Month: जनवरी 2018

जानते और प्रेम करते हुए

"जीसस लव्स में दिस आई नो" मसीही अराधना के सर्वप्रचलित गीतों में से एक इस गीत में बड़े कोमल भाव में यीशु के साथ हमारे सम्बंध की बात करता है-हमसे प्रेम किया जाता है।

किसी ने मेरी पत्नी को एक पट्टिका दी जो इन शब्दों को एक सरल मोड़ दे कर एक नया अर्थ देती है। उसमें ऐसा लिखा है, "जीसस नोस मी दिस आई लव"। यह उनके साथ हमारे सम्बंध पर एक भिन्न दृष्टिकोण प्रदान करता है-हमें जाना जाता है।

भेड़ से प्रेम करना और उनके बारे में जानना यह बात प्राचीन इज़राइल में, एक सच्चे चरवाहे को मजदूर चरवाहे से भिन्न बनाती थी। चरवाहा भेड़ों के साथ इतना समय बिताता कि उसे सदा भेड़ का ख्याल और परवाह होती। इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि यीशु ने उसकी अपनी भेड़ों के लिए कहा "अच्छा चरवाहा मैं हूं...(यूहन्ना 10:14, 27)।

वे हमें जानते हैं और हमें प्यार करते हैं! हमारे प्रति उनकी योजनाओं पर हम भरोसा कर सकते हैं और अपनी परवाह वायदे पर विश्राम कर सकते हैं क्योंकि उनका पिता "[हमारे] माँगने से पहले ही जानता है....(मत्ती 6:8)। आप जब उतार चढ़ाव का सामना करें, तो विश्राम में बने रहें। आपकी आत्मा का चरवाहा आपको जानता है और आपसे प्रेम करता है।

एक क्रोधित परमेश्वर?

कॉलेज में ग्रीक और रोमन माइथोलॉजी के अध्ययन से मैं हैरान थी कि कथाओं में कैसे मूडी और तुरंत नाराज़ हो जाने वाले देव थे। उनके क्रोध और कभी-कभी एक सनक पर लोगों के जीवन नष्ट हो जाते थे।

यह सोच कर मुझे हंसी आई कि ऐसे देवताओं पर कोई कैसे विश्वास कर सकता है। तब मैंने अपने आप से पूछा, क्या वास्तविक परमेश्वर के प्रति मेरे विचार भिन्न हैं? जब मैं संदेह करती हूं क्या मैं उन्हें आसानी से क्रोधित हो जाने वाले परमेश्वर के रूप में नहीं देखती? अफसोस है, हाँ।

मैं परमेश्वर से किए मूसा के अनुरोध की सराहना करती हूं कि "मुझे अपना तेज दिखा दे।" (निर्गमन 33:18) उनके विरुद्ध कुडकुडा रहे लोगों की अगुवाई करने के लिए चुने जाने पर, मूसा जानना चाहता था कि इस महान कार्य में क्या परमेश्वर वास्तव में उसकी मदद करेंगे। उत्तर में परमेश्वर ने अपनी महिमा और अपने नाम और विशेषताएं प्रकट कीं। यहोवा, ईश्वर दयालु...। (34:6) वे क्रोध में अचानक घात करने वाले परमेश्वर नहीं हैं। वे मुझे अपने जैसा ही बनाने के लिए लगातार कार्यरत हैं।

परमेश्वर और उनकी महिमा को हमारे प्रति उनके संयम में हम देख सकते हैं, किसी मित्र के प्रोत्साहन भरे शब्द में, सुंदर सूर्यास्त में, या मन में पवित्र आत्मा के धीमे स्वर में।

मेल खाना

ली (Lee) एक मेहनती और विश्वसनीय बैंक कर्मचारी है। विश्वासी होने के नाते वे दूसरों से अलग हैं और यह प्रत्यक्ष हो जाता है, जैसे किसी अनुचित बात पर उसका कमरे से निकल जाना। मित्रों से साझा करते हुए उसने कहा "डर है कि मेल ना खाने के कारण मैं उन्नति के अवसर गवा रहा हूं।"

भविष्यवक्ता मलाकी के समय में विश्वासियों ने एक ऐसी ही चुनौती का सामना किया था। वे देश निकाले से लौट कर आए थे और मंदिर का पुनर्निर्माण हो गया था, परन्तु परमेश्वर की भविष्य की योजना पर उन्हें संशय था। कुछ इस्राएली कह रहे थे, "परमेश्वर की सेवा करनी व्यर्थ है...(मलाकी 3:14-15)।

एक ऐसे समाज में परमेश्वर के लिए हम कैसे दृढ़ खड़े हों, जो हमें बताता है कि हम क्या खो देंगे यदि इससे मेल ना खाएं? मलाकी के समय में इस चुनौती का सामना विश्वासयोगी लोगों ने एक मन विश्वासियों के साथ मिलकर एक-दूसरे को प्रोत्साहित करके किया। मलाकी कहते हैं तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें की...”(16)।

परमेश्वर को उन सभी का ध्यान और परवाह है जो उनका भय और आदर मानते हैं। उन्होंने हमें मेल खाने के लिए नहीं बुलाया है। परन्तु इसलिए कि हम एक-दूसरे को प्रोत्साहित करें जिससे वे हमें अपने और निकट लाएं।

अंदर क्या है?

“तुम देखोगी कि अंदर क्या है?" मेरी मित्र ने पूछा। उसकी बेटी के हाथों में कपड़े की गुड़िया थी। “हाँ, अवश्य”, मैंने जवाब दिया। एमिली ने गुड़िया के पीठ में लगी ज़िप खोली। उसके अन्दर से, उसने एक ख़जाना निकाला: उसकी अपनी गुड़िया जिसके साथ 20 वर्ष पूर्व अपने बचपन में वह खेलती थी। "बाहरी" गुड़िया इस भीतरी गुडिया का केवल ढाँचा थी जिससे उसे ताकत और रूप दिया जा सके।

यीशु के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान का विवरण पौलुस एक खजाने के रूप में करते हैं, जो परमेश्वर के लोगों की कमजोर मानवता के अन्दर छिपा है। जो विश्वासियों को बल देता है कि कठिन परिस्थितियों में डटे रहकर वे सेवा करते रहें। जिससे लोगों की मानवीयता से उनकी ज्योति-उनका जीवन प्रकाशित होता हैं। पौलुस हम सभी को “हियाव न छोड़ने का” प्रोत्साहन देते हैं (2कुरिन्थियों 4:16)। परमेश्वर हमें उनके कार्य करने के सामर्थ से भरते हैं।

"भीतरी गुड़िया", के समान हमारे भीतर सुसमाचार का खजाना इस जीवन को उद्देश्य और संयम देता है। जब परमेश्वर का सामर्थ हम में चमकता है, तो दूसरों को पूछने के लिए बाध्य करता है, कि "अंदर क्या है"? फिर अपने हृदय की ज़िप खोल कर हम मसीह में मिलने वाले उद्धार की जीवनदाई प्रतिज्ञा को दिखा सकते हैं।

एक सेवक का दिल बढ़ाना

ऑफिस से घर लौटने पर मेरा "अन्य" काम करने का समय हो गया था। मेरी पत्नी और बच्चों के अभिवादन जल्द ही इन अनुरोधों में बदल गए, "डैड, रात के खाने के लिए क्या है"? "डैड, मेरे लिए आप पानी ला देंगे"? "डैड, हम फुटबॉल खेलें"?

मैं कुछ देर सुस्ताना चाहता था। उस समय परिवार की जरूरतों को पूरा करने का मन नहीं था। तभी मैंने एक थैंक-यू कार्ड देखा जो चर्च में मेरी पत्नी को किसी से मिला था। उसमें पानी का एक बर्तन, एक तौलिया, और मैले सैंडल का चित्र बना हुआ था और नीचे लूका 22:27 पद लिखा हुआ था:“मैं तुम्हारे बीच में सेवक की नाईं हूं।”

यीशु खोए हुओं को ढूंढ़ने... (लूका 19:10)। यदि यीशु अपने शिष्यों के लिए ऐसे काम करने को तैयार थे, जो सेवक करते थे-जैसे शिष्यों के पैर धोना जो निसन्देह रूप से मैले रहे होंगे (यूहन्ना 13:1-17)-तो मैं बिना शिकायत अपने बेटे को पानी लाकर दे सकता था। मुझे अहसास हुआ कि अपने परिवारवालों के अनुरोध मानना केवल एक दायित्व ही नहीं हैं लेकिन यीशु का सेवक का दिल और प्रेम दिखाने का अवसर भी हैं। उस व्यक्ति के समान बनने का अवसर जिसने हमारे लिए अपने जीवन को दे दिया और अपने शिष्यों की सेवा की।

यादों के पत्थर

कई बार फेसबुक मुझे "यादें" दिखाता है-जिन्हें कभी मैंने उस दिन पोस्ट किया था। जहाँ अपने भाई के विवाह की या मेरी दादी के साथ खेलते हुए मेरी बेटी के चित्र, मेरे होठों पर मुस्कुराहट ले आती हैं, वहां कुछ भावुक यादें भी हैं-अपने बहनोई की कीमोथेरेपी पर या मां की ब्रेन सर्जरी के बाद लिखे नोट को पढना। ये परिस्थितियां मुझे परमेश्वर की विश्वासयोग्य उपस्थिति की याद दिलाती हैं और प्रार्थना करने और आभारी होने के लिए बाध्य करती हैं।

परमेश्वर के किए कामों को भूलने की प्रवृति हम सभी में होती है। हमें याद दिलाए जाने की जरूरत होती है। परमेश्वर के लोगों की उनके नए घर ले जाने के लिए जब यहोशू ने अगुवाई की, तब उन्हें यरदन नदी को पार करना पड़ा (यहोशू 3:15-16)। परमेश्वर ने पानी दो भाग... (पद 17)। इस आश्चर्यक्रम का स्मारक बनाने के लिए...(4:3, 6-7)। ताकि जब दूसरे पूछें कि उन पत्थरों का क्या अर्थ है, तो परमेश्वर के लोग उस दिन की कहानी सुनाकर बताएं कि परमेश्वर ने उस दिन क्या किया था।

परमेश्वर की विश्वासयोगिता के भौतिक स्मारक उन पर वर्तमान-और भविष्य के प्रति भरोसा करने की हमें याद दिलाते हैं।

लेखा रद्द करने वाला

अपना मेडिकल बिल देख कर मेरे आंसू निकल आए। पति लम्बे समय से बेरोजगार थे। यदि मासिक किश्त दें तोभी आधा बिल चुकाने में भी कई साल लगेंगे। अपनी स्थिति स्पष्ट करके भुगतान की योजना का आग्रह करने के लिए डॉक्टर के ऑफिस में फ़ोन करने से पहले मैंने एक प्रार्थना की। थोड़ा समय बाद, रिसेप्शनिस्ट ने मुझे बताया कि डॉक्टर ने हमारे बिल को ख़ारिज कर दिया है।

मैंने सिसकते हुए उसका आभार पूर्वक धन्यवाद किया। फ़ोन रखते हुए, मैंने परमेश्वर की प्रशंसा की। मैंने उस बिल को रख लिया, यह याद दिलाने के लिए नहीं कि मुझे कितना चुकाना था, परन्तु उसे जो परमेश्वर ने किया था।

परमेश्वर ने मेरे पापों के लेखे को रद्द किया है। वचन आश्वासन देता है कि यहोवा “दयालु, अनुग्रहकारी” और “अति करूणामय” हैं, “हमारे पापों के अनुसार हम से व्यवहार नहीं करता” (भजन 103:8,10)। जब मनफिराव करके हम मसीह को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करते हैं तब “उदयाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, वह हमारे अपराधों को हमसे उतनी दूर करते हैं।” (पद 12) उनका बलिदान ने उस लेखे को मिटाया है जो हमें चुकाना था। पूर्णतः।

अपनी समर्पित स्तुति और आभार युक्त प्रेम देकर, हम उनके लिए जीवन जी सकते हैं और दूसरों के साथ भी उसे बाँट सकते हैं।

एक नाम

क्लियोपेट्रा, गैलीलियो, शेक्सपियर, एल्विस, पेले। ये सब इतने प्रसिद्ध हैं कि पहचान करने के लिए केवल उनका नाम ही काफ़ी है। जो वो थे और जो उन्होंने किया उसके कारण वे इतिहास में प्रमुख रहे हैं। परन्तु एक और नाम है जो इनसे या किसी अन्य नाम से ऊपर है!

परमेश्वर पुत्र के संसार में जन्म लेने से पहले ही स्वर्गदूत ने मरियम और यूसुफ को  उसका नाम यीशु  रखने को कहा था “क्योंकि वह अपने लोगों का उनके पापों से उद्धार करेगा”। (मत्ती 1:21) और “वह...परमप्रधान का पुत्र कहलाएगा। (लूका 1:32) यीशु एक प्रसिद्द व्यक्ति के रूप में नहीं बल्कि एक दास के रूप में आए थे जिसने अपने आप को विनम्र किया और क्रूस पर aaअपनी जान दी जिससे जो कोई उन्हें ग्रहण करे वह उसे क्षमा करके पाप के बन्धन से मुक्त कर सकें।

प्रेरित पौलुस ने लिखा, “इस कारण परमेश्वर ने उस को अति महान भी किया, और उस को वह नाम दिया जो सब नामों में श्रेष्ठ है...”। (फिलिप्पियों 2:9-11)

हमारे सबसे बड़े आनन्द और सबसे बड़ी जरूरत में, जिस नाम में हमें शरण मिलती है, वह नाम यीशु है। वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, और उसका प्रेम कभी ना हारेगा।

द गिफ्ट ऑफ द मैगी

एक विवाहित जोड़े के पास धन से ज्यादा प्रेम था। क्रिसमस पर दोनों ऐसा उपहार ढूंडने लगे जो दूसरे के प्रति उनके प्रेम को दिखा सके। जिम को पुरखों से विरासत में मिली घड़ी के लिए एक प्लैटिनम चैन खरीदने के लिए डेला ने अपने घुटने तक के लम्बे बाल बेच दिए। जिम ने, डेला के बालों के लिए कंघे का एक महंगा सेट खरीदने के लिए उसी घड़ी को बेच दिया।

लेखक ओ हेनरी ने इस कहानी को द गिफ्ट ऑफ द मैगी नाम दिया जो बताती है कि भले ही उनके उपहार नाकाम रहे और क्रिसमस पर मूर्ख लगे, पर उनके प्रेम ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ उपहार देने वाले बुद्धिमानों के बीच खड़ा कर दिया। पहली क्रिसमस की कहानी के बुद्धिमान भी कुछ लोगों को मूर्ख लगे होंगे, क्योंकि वे बेतलेहेम में सोने, लोहबान और गन्धरस की भेंट के साथ पहुंचे थे (मत्ती 2:11)। वे नहीं जानते थे कि यहूदियों के नए जन्में राजा के बारे में पूछताछ करना यरूशलेम की शांति भंग कर देगा। (पद 2)

मेगी की योजनाओं का परिणाम भी उम्मीद अनुसार न था। पर उन्होंने वह दिया जिसे धन नहीं खरीद सकता। वे उपहार लेके आए फिर उसकी आराधना करने लगे जो अंततः उनके लिए-और हमारे लिए, सबसे बड़ा प्रेममयी बलिदान देगा।