दे रहे थे ।
तब यहोवा ने . . . बातें की,” और उनको “बातों का शब्द . . . सुनाई पड़ा परन्तु कोई रूप न दिखा” (पद.12) । जिस आवाज़ ने उनकी हड्डियों को बजा दी उसी ने जीवन और आशा दी । परमेश्वर ने इस्राएल को दस आज्ञाएँ दी और उनके साथ अपनी वाचा को नूतन किया । अँधेरे बादल में से आवाज़ ने उनको कंपा दी, लेकिन उनको आकर्षित किया और उनको दृढ़ता से प्यार किया ।
परमेश्वर सामर्थी है, हमारी पहुँच से बाहर है, और आश्चर्यजनक है । और इसके बावजूद प्रेम से भरपूर, हमेशा हम तक पहुँचनेवाला है । ऐसा परमेश्वर जो सामर्थी और प्रेमी दोनों ही है──यही वह है जो हमारी अनिवार्य आवश्यकता है ।
कुछ भी अलग नहीं कर सकता है
जब प्रिस(Pris) के पिता ने, जो एक पास्टर थे, इंडोनेशिया में, एक छोटे द्वीप पर एक अग्रणी मिशन का नेतृत्व करने के लिए परमेश्वर की बुलाहट का उत्तर दिया, प्रिस के परिवार ने अपने को एक टूटी झोपड़ी में पाया जो एक समय पशुशाला के रूप में उपयोग होता था । प्रिस को याद है कि परिवार फर्श पर बैठ कर भजन गाते हुए क्रिसमस मना रहा था जबकि छप्पर से बारिश का पानी टपक रहा था । लेकिन उसके पिता ने उसे याद दिलाया, “प्रिस, सिर्फ इसलिए कि हम गरीब हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि ईश्वर हमसे प्यार नहीं करता है ।”
कुछ लोग ईश्वर द्वारा धन्य जीवन को देख सकते हैं जो कि धन, स्वास्थ्य और दीर्घायु से भरा है । इसलिए कठिनाई के समय में, उन्हें आश्चर्य हो सकता है कि क्या ईश्वर अभी भी उनसे प्यार करता है । लेकिन रोमियों 8:31-39 में, पौलुस हमें याद दिलाता है कि कुछ भी हमें यीशु के प्रेम से अलग नहीं कर सकता──जिसमें क्लेश, संकट, सताव, और अकाल शामिल है (पद.35) । यह एक वास्तविक आशीषमय जीवन के लिए आधारशिला है । परमेश्वर ने अपने पुत्र को हमारे पापों के लिए मरने के लिए भेजकर अपना प्रेम प्रगट किया (पद.32) । मसीह मृत्यु में से जी उठा और अब पिता के “दाहिनी ओर” बैठा है, और हमारे लिए निवेदन करता है (पद.34) ।
दुःख के समय में, हम आराम देनेवाली सच्चाई को थामे रह सकते हैं कि हमारा जीवन उसमें जड़वत है जो मसीह ने हमारे लिए किया है । कुछ भी नहीं──”न मृत्यु न जीवन . . . न कोई और सृष्टि” (पद.38-39)──हमें उसके प्रेम से अलग कर सकती है । जो भी हमारी परिस्थिति है, जो भी हमारी कठिनाई है, हम याद रखें कि परमेश्वर हमारे साथ है और कुछ भी हमें उससे अलग नहीं कर सकती है ।