Month: अप्रैल 2021

खिड़कियाँ

हिमालय की तलहटी के पास, एक आगंतुक ने बिना खिड़कियों वाले घरों की एक पंक्ति को देखा l उनके मार्गदर्शक ने बताया कि कुछ ग्रामीणों को डर था कि जब वे सोते थे तो उनके घरों में राक्षस/दानव घुस सकते थे, इसलिए उन्होंने अभेद्य दीवारें बनायीं l  आप बता सकते हैं जब एक गृहस्वामी ने यीशु का अनुसरण करना शुरू किया क्योंकि उसने प्रकाश के अन्दर आने देने के लिए खिड़कियाँ लगा दीं l

एक समान गति बोधक हमारे अंदर आरंभ हो सकता है, हालांकि हम इसे उस तरह नहीं देख सकते हैं l हम डरावना, ध्रुवीकरण के समय में रहते हैं l शैतान और उसके अवदूत क्रोधी विभाजन पैदा करते हैं जो परिवारों और दोस्तों को विभाजित करते हैं l मुझे अक्सर अपनी दीवारों के पीछे छिपने का मन करता है l लेकिन यीशु चाहता है कि मैं एक खिड़की बनाऊं l

इस्राएल ने ऊंची दीवारों में शरण ली, लेकिन परमेश्वर ने कहा कि उनकी सुरक्षा उसके साथ है l वह स्वर्ग से राज्य करता है, और उसका वचन सभी पर शासन करता है (यशायाह 55:10-11) l अगर इस्राएल उसके पास लौट आएगा, तो ईश्वर उन पर “दया करेगा” (पद.7) और उन्हें संसार को आशीष देने के लिए अपने लोगों के रूप में पुनर्स्थापित करेगा (उत्पत्ति 12:1-3) l वह उन्हें उन्नत करेगा, अंततः उन्हें एक विजयी परेड/जुलूस में ले जाएगा l उनके उत्सव “से यहोवा का नाम होगा, जो सदा का चिन्ह होगा और कभी न मिटेगा” (यशायाह 55:13) l

कभी-कभी दीवारें आवश्यक हैं l दीवारों के साथ खिड़कियाँ सबसे अच्छी हैं l वे संसार को दिखाती हैं कि हम भविष्य के लिए परमेश्वर पर भरोसा करते हैं l हमारे डर असली हैं l हमारा परमेश्वर उससे बड़ा है l खिड़कियाँ हमें यीशु की ओर खोलती हैं—“जगत की ज्योति” (यूहन्ना 8:12)—और दूसरों के लिए भी जिनको उसकी जरूरत है l

करुणा का फैलाव

मनश्शे, वह आदमी जिसने उसके पति और उसके कुछ बच्चों को रुवान्डा नरसंहार में मार डाला था, को माफ करने के तरीके पर विचार करते हुए, बेआटा ने कहा, “मेरी क्षमा यीशु के द्वारा किए गए कार्यों पर आधारित है l उसने हर समय हर बुरे कार्य के लिए दंड सहा l उसका क्रूस वह स्थान है जहाँ हम विजय पाते हैं─एकमात्र स्थान!” मनश्शे ने बेआटा को एक से अधिक बार जेल से लिखा था,  उससे─और ईश्वर से─क्षमा के लिए जब वह नियमित दुस्वप्नों द्वारा ग्रस्त होने का वर्णन किया l पहले तो वह कोई दया न कर सकी, यह कहते हुए कि वह उससे नफरत करती है क्योंकि उसने उसके परिवार की हत्या की थी l लेकिन फिर “यीशु उसके विचारों में दखल दिया,” और परमेश्वर की मदद से,  कोई दो साल बाद,  उसने उसे माफ कर दिया l

इसमें,  बेआटा ने यीशु का अपने शिष्यों को दिए गए निर्देश का अनुसरण किया कि जो पश्चाताप करते हैं उन्हें क्षमा करें l उसने कहा कि यद्यपि वह “दिन भर में . . . सात बार तेरा अपराध करे और सातों बार तेरे पास फिर आकर कहे, ‘मैं पछताता हूँ,’ तो उसे क्षमा कर” (लूका 17:4) l लेकिन माफ करना बेहद मुश्किल हो सकता है,  जैसा कि हम शिष्यों की प्रतिक्रिया से देखते हैं : “हमारा विश्वास बढ़ा” (पद.5) l

माफ करने में असमर्थता को लेकर प्रार्थना में कुश्ती करते हुए बेआटा का विश्वास बढ़ गया l  यदि, उसकी तरह,  हम क्षमा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तो हम परमेश्‍वर से उसकी पवित्र आत्मा के द्वारा पूछ सकते हैं कि वह हमें ऐसा करने में मदद करे l जैसे-जैसे हमारा विश्वास बढ़ता है, वह हमें माफ करने में मदद करता है l

सामग्री गतिविधि

मिडिल स्कूल की शिक्षिका केरेन ने, अपने छात्रों को एक दूसरे को बेहतर तरीके से समझने के लिए सिखाने के लिए एक गतिविधि बनाई l “द बैगेज एक्टिविटी” में छात्रों ने कुछ भावनात्मक बोझ लिखे जो वे उठाए हुए थे l नोट्स को गुमनाम रूप से साझा किया गया,  जिससे छात्रों को एक-दूसरे की कठिनाइयों के बारे में जानकारी मिली,  अक्सर अपने साथियों से अश्रुपूर्ण प्रतिक्रिया के साथ l तब से कक्षा में आपसी सम्मान की गहरी भावना युवा किशोरियों में भर गई है, जो अब एक दूसरे के लिए अधिक सहानुभूति की भावना रखते हैं l 

पूरे बाइबल में,  परमेश्वर ने अपने लोगों को एक-दूसरे के साथ सम्मान के साथ व्यवहार करने और दूसरों के साथ बातचीत और व्यवहार करने में सहानुभूति दिखाने के लिए लिए कहा है (रोमियों 12:15) l जैसे कि लैव्यव्यवस्था की पुस्तक में जैसे लिखा है वैसी ही इस्राएल के इतिहास के आरम्भ में, परमेश्वर ने इस्राएलियों को सहानुभूति की ओर इंगित किया─विशेष रूप से परदेशियों के साथ उनके व्यवहार में l उसने कहा कि “[उनसे] अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे” (लैव्यव्यवस्था 19:34) l

कभी-कभी हम जो बोझ ढोते हैं,  वह हमें विदेशियों की तरह महसूस कराता है─अकेले और गलत समझे गए─अपने साथियों के बीच भी l हमारे पास हमेशा ऐसा ही अनुभव नहीं होता है जैसा कि इस्राएलियों ने परदेशियों के साथ किया था l फिर भी हम हमेशा उन लोगों के साथ आदर और समझ के साथ व्यवहार कर सकते हैं जिन्हें परमेश्वर हमारे मार्गों में लाता है जो हम, भी,  चाहते हैं l चाहे एक आधुनिक विद्यार्थी, एक इस्राएली, या बीच में कुछ भी,  हम परमेश्वर का आदर करते हैं जब हम ऐसा करते हैं l

ऐसे जीएँ जैसे सुबह है

जब मुझे हवाई मार्ग से समय क्षेत्रों(time zones) में यात्रा करनी होती है,  तो मैं थकान(jet lag) से बचने के लिए विभिन्न उपायों की कोशिश करता हूँ l मेरी समझ से मैं सभी उपाए कर चुका हूँ l एक अवसर पर,  मैंने अपनी उड़ान के अन्दर(in-flight) खाने को उस समय क्षेत्र में समायोजित करने का निर्णय लिया, जहां मैं जा रहा था l बाकी यात्रियों के साथ रात का खाना खाने के बजाय,  मैं एक फिल्म देखता रहा और सो गया l चयनात्मक उपवास के घंटे कठिन थे,  और नाश्ता जो विमान के उतरने के ठीक पहले आया, बहुत कुछ छोड़ गया जिनकी इच्छा होती है l लेकिन अपने आस पास के लोगों के साथ “चिड़ाचिड़ा” होना काम कर गया l इसने मेरे शरीर की घड़ी को एक नए समय क्षेत्र में धक्का दे दिया l

पौलुस जानता था कि यदि यीशु में विश्वासियों को वास्तव में अपने जीवन में उसे प्रतिबिंबित करना है, तो उन्हें अपने आस पास की दुनिया के साथ कदम न मिलाकर चलना होगा l वे “पहले अंधकार थे” लेकिन अब उम्हें “ज्योति की संतान के समान” जीने की ज़रूरत है (इफिसियों 5:8) l और वह कैसा दिखाई दे सकता है? पौलुस चित्र को पूरा करने के लिए आगे बढ़ता है : “ज्योति का फल सब प्रकार की भलाई, और धार्मिकता, और सत्य है” (पद.9) l

मेरी उड़ान पर रात के खाने के समय सो जाना लोगों को मूर्खतापूर्ण लगा होगा, लेकिन जब संसार में आधी रात हैं, विश्वासियों के रूप में,  हम इस प्रकार जीने के लिए बुलाए गए हैं मानो सुबह है l यह तिरस्कार और विरोध को उकसाने वाला हो सकता है,  लेकिन यीशु में हम “प्रेम में [चल सकते हैं],” उस व्यक्ति के उदाहरण का अनुसरण करते हुए जो हमसे “प्रेम [करता है], और हमारे लिए अपने आप को सुखदायक सुगंध के लिए परमेश्वर के आगे भेंट करके बलिदान कर दिया (पद.2) l

विश्वास की उपलब्धि

हाथ में हाथ लिए हुए,  मेरा पोता और मैं एक विशेष जन्मदिन उपहार खोजने के लिए पार्किंग के उस पार निकल गए l अब एक शिशु विद्यालय का छात्र(preschooler),  वह सब कुछ के बारे में उत्साहित था,  और मैं उसकी खुशी को आनंद में सुलगाने के लिए दृढ़ थी l मैंने अभी-अभी निम्न शब्द छपे हुए एक मग देखा था, “नानी/दादी बहुत अधिक “उपलब्धियों वाली माताएँ हैं l” उपलब्धियाँ मज़ा, दीप्ति, खुशी के बराबर हैं! उसकी नानी के रूप में यही मेरे काम का वर्णन है, है न? वह . . . और अधिक l

अपने आध्यात्मिक पुत्र तीमुथियुस को लिखे गए अपने दूसरे पत्र में, पौलुस उसके निष्कपट विश्वास की सराहना करता है─और फिर इसका श्रेय तीमुथियुस की नानी, लोइस और उसकी माँ, यूनीके को देता है (2 टिमोथी 1:5) l ये स्त्रियाँ अपने विश्वास को इस तरह जीती थीं कि तीमुथियुस भी यीशु पर विश्वास करने लगा l निश्चित रूप से,  लोइस और यूनीके तीमुथियुस को प्यार करती थीं और उसकी जरूरतों के लिए प्रबंध करती थीं l लेकिन स्पष्ट रूप से,  उन्होंने और अधिक किया l पौलुस उस विश्वास की ओर संकेत करता है जो उनमें वास करता था और बाद में तीमुथियुस में विश्वास के स्रोत के रूप में जीवित था l

एक नानी के रूप में मेरी जिम्मेदारी में जन्मदिन उपहार की “उपलब्धि” क्षण शामिल है l  लेकिन इससे भी अधिक,  जब मैं अपना विश्वास साझा करती हूँ तो मुझे उपलब्धि के क्षणों में बुलाया जाता है : चिकन बिरयानी के ऊपर अपने सिर झुकाकर खाना l परमेश्वर की कला के कार्य के रूप में आकाश में दिव्य बादल रचनाओं पर ध्यान देना l टेलीविजन पर यीशु के बारे में एक गीत के साथ चहकना l आइए यूनीके और लोइस जैसी माताओं और नानी/दादी के उदाहरण से आकर्षित होकर अपने विश्वास को जीवन में उपलब्धि बनने दें  ताकि जो हमारे पास है अन्य लोग उसे चाहें l