विरासत आगे बढ़ाना
मेरी बेटी को मेरी दादी की पिपरमेंट आइसक्रीम-पाई की रेसिपी चाहिए थी। मैंने अपने पुराने रेसिपी बक्से को खोला तो अपनी दादी की अनोखी लिखावट में लिखी रेसिपी को पहचान लिया-साथ ही मेरी माँ के हाथ के लिखे कई नोट्स भी उसमें थे। अचानक मुझे आभास हुआ कि मेरी बेटी की आइसक्रीम-पाई की रेसिपी की मांग मेरे परिवार की चौथी पीढ़ी में स्थान पा चुकी है।
मैंने सोचा कि अन्य परिवारों में एक पीढ़ी से दूसरी को मिलने वाली विरासत क्या होती होंगी। विश्वास सबंधी चुनावों के बारे में क्या? इस पाई के अतिरिक्त क्या मेरी दादी का-और स्वयं मेरा-विश्वास मेरी बेटी और उसकी संतानों के जीवन में जारी रहेगा?
भजन 79 में भजनकार हठधर्मी इस्राएल का शोक मनाता है, जिसने अपनी आस्था खो दी है। वह परमेश्वर से उनके लोगों को अन्यजातियों से छुड़ाने और यरुशलेम की सुरक्षा में लौटाने के लिए प्रार्थना करता है। ऐसा होने पर वह परमेश्वर के मार्गों का अनुसरण करने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा। “हम जो तेरी प्रजा...(पद 13)”।
इस उत्सुकता से कि दादी की इस मीठी विरासत का स्वाद अब हमारे परिवार की एक नई परत लेने जा रही है, मैंने रेसिपी उसे भेज दी। और प्रार्थना की कि मेरे परिवार के विश्वास का प्रभाव भी एक पीढ़ी से अगली पर पड़ता रहे।
पानी पर चलना
एक विशेष रूप से अधिक ठन्डे दिन मैं विश्व की पांचवीं बड़ी झील ‘मिशिगन’, को देखने गया जो जम गई थी। दृश्य लुभावना था। पानी लहरों में जम गया था, जो एक अद्भुत बर्फीली कलाकृति बना रहा था।
किनारे पर झील की सतह ठोस होने के कारण मेरे लिए यह "पानी पर चलने" का अवसर था। यह जानते हुए भी कि बर्फ की परत काफी मोटी थी, मैंने कदम फूंक-फूंक कर रखे, डरता था कि बर्फ मेरा भार उठा सकेगी या नहीं। सावधानी से कदम आगे बढाते हुए मैं यीशु के पतरस को नाव से बाहर बुलाने और उसके गलील के सागर पर चलने के बारे में सोचने लगा।
यीशु को पानी पर चलते देख चेले डर गए थे। परन्तु उन्होंने कहा, "ढाढ़स बांधों मैं हूं; डरो मत। "(मत्ती 14:26-27)। अपने डर पर काबू पाकर पतरस नाव के बाहर पानी पर निकल आया क्योंकि वह जानता था कि यीशु वहां थे। जब हवा और लहरों के कारण उसके कदम लड़खड़ाने लगे, तो पतरस ने उन्हें पुकारा। यीशु अब भी वहां थे, इतने निकट कि बचाने के लिए अपने हाथ बढ़ा सकें।
यदि आपको यीशु आज वह करने को कह रहे हैं जो पानी पर चलने के समान असंभव लगता हो, ढाढ़स बान्धो। जिसने आपको बुलाया है वह आपके साथ है।
एक अच्छा मौसम
आज संसार के उत्तरी आधे हिस्से में बसंत ऋतु का पहला दिन है। उत्तरी गोलार्ध में पतझड़ और दक्षिणी गोलार्ध में शरद-काल है। आज सूर्य भूमध्य रेखा पर सीधा चमकता है, दिन की रौशनी और रात की लंबाई संसार में लगभग बराबर होती है।
नया मौसम कई लोगों के लिए महत्वपूर्ण होता है। कुछ लोग दिन इसलिए गिनते हैं क्योंकि वे नए मौसम में कुछ नए की अपेक्षा करते हैं। कुछ लोग अपने क्षेत्र में वसंत-ऋतु के आगमन का समय अपने कैलेंडर में चिन्हित करते हैं। या अन्य क्षेत्र में कुछ शरद-ऋतु में सूर्य से राहत लाने की प्रतीक्षा करते हैं। हम भी जीवन की ऋतुओं से गुजरते हैं जिसका मौसम से कुछ लेना-देना नहीं है। सभोपदेशक 3:1-11 के अनुसार हर एक बात का एक अवसर है-परमेश्वर द्वारा नियुक्त समय जिसमें हम जीवन जीते हैं।
जब मूसा ने इस्राएल के लोगों की जंगल से अगुवाई की, तो अपने जीवन के एक नए समय की बात की (व्यवस्थाविवरण 31:2), उन्हें यहोशू के लिए अपनी भूमिका को छोड़ना था। जब पौलुस रोम में बंधक थे उन्होंने अकेलेपन का सामना करते हुए साथ पाने की प्रार्थना की-परन्तु प्रभु की सहायता को पहचाना (2 तीमुथियुस 4:17)। जीवन का मौसम जो हो, आईए परमेश्वर की महानता, सहायता, और साथ रहने के लिए उनका धन्यवाद करें।
एक आभारी हृदय रखने की कला
अपने विवाह में मार्टी और मैंने, ख़ुशी-ख़ुशी विश्वासयोगी होने की शपथ ली थी, "अच्छे समय के साथ बुरे में, बीमारी और चंगाई में, अमीरी में, गरीबी में।"। बुरे समय की वास्तविकता को विशेषतः विवाह के ख़ुशी के मौके पर शामिल करना थोड़ा अजीब लगता है। परंतु यह दिखाता है कि जीवन में अक्सर “बुरे” समय होते हैं।
तो कठिन समय का, जो जीवन में अवश्यम्भावी है, कैसे सामना करना चाहिए? पौलुस मसीह की ओर से आग्रह करते हैं कि हर बात में धन्यवाद करो (1थिस्सलुनीकियों 5:18)। चाहे ऐसा करना कितना भी कठिन हो। परमेश्वर हमें आभार की भावना धारण करने को प्रोत्साहित करते हैं। जो इस सत्य पर आधारित है कि परमेश्वर भला है और उसकी करुणा सदा की है (भजन संहिता 118:1)। वह हमारे पास हैं और संकट में हमें बल देते हैं (इब्रानियों 13:5-6)। और वह हमारे क्लेशों का प्रयोग हमारे चरित्र को अपने स्वरूप में ढालने के लिए करते हैं (रोमियों 5:3-4)।
जब जीवन बुरा समय लेकर आए तब आभारी बने रहने से हमारा ध्यान परमेश्वर की भलाई की ओर जाता है। और वह हमें अपनी समस्याओं से जूझने का सामर्थ देते हैं। हम भजनकार के साथ गा सकते हैं “यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करूणा सदा बनी रहेगी”(भजन संहिता 118:29)।
घर के लिए पत्र
युद्ध के प्रशिक्षण पर घर से दूर गए अमेरिकी रंगरूटों ने चुनौतियों का सामना करने के लिए मजाक और पत्र लिखने का रास्ता अपनाया। एक पत्र में किसी युवक ने टीके लगने की प्रक्रिया को हास्यप्रद अंदाज़ में लिखा “दो डाक्टर भाला लेकर हमारे पीछे दौड़े। उन्होंने हमें घर दबोचा और एक-एक करके उसे हमारी बाँह में उसे घोंप दिया”।
एक सैनिक को जब बाइबिल मिली तो उसने लिखा, “मैं इसे बहुत पसंद करता हूँ। मैं हर रात इसे पढ़ता हूं। मैं नहीं जानता था कि सीखने के लिए इसमें कितनी बातें हैं।“
कई वर्ष बंधक रहने के बाद जब निर्वासित यहूदी बाबुल से घर लौटे तो अपनी समस्याएं भी साथ लाए। यरूशलेम की दीवारों के पुनर्निर्माण के संघर्ष के साथ ही, उनका सामना आकाल, शत्रुओं के विरोध, और अपने पापों से था। इस बीच वे परमेश्वर के वचन की ओर फिरे। याजक के व्यवस्था की पुस्तक से पढने पर लोग रोने लगे (नहेमायाह 8:9)। इन शब्दों ने उन्हें, “उदास मत रहो...”। (पद 10)
परमेश्वर से सुनने के लिए हमें समस्याओं की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं है। उनकी क्षमा, आश्वासन, और व्यक्तित्व के बारे में हम बाइबिल से जान सकते हैं। इसे पढ़ने पर जो परमेश्वर की आत्मा हमें दिखाएगी उसे देखकर हम आश्चर्यचकित हो
शब्दों का महत्व
विमान उड़ने से पहले वह युवक बेचैन था। वह आंखें बंद कर के शांत होने के लिए लंबी सांसें ले रहा था। विमान उड़ते ही वह इधर-उधर होने लगा। उसका ध्यान बंटाने के लिए एक बुजुर्ग स्त्री उसके बाँह पर हाथ रखकर बातचीत करने लगी। “तुम्हारा नाम क्या है? कहां से आए हो? हमें कुछ नहीं होगा। तुम अच्छा कर रहे हो”। ऐसी बातें करने लगी। वह उसे नजर-अंदाज कर सकती थी। लेकिन उसने उससे बातचीत करने को चुना। छोटी बातें। 3 घंटे बाद विमान उतरने पर उसने कहा, “मेरी मदद करने के लिए आपका बहुत धन्यवाद”!
कृपा के ऐसे सुन्दर चित्र मुश्किल से देखने को मिलते हैं। हममें से अनेकों के लिए दया स्वाभाविक रूप से नहीं आती। पौलुस ने कहा कि “एक दूसरे पर कृपालु और करुणामय हो” (इफिसियों 4:32) पर वह यह नहीं कह रहा था कि यह हम पर निर्भर करता है। यीशु में विश्वास करने द्वारा हमारे नए जीवन के बाद से हमारे अन्दर पवित्र-आत्मा ने बदलाव का कार्य शुरू कर दिया है। कृपा पवित्र-आत्मा का निरंतर चलने वाला कार्य है, जो हमें मन के आत्मिक स्वभाव में नया बनाती है (पद 23)।
करुणा का परमेश्वर हमारे दिल में कार्य करता है, जिससे हम दूसरों से प्रोत्साहन भरे शब्द कह कर उनके जीवन को छू सकें।
आश्चर्य पर ध्यान केन्द्रित करना
कुछ लोगों की प्रवृति संसार में गलत देखने की होती है। डीविट जोन्स नेशनल ज्योग्राफिक के फोटोग्राफर हैं जिन्होंने अपने धन का उपयोग संसार में जो अच्छा है उसका उत्सव मनाने के लिए किया है। वह प्रतीक्षा करते हैं जब तक सुबह की पहली किरण या परिपेक्ष में अचानक आया बदलाव ऐसे आश्चर्य को प्रकट न कर दे जो वहां होते हुए भी असाधारण स्वरूप में न दिखता हो। कैमरे का प्रयोग वह लोगों के चेहरों और प्रकृति में सुन्दरता खोजने के लिए करते हैं।
गलत देखने का किसी के पास कारण था तो वह अय्यूब थे। जिन्होंने वह सब खो दिया जो उन्हें प्रिय था, यहां तक कि उनके मित्रों ने दोष लगाया कि वह पापों का दण्ड भोग रहे हैं। अय्यूब ने मदद के लिए पुकारा, परमेश्वर शान्त रहे। अंततः परमेश्वर ने अय्यूब से अंधियारे तूफान और भंवर में प्रकृति के आश्चर्य पर मनन करने को कहा जो उस बुद्धि और सामर्थ को प्रदर्शित करती है जो मानवीय समझ से परे है (अय्यूब 38:2-4)।
क्या वह हमसे कहेंगे? कुत्ते, बिल्ली, फड़फड़ाते पत्ते, या घास के तिनके की प्रकृति देखो, प्रकाश की किरण, या परिपेक्ष में बदलाव-या फिर हमारा दुःख भी-सृष्टिकर्ता के मन या हृदय को प्रदर्शित करते हैं जो इन सब में और सर्वदा हमारे साथ रहते हैं।
चंगाई के लिए प्रकट किया
मैंने अपने पिता को अछूते खेतों की जुताई करते देखा है। हल का फल पहले चक्कर में बड़े पत्थरों की ढुलाई करता। मिट्टी तोड़ने के लिए वह खेत पर बार-बार हल चलाते, और हर चक्कर में हल अन्य छोटे पत्थरों को निकाल लाता जिन्हें वह अलग फेंक देते। यह प्रक्रिया चलती रहती जिसमे खेत के कई चक्कर लग जाते थे।
अनुग्रह का बढ़ना इसी प्रक्रिया के समान है। जब हम पहली बार विश्वास करते हैं, तो कुछ "बड़े" पाप खुलते हैं जिनका अंगीकार करके हम परमेश्वर की क्षमा स्वीकार करते हैं। परंतु जब परमेश्वर का वचन धीरे-धीरे हमारे भीतरी अस्तित्व में गढ़ता है, पवित्र आत्मा अन्य पापों से पर्दा उठाती है। कभी छोटी भूल रहीं-महत्वहीन गलतियां-बदसूरत विनाशकारी और रूखे काम लगने लगते हैं। पाप जैसे अभिमान, आत्मदया, कुडकुडाना, तुच्छपन, पूर्वाग्रह, बैर और आत्म-सेवा।
परमेश्वर हमारे पापों को प्रकट करते हैं, इन्हें हम से दूर करने के लिए। जिससे वह हमें चंगाई दे सकें। जब हमारी दबी घातक मानसिकता प्रकट होती है तो भजनकार दाऊद के समान हम प्रार्थना कर सकते हैं, “हे यहोवा अपने नाम के निमित्त...(भजन संहिता 25:11)। विनम्र अनावरण भले ही पीड़ादायक हों, पर आत्मा के लिए अच्छे होते हैं। यह “पापियों की अगुवाई अपने मार्गो पर” करने का उनका तरीका है। वह पापियों को अपना मार्ग...(भजन 25:8-9)।
प्रार्थना का उपहार देना
"प्रार्थना के उपहार के बारे में मुझे नहीं पता था, जब तक मेरे बीमार भाई के लिए आपने प्रार्थना नहीं की थी। आपकी प्रार्थनाओं से हमें बड़ी शान्ति मिली!" हमारी कलीसिया का उसके भाई की कैंसर की जाँच के दौरान प्रार्थना करने के लिए धन्यवाद करते हुए लौरा की आँखों में आँसू थे। उसने कहा, "इस कठिन समय में आपकी प्रार्थना ने उसे बल और सारे परिवार को प्रोत्साहन दिया है।"
दूसरों से प्रेम करने का सर्वोत्तम तरीका है उनके लिए प्रार्थना करना। इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण यीशु है। नया-नियम हमें यीशु के दूसरों के लिए प्रार्थना करने और हमारी ओर से पिता के पास जाने के बारे में बताता है। रोमियो 8:34 कहता है “वह परमेश्वर के दाहिने ओर हैं और हमारे लिए निवेदन भी करता है।" क्रूस पर निस्वार्थ प्रेम को दिखाने और पुनुरुथान और स्वरारोहर्ण के बाद प्रभु यीशु का आज भी हमारे लिए प्रार्थना करके अपनी परवाह दिखाना जारी है।
हमारे आस-पास ऐसे लोग हैं जिन्हें जरूरत है कि यीशु के समान हम प्रार्थनाओं से उन्हें प्रेम करें और उनके जीवन में परमेश्वर की सहायता को आमंत्रित करें। इसमें हम परमेश्वर से मदद मांग सकते हैं, और वह करेंगे! हमारा प्रेमी प्रभु दूसरों के लिए प्रार्थना करने का उपहार हमें उदारतापूर्वक दें, आज ही ।