Month: जुलाई 2017

श्रेय नहीं मिला?

1950 और 1960 के दशकों में, हॉलीवुड का संगीत लोकप्रिय था, और विशेषकर तीन नायिकाओं-ऑड्रे हैपबर्न, नेटेली वुड, और दबोरा केर-अपने दमदार अभिनय से अपने दर्शकों को उत्तेजित करीं l किन्तु इन नायिकाओं के अभिनय आकर्षण को बढ़ानेवाले असाधारण गीत थे l वास्तव में, उत्कृष्ट फिल्मों की सफलता का एक बड़ा हिस्सा दरअसल प्रमुख नायिकाओं की आवाज़ों को डब करनेवाली मामी निक्सन को जाता है, जिन्हें लम्बे समय तक अपनी योगदान के लिए श्रेय नहीं मिला l 

मसीह की देह में अधिक सार्वजानिक भूमिका निभाने वाले लोगों को विश्वासयोग्यता से अक्सर सहायता देनेवाले लोग हैं l पौलुस अपनी सेवकाई में ठीक ऐसे व्यक्तियों पर निर्भर था l  लिपिक के रूप में तिरतियुस ने पौलुस को अपनी ताकतवर लिखित  आवाज़ दी (रोमि. 16:22) l परोक्ष में इपफ्रास की निरंतर सेवा पौलुस और आरंभिक कलीसिया के मूलभूत बुनियाद थे (कुलु. 4:12-13) l थकित प्रेरित को सँभालने में लुदिया ने उदारता से अपना घर खोल दिया (प्रेरितों 16:15) l मसीह में इन सह-सेवकों की सहायता बिना पौलुस की सेवा असंभव थी (पद.7-18) l

 हमारे पास सदेव उच्च दृश्य भूमिकाएँ नहीं होंगी, किन्तु हम जानते हैं कि परमेश्वर की योजना के अनिवार्य भाग में हमारी आज्ञाकारी भूमिका से वह प्रसन्न होता है l जब हम “प्रभु के काम में सर्वदा बढ़ते [जाते हैं]” (1 कुरिं.15:58), हमारी सेवा परमेश्वर को महिमा देनेवाली और दूसरों को उसके निकट लानेवाली महत्वपूर्ण सेवा होगी (मत्ती 5:16) l

“मैं सचमुच ... भयभीत हूँ”

“मैं सचमुच भयभीत हूँ l” एक किशोरी ने अपने फेसबुक मित्रों को आनेवाले अपने कुछेक मेडिकल जांच के विषय एक मार्मिक नोट भेजा l वह अपने घर से तीन घंटे की दूरी पर हॉस्पिटल में भर्ती अनेक जांच से निकल रही थी और व्याकुलता से इंतज़ार कर रही थी जब डॉक्टर्स उसकी गंभीर चिकित्सीय समस्याओं की जड़ जानने की कोशिश में लगे थे l

हममें से किसने अपने युवावस्था अथवा बाद के वर्षों में वास्तव में भयभीत करने वालीं अनिच्छित जीवन घटनाओं का सामना नहीं किया होगा? और हम सहायता के लिए किसकी ओर मुड़ सकते हैं? हमें इन परिस्थितियों में साहस के लिए वचन में कैसी शांति मिलती है?

यह सच्चाई कि परमेश्वर हमारे संघर्षों में साथ रहकर मदद करेगा हमें आशा दे सकती है l यशायाह 41:13 हमसे कहता है, “क्योंकि मैं तेरा परमेश्वर यहोवा, तेरा दाहिना हाथ पकड़कर कहूँगा, ‘मत डर, मैं तेरी सहायता करूँगा l’”

इसके साथ, प्रार्थना में अपनी वर्तमान कठिनाइयां परमेश्वर के समक्ष प्रस्तुत करने पर वह हमें अवर्णनीय, हृदय की सुरक्षा करने वाली शांति देगा (फ़िलि. 4:6-7) l

हम परमेश्वर की विजयी उपस्थिति और उसकी शांति जो “सारी समझ से परे है” (पद.7), के द्वारा वास्तव में भयभीत करनेवाली स्थितियों को सहने के लिए आशा और मदद पा सकते हैं l

कपड़े पहनकर

अपनी पुस्तक Wearing God  में, लेखक लॉरेन विनर कहती है कि हमारे वस्त्र शांति से हमारा व्यक्तित्व संप्रेषित करते हैं l हमारे पहिरावे जीविका, समाज या पहिचान, मिजाज़, अथवा सामजिक स्थिति दर्शाते हैं l स्लोगन वाला टी-शर्ट, बिज़नस सूट, यूनिफार्म, अथवा ग्रीस लगी जीन्स की विषय विचारे और वे क्या प्रगत करते हैं l वह लिखती है, “यह विचार कि, वस्त्र की तरह, मसीही शब्दहीन होकर यीशु के विषय कुछ कह सकते हैं-चित्ताकर्षक है l”

पौलुस के अनुसार, हम भी मसीह का प्रतिनिधित्व शब्दहीन तरीके से कर सकते हैं l रोमियों 13:14 हमसे “मसीह को [पहिनने], और शरीर की अभिलाषाओं को पूरा करने का उपाए [नहीं करने]” को कहता है l इसका अर्थ क्या है? मसीही हो जानने के बाद, हम मसीह की पहिचान बन जाते है l हम “विश्वास के द्वारा ... परमेश्वर की संतान” हैं (गला.3:26-27) l यही हमारा दर्जा है l फिर भी हमें प्रतिदिन उसके चरित्र को धारण करना है l हम यीशु की तरह जी कर और उसकी तरह और भी बनकर, भक्ति, प्रेम और आज्ञाकारिता में उन्नति करते हुए और एक समय हमें दास बनाने वाले पापों की ओर पीठ फेरकर ऐसा करते हैं l       

यह उन्नत्ति पवित्र आत्मा का हमारे भीतर कार्य, और वचन, प्रार्थना, और दूसरे मसीहियों के साथ संगति का परिणाम है (यूहन्ना 14:26) l जब दूसरे हमारे शब्द और आचरण को देखते हैं, हम मसीह के विषय क्या बोल रहे हैं?

हर काम का निश्चित समय

हाल ही के विमान यात्रा में मैंने एक माँ और उसके बच्चों पर ध्यान दिया l नन्हे बच्चे के शांति से खेलते समय, माँ अपने नवजात शिशु की आँखों में निहारती और मुस्कराती हुई उसके गाल सहलाए l बच्चा भी अचरज से आँखें फाड़कर देखा l मैंने थोड़ी उत्कंठा से उस क्षण का आनंद लेकर अपने बच्चों के बीते हुए बचपन को याद किया l

हालाँकि, मैंने सभोपदेशक में “प्रत्येक काम का, जो आकाश के नीचे होता है” के विषय राजा सुलेमान के शब्द स्मरण किये (पद.1) l वह विपरीत शब्दों की श्रृंखला द्वारा संबोधित किया कि किस तरह “हर एक बात का एक अवसर” होता है (पद.1) : “जन्म का समय, और मरन का भी समय, बोने का समय; और बोए हुए को उखाड़ने का भी समय” (पद.2) l शायद इन पदों में राजा सुलेमान जीवन के व्यर्थ चक्र से निराश हुआ l किन्तु वह प्रत्येक ऋतू में परमेश्वर की भूमिका को भी देखा, कि हमारा कार्य “परमेश्वर का दान” है (पद.13) और “जो कुछ परमेश्वर करता है वह सदा स्थिर रहेगा” (पद.14) l

हम अपने जीवनों में समयों को लालसा से याद कर सकते हैं, जैसे मैंने अपने बच्चों को शिशुओं के रूप में याद किया l यद्यपि, हम जानते हैं, कि प्रभु हमारे साथ जीवन के हर ऋतू में रहेगा (यशा.41:10) l  हम उसकी उपस्थिति पर भरोसा करके उसमें चलने का अपना उद्देश्य खोज सकते हैं l

सबसे शक्तिशाली

इग्वाजू जलप्रपात, ब्राज़ील और आर्जेन्टीना की सीमा पर, इग्वाजू नदी के 2.7 किलोमीटर (1.67 मील) साथ-साथ में 275 जल प्रपातों का एक असाधारण जलप्रपात क्रम है l जलप्रपाओं के ब्राजीलियाई किनारे की दीवारों पर भजन 93:4 उकेरा हुआ है, “महासागर के शब्द से, और समुद्र की महातारंगों से, विराजमान यहोवा अधिक महान है l” उसके नीचे ये शब्द हैं, “परमेश्वर सर्वदा हमारी परेशानियों से अधिक महान है l”

राजाओं के युग में लिखनेवाला भजन 93 का लेखक जानता था कि परमेश्वर ही अनंत राजा है l “यहोवा राजा है,” उसने लिखा l “तेरी राजगद्दी अनादिकाल से स्थिर है, तू सर्वदा से है” (पद.1-2) l जल और तरंगें चाहे जितनी ऊँची हों, परमेश्वर सबसे महान है l

जलप्रपात की आवाज़ वास्तव में बड़ी है, किन्तु जलप्रपातों की ओर बहनेवाले जल में होना बिल्कुल भिन्न है l शायद आज आप वैसी ही स्थिति में हो सकते हैं l भौतिक, आर्थिक, या सम्बन्धात्मक समस्याएँ आप पर पहले से कहीं अधिक बहुतायत से मंडरा रही हैं मानो आप जलप्रपात में बहने वालें हैं l ऐसी स्थितियों में, कोई है जिसकी ओर एक मसीही मुड़ सकता है l वह परमेश्वर ही है जो, “हमारी विनती और समझ से कहीं अधिक काम कर सकता है” (इफि. 3:20 ) क्योंकि वह हमारी समस्त समस्याओं से बड़ा है l

उपनाम से परे

मेरे शहर के एक चर्च में अद्वितीय स्वागत कार्ड सभी के लिए परमेश्वर का प्रेम और अनुग्रह दर्शाता है l उस पर लिखा है, “यदि आप एक . . . संत, पापी, पराजित, विजयी” – संघर्षरत लोगों के लिए अन्य शब्द – “शराबी, पाखंडी, धोखेबाज, भयभीत, बेमेल . . . . हैं, तो आपका स्वागत है l” एक पासबान ने कहा, “हम इस कार्ड को रविवारीय आराधना में ऊँची आवाज़ में मिलकर दोहराते हैं l”

कितनी बार हम खुद को परिभाषित करनेवाले उपनाम चुन लेते हैं l और हम कितनी सरलता से दूसरों को इनसे संबोधित करते हैं l किन्तु परमेश्वर का अनुग्रह उपनामों को चुनौती देता है क्योंकि वह हमारे आत्म-बोध में नहीं, उसके प्रेम में जड़वत है l  चाहे हम खुद को उत्कृष्ट या भयंकर, योग्य या अयोग्य महसूस करें, हम उससे अनंत जीवन का पुरस्कार प्राप्त कर सकते हैं l प्रेरित पौलुस ने रोम के विश्वासियों को स्मरण दिलाया कि “जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिए मारा” (रोमि. 5:6) l

परमेश्वर नहीं चाहता कि हम अपनी सामर्थ्य से बदलें l इसके बदले वह हमें हमारी यथास्थिति में आशा, चंगाई और स्वतंत्रता हेतु बुलाता है l “परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा” (पद.8) l प्रभु हमें हमारी यथास्थिति में स्वीकारने हेतु तैयार है l

पिता समान

क्या एक बच्चे  को अपने माता-पिता का नक़ल उतरना प्रीतिकर नहीं लगता? कितनी बार हम एक किशोर बच्चे को कार के सीट पर बैठे, काल्पनिक स्टीयरिंग पकड़े हुए ड्राईवर को ध्यान पूर्वक देखते हुए पाते है कि पिता आगे क्या करेंगे l

मैं भी बचपन में ऐसा ही करता था l अपने पिता का नक़ल करने से अधिक आनंददायक कुछ भी नहीं था-और मेरा उनका नक़ल करते देखकर उन्हें ज़रूर ही अधिक आनंद आता होगा l

मैं परमेश्वर को उसी तरह महसूस करते हुए कल्पना कर सकता हूँ जब उसका प्रियतम पुत्र पिता की तरह ही कार्य करता है-भटके हुओं तक पहुंचना, ज़रुरतमंदों की मदद, बीमारों की चंगाई l यीशु ने कहा, “पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है; क्योंकि जिन जिन कामों को वह करता है उन्हें पुत्र भी उसी रीति से करता है” (यूहन्ना 5:19) l

हमें भी वही करने को बुलाया गया है-“प्रिय बालकों के समान परमेश्वर का अनुसरण करो, और प्रेम में चलो” (इफि. 5:1-2) l मसीह के समान बनने के लिए उसमें बढ़ते हुए, हमें पिता की तरह प्रेम करना, क्षमा करना, देखभाल करना, और उसको प्रसन्न करने हेतु जीवन बिताएं l पवित्र आत्मा की सामर्थ्य में उसका नक्ल करना आनंददायक है, जानते हुए कि हमारा पुरस्कार प्रेमी पिता की प्यार भरी, कोमल मुस्कराहट है l

गहरी जड़ें

सिकुआ शंकुधारी वृक्ष, रक्त दारु वृक्ष की तीन प्रजातियों में से एक, विश्व के सबसे अधिक और सबसे टिकाऊ वृक्षों में से है l उसकी ऊँचाई 300 फीट, वजन 2.5 लाख पौंड (11 लाख किलोग्राम) से ऊपर, और उम्र 3,000 वर्ष होती है l किन्तु बड़े सिकुआ वृक्ष का आकार और उम्र भूमि के नीचे क्या है, पर आधारित है l एक एकड़ से भी अधिक भूमि में पसरी हुई 12 से 14 फीट गहरी जड़ों की जाल, वृक्ष की गगनचुंबी ऊँचाई और आश्चर्यजनक वजन को थामें रहती है l

हालाँकि, रक्त दारु वृक्ष की फैली हुई जड़ प्रणाली, यीशु के जीवन को सुदृढ़ बनानेवाली राष्ट्रीय इतिहास, धर्म, और प्रतीक्षा की तुलना में छोटी है l एक मरतबा उसने धार्मिक अगुओं के समूह से कहा कि शास्त्र जिनसे वे प्रेम करते हैं उसकी कहानी बताते हैं (यूहन्ना 5:39) l नासरत की आराधनालय में उसने यशायाह की पुस्तक खोलकर, इस्राएल के उद्धारकर्ता का वर्णन पढ़कर बोला, “आज ही यह लेख तुम्हारे सामने पूरा हुआ है” (लूका 4:21) l

अपने पुनरुत्थान बाद, यीशु ने अपने शिष्यों को समझने में सहायता की कि किस तरह मूसा, और नबियों के शब्द, और इस्राएल के गीत ने प्रगट किया था कि उसके लिए दुःख और मृत्यु सहकर पुनरुथित होना क्यों ज़रूरी था (24:46) l

यीशु को इतिहास और राष्ट्र के शास्त्र में जड़वत देखकर और हमारे जीवनों को उसकी कितनी ज़रूरत है महसूस करना क्या ही मनोहर और शोभनीय है l  

क्या आप तैयार किये जा रहे हैं?

हाई स्कूल में पढ़ते समय लगभग दो वर्षों तक एक रेस्टोरेंट में काम करने के कुछ अंश कठिन थे l ग्राहक क्रोधित होते थे जबकि मैं सैंडविच में चीज़ के लिए खेदित होती थी जो मैंने नहीं बनाया था l यह काम छोड़कर मैंने एक विश्वविद्यालय में कंप्यूटर कार्य हेतु आवेदन डाली l नियोजक मेरे कंप्यूटर कौशल से अधिक मेरे फ़ास्ट-फ़ूड अनुभव में रूचि ले रहे थे l वे जानना चाहते थे कि मुझे लोगों के साथ बर्ताव करना आता था l अप्रिय स्थितियों में मेरे अनुभव ने मुझे एक बेहतर कार्य के लिए तैयार किया!

युवा दाऊद एक अनुभव में निरंतर दृढ़ रहा जिसे हम बखूबी अरुचिकर कह सकते हैं l गोलियत से लड़ने हेतु इस्राएलियों को एक व्यक्ति चाहिए था l केवल दाऊद आगे आया l राजा शाऊल उसे लड़ने को भेजने में हिचकिचाया, किन्तु दाऊद ने कहा कि एक चरवाहा होकर उसने अपनी भेड़ों के लिए सिंह और भालू से लड़ा था (1 शमूएल 17:34-36) l वह दृढ़तापूर्वक  बोला, “यहोवा जिसने मुझे सिंह और भालू दोनों ... से बचाया है, वह मुझे उस पलिश्ती ... से भी बचाएगा” (पद.37) l

चरवाहा होकर दाऊद ने आदर नहीं कमाया, किन्तु इससे वह गोलियत से लड़ सका और आख़िरकार इस्राएल का महानतम राजा बना l हम कठिन स्थितियों में हो सकते हैं, किन्तु इनके द्वारा परमेश्वर हमें कुछ बड़ी बात के लिए तैयार कर रहा होगा!