समय का उपहार
पोस्ट ऑफिस जाते हुए मैं जल्दी में था। मेरी लिस्ट में लिखे कई काम करने बाकि थे, परन्तु घुसते ही वहां दरवाजे तक लंबी लाइन देखकर मैं हताश हो गया। घड़ी देखकर मैं बड़बड़ाया "जितनी जल्दी हो रही थी थी उतनी देर लगेगी"।
मेरा हाथ अभी दरवाजे पर ही था कि एक बुजुर्ग अजनबी पीछे एक मशीन की ओर इशारा करते हुए बोला, "इस कापियर में मेरे पैसे तो जा चुके हैं पर मेरी फोटो कॉपी निकली नहीं है।" मैं तुरंत समझ गया कि परमेश्वर क्या चाहते थे। लाइन से निकल कर दस मिनट में मैंने मशीन ठीक कर दी।
मुझे धन्यवाद देकर वह चला गया। जब मैं वापस आया तो पाया कि लाइन अब खत्म हो चुकी थी। मैं सीधे काउंटर पर चला गया।
उस दिन का मेरा अनुभव मुझे यीशु के शब्दों की याद दिलाता है: "दिया करो, तो तुम्हें भी दिया जाएगा: लोग पूरा नाप दबा दबाकर और हिला हिलाकर और उभरता..." (लूका 6:38)।
मेरी प्रतीक्षा की घड़ियाँ खत्म हो गईं क्योंकि किसी अन्य की जरूरत की ओर मेरा ध्यान खींच कर उसे अपना समय देने के लिए मेरी मदद करके परमेश्वर ने मेरी जल्दी में बाधा डाल दी। उन्होंने मुझे एक उपहार दिया। एक ऐसा सबक जिसे मैं जब घड़ी देखूं याद करने की अपेक्षा करता हूँ।
स्वर्ग से सहायता
SOS मोर्सकोड सिग्नल 1905 में बना क्योंकि नाविकों को संकट का सिग्नल देने के लिए एक मार्ग की आवश्यकता थी। 1910 में स्टीमशिप केंटकी जहाज द्वारा छयालिस लोगों को बचाने के किए सिग्नल का प्रयोग किया गया।
SOS हाल ही का आविष्कार है, परन्तु मदद के लिए पुकारना उतना पुराना है जितनी मानवता। जब विजयी इस्राएली उस वायदे के देश में बस रहे थे जो परमेश्वर ने उन्हें दिया था, तब यहोशू ने चौदह वर्षों तक इस्राएलियों का (यहोशू 9:18) और चुनौतीपूर्ण भूभाग (3:15-17) विरोध का सामना किया। इस दौरान "परमेश्वर यहोशू के..." (6:27)।
यहोशू 10 में, जब इसराएली अपने सहयोगी गिबोनियों की सहायता के लिए जाते हैं जिनपर पांच राजाओं ने हमला किया था, तब यहोशू जानता था कि शक्तिशाली शत्रुओं को पराजित करने के लिए परमेश्वर की मदद की ज़रूरत होगी (पद12)। परमेश्वर ने ओले भेजकर उत्तर दिया, यहां तक कि दुश्मनों को पराजित करने का समय देने के लिए सूर्य को थामे रखा। यहोशू 10:14 बताता है, "यहोवा तो इस्राएल...!"
यदि आपके सामने चुनौतियां हैं, तो आप परमेश्वर को SOS भेज सकते हैं। भले ही मिलने वाली मदद यहोशू से अलग हो, शायद एक अप्रत्याशित नौकरी, अच्छा डॉक्टर या दुख में शांति। हियाव बांधेंऍ वह आपकी पुकार का उत्तर दे रहे हैं, और आपके लिए लड़ रहे हैं।
वह मुस्कुराता हुआ व्यक्ति
किराने की दुकान पर जाना मुझे पसन्द नहीं पर रोजमर्रा के जीवन में–यह करना पड़ता है।
मुझे फ्रेड की लाइन में बिलिंग करवाने का इंतजार रहता है। फ्रेड, बिलिंग के कारम को शो-टाइम बना देता है। वह अद्भुत फुर्ती से, होठों पर हमेशा मुस्कुराहट के साथ नाचते-गाते और उछालते हुए सामान को एक प्लास्टिक बैग में डालता है। वह ऐसा काम अनन्दित होकर करता है जिसे सबसे ग़ैरदिलचस्प समझा जाता है। पलभर के लिए ही सही, उसका उत्साह भले ही, लोगों के मन को आनन्दित कर देता है।
काम करने के इस अंदाज से फ्रेड ने मेरे सम्मान और प्रशंसा को जीत लिया है। उसका खुशनुमा आचरण, सेवा की इच्छा, और छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखना कुलुस्सियों 3:23 में प्रेरित पौलुस की सलाह के अनुरूप है, कि काम के प्रति हमारा क्या व्यवहार होना चाहिए: "और जो कुछ...।"
जब हमारा संबंध यीशु के साथ हो, तो जो भी काम हमें करना पड़े, वह हमें अपने जीवन में उनकी उपस्थिति को प्रतिबिंबित करने का अवसर देता है। कोई काम बहुत छोटा या बहुत बड़ा नहीं होता! अपनी ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए-चाहे वे जो भी हों-आनंदात्मक, रचनात्मकता और उत्कृष्ट तरीके से काम करने से हमें अपने आसपास के लोगों को प्रभावित करने का मौका मिलता है, चाहे हमारा काम जो भी हो।
एक आशा भरा विलाप
बहामास स्थित नासाऊ का क्लिफ्टन हेरिटेज नेशनल पार्क दुखद युग की याद दिलाता है। पत्थर की सीडियां तट से एक चट्टान पर जाती हैं। अठारहवीं शताब्दी में जहाज द्वारा बहामास लाए गए दास इन्हीं सीडियों से अमानवीय आचरण भरे जीवन में प्रवेश करते थे, यहाँ उनका स्मारक है। देवदार के पेड़ों पर गढ़ी स्त्रियों की मूर्तियाँ हैं जिनपर कोडों के निशान हैं, जो दासों की मातृभूमि और परिवरों की ओर मुंह किए समुद्र को निहार रही हैं।
ये मूर्तियां मुझे संसार में व्याप्त अन्याय और टूटी प्रणालियों का विलाप करने के महत्व की याद दिलाती हैं। विलाप का अर्थ यह नहीं कि हम आशाहीन हैं; परन्तु, यह परमेश्वर के साथ सच्चे होने का तरीका है। इसे मसीहियों की परिचित मुद्रा होना चाहिए; लगभग चालीस प्रतिशत भजन विलाप के हैं, विलापगीत में परमेश्वर के लोग आक्रमणकारियों द्वारा शहर के नाश किए जाने पर विलाप करते हैं (3:55)।
विलाप करना दुख की वास्तविकता पर एक उचित प्रतिक्रिया है, जो दुख और परेशानी में हमें परमेश्वर से जोड़ता है। अंततः जब हम अन्याय का विलाप, और स्वयं में और दूसरों में सक्रिय बदलाव की अपेक्षा करते हैं- तो विलाप आशावादी होता है।
नासाउ के मूर्ति-वृक्षों के पार्क का नाम "जेनेसिस" है-विलाप के स्थान को नए आरंभ के स्थान के रूप में जाना जाता है।
एक अच्छा पिता
मेरे पति अक्सर व्यापार यात्राओं पर रहते थे। हालाँकि वह फोन करते थे, तो भी कुछ कठिन रातें में हमारे नन्हें बेटे जेवियर को तसल्ली देने के लिए यह काफी नहीं होता था। जेवियर को जब पिता की ज़रूरत महसूस होती तो उसे दिलासा देने के लिए उसे मैं वो फोटो दिखाती जिसमें दोनों साथ हैं। ये यादें उसे प्रोत्साहित करतीं, और वह कहता कि, "मेरे पिता अच्छे हैं।"
उनकी अनुपस्थिति में जेवियर को उनके प्रेम की याद दिलाने की जरूरत को मैंने समझा। अपने कठिन समय या अकेलेपन में मुझे भी यह इस दिलासे की जरूरत होती है कि कोई मुझे प्रेम करता है खासतौर पर मेरा स्वर्गीय पिता।
रेगिस्तान में शत्रुओं से छिपता हुआ दाऊद परमेश्वर का अभिलाषी था (भजन संहिता 63:1)। परमेश्वर का असीम सामर्थ और प्रेम याद कर वह उनकी महिमा करने लगा (2-5), कठिन रातों में भी दाऊद अपने विश्वासयोग्य पिता की प्रेमपूर्ण परवाह (6-8) में आनन्दित था।
जब लगने लगे कि परमेश्वर हमारे साथ नहीं हैं, तो हम याद रखें कि परमेश्वर कौन हैं और उन्होंने अपने प्रेम का प्रदर्शन कैसे किया है। हमारे जीवन में उनकी भलाई को और पवित्रशास्त्र में वर्णित कार्यों को याद करें, और वह अनगिनत तरीकों में बताएँगे कि वह एक अच्छे अब्बा पिता हैं और हमसे प्रेम करते हैं।
प्रेम करने के लिए समर्पित
यीशू मसीह के चेले बनने के बाद से, नबील कुरैशी ने अपने पाठकों को उस विश्वास के लोगों के बारे में समझाने के लिए पुस्तकें लिखी जिसे वो छोड़ आए थे। अपने सम्मान जनक शब्दों के साथ कुरैशी सर्वदा अपने लोगों के लिए अपने प्रेम का प्रदर्शन करते हैं।
उन्होंने अपनी पुस्तकों में से एक अपनी उस बहन को समर्पित की, जिसने उस समय तक यीशु को ग्रहण नहीं किया था। समर्पण संक्षिप्त परन्तु प्रभावशाली है। उन्होंने लिखा, "मैं परमेश्वर से उस दिन के लिए प्रार्थना कर रहा हूं जब हम मिलकर उनकी आराधना करेंगे।"
प्रेम ऐसा का भाव हमें रोम की कलीसिया को लिखे पौलुस के पत्र को पढ़ने से मिलता है। उसने कहा, "मुझे बड़ा शोक है...(रोमियो 9:2-3 )।
पौलुस यहूदियों से इतना प्रेम करता था यदि वे यीशु को स्वीकार कर लेते तो बदले में स्वयं वह परमेश्वर से वंचित रहने को भी तैयार हो जाता । वह जानता था कि यीशु का त्याग करके, उसके लोग एक सच्चे परमेश्वर का इन्कार कर रहे थे। इसी बात ने उसे प्रेरित किया कि अपने पाठकों से यीशु का सुसमाचार हर किसी के साथ बाँटने की अपील करे (10:14-15)।
आज, हम प्रार्थनापूर्वक स्वयं को ऐसे प्रेम के प्रति समर्पित करें जिसमें उन लोगों के लिए दर्द हो जो हमारे निकट हैं!
जब पैरों तले ज़मीन खिसक जाए
1997 के एशियाई वित्तीय संकट में नौकरी की तलाश में लगे हजारों लोगों में मैं भी शामिल थी। महीनों बाद, मुझे कॉपीराइट लेखिका की नौकरी मिली परन्तु कंपनी नहीं चली और मैं फिर बेरोजगार हो गई।
क्या आपको अनुभव हुआ है कि बुरा समय निकला ही था कि अचानक पैरों तलेजमीन खिसक गई हो? सारपत की विधवा इससे परिचित थी (1 राजा 17:12)। जब वह अपने और अपने बेटे के लिए अंतिम बार भोजन पका रही थी, एलिय्याह ने रोटी का टुकड़ा मांग लिया। बे मन से वह राज़ी हुई और बदले में परमेश्वर ने उसे ऐसा मैदा और तेल दिया जो कभी समाप्त न हुआ (पद 10-16)।
फिर उसका बेटा इतना बीमार हो गया, कि सांस बंद होने लगी। विधवा बोली, "हे परमेश्वर के ...? "(पद 18)
कभी-कभी, हम विधवा के समान प्रतिक्रिया करते हैं, सोचकर कि ‘परमेश्वर दंड दे रहे हैं’- हम भूल जाते हैं कि पथभ्रष्ट संसार में बुरी बातें होती हैं।
इस चिंता को परमेश्वर के हाथ सौंप कर, एलिय्याह ने ईमानदारी और सच्चाई से प्रार्थना की, और परमेश्वर ने उसे पुनःजीवित कर दिया! (20-22)
जब लगे कि पैरों तले ज़मीन खिसक गई हो तो-एलिय्याह के समान-हम समझें कि विश्वासयोग्य परमेश्वर, हमें नहीं छोड़ेंगे! इस भेद को समझने के लिए हम प्रार्थनापूर्वक परमेश्वर के उद्देश्यों में बने रहें।
देने का आनन्द
चाची की किडनी फेल होने की बात सुन कर मैं उदास थी। मन किया कि उनसे मिलने जाना फ़िलहाल टाल दूं। तोभी मैं उनसे मिलने गई, हमने साथ खाना खाया, बातें की और प्रार्थना की। एक घंटे बाद वहाँ से निकलते हुए मैं इतनी उत्साहित थी, जितनी बहुत दिनों बाद पहली बार हुई थी। इसप्रकार अपने अलावा किसी अन्य पर ध्यान केन्द्रित करने से मेरा मूड कुछ सुधर गया।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार देना संतोष देता है, जो लेने वाले में कृतज्ञता देखकर मिलता है। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि मनुष्य की रचना उदार बनने के लिए हुई है!
थिस्सलुनिकियों की कलीसिया को अपने विश्वासी समुदाय का निर्माण करने की प्रेरणा देते हुए शायद इसीलिए पौलुस ने उनसे आग्रह किया कि वे “दुर्बलों को संभालें” (1 थिस्सलुनीकियों 5:14)। और यीशु के इन शब्दों को उद्धृत किया, "कि लेने से देना..." (प्रेरितों के काम 20:35)। भले ही यह आर्थिक दान के संदर्भ में था, समय और प्रयास दान के साथ भी ऐसा ही है।
देने द्वारा ही हम समझ सकते हैं कि परमेश्वर कैसा महसूस करते हैं, और वह हमें अपना प्रेम देकर इतने आनन्दित क्यों होते हैं, और यह कि हम उनके आनन्द और दूसरों को आशीष देने की संतुष्टि में सहभागी हैं। मन करता है कि अपनी चाची को फिर देख आऊँ।
जटिल रहस्य
सैर करते हुए मेरी मित्र और मैं बाइबिल के प्रति अपने प्रेम की बात करने लगे। उसने कहा, " मुझे पुराना नियम खास पसंद नहीं। जटिल बातें और प्रतिशोध-मुझे बस यीशु चाहिए!"
उसके कहे अनुसार कदापि हम भी नहूम जैसी पुस्तक में लिखे वचन को पढ़ कर, घबरा जाएँगे। “यहोवा जल उठने वाला...; (नहूम 1:2) और इसके बावजूद अगला ही पद हमें आशा से भरता है: "यहोवा विलम्ब से क्रोध...।" (पद 3)।
परमेश्वर के क्रोध के विषय पर अधिक गहराई से मनन करने पर हम पाते हैं कि वह अधिकतर अपने लोगों का या अपने नाम का बचाव करने के लिए इसका प्रयोग करते हैं। अपने असीम प्रेम के कारण, वह गलतियों के लिए न्याय और मनफिराव कर उनकी ओर मुड़ने वालों के लिए छुटकारा चाहते हैं। हम इसे न केवल पुराने नियम में देखते हैं-जब अपने लोगों को अपने पास वापस बुलाते हैं, परन्तु नए नियम में भी जब हमारे पापों के बलिदान के लिए वह अपने निज पुत्र को भेजते हैं।
भले ही हम परमेश्वर के चरित्र के रहस्यों को ना समझें, परन्तु हम भरोसा कर सकते हैं कि वह न केवल न्यायी परमेश्वर हैं वरन सभी प्रेमों का स्रोत भी हैं। हमें उनसे डरने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वह "भला है; संकट के दिन में...।"(पद 7)